।।प्रातः वंदन ।।
अच्छी नहीं ये ख़ामुशी शिकवा करो गिला करो
यूँ भी न कर सको तो फिर घर में ख़ुदा ख़ुदा करो
शोहरत भी उस के साथ है दौलत भी उस के हाथ है
ख़ुद से भी वो मिले कभी उस के लिए दुआ करो..
निदा फाजली.
खूबसूरत कलाम, साकारात्मक आशा की रश्मियों के साथ आइए ..अब नज़र डालें चुनिंदा लिंकों पर...✍️
प्रियतम, मेरा दिल सूना है;
कल को फिर यही कहोगी तुम
मुझको धड़कन भी छूना है।।१।।
घड़कन तक भी गर बात बने
करता हूँ अंगीकार इसे;
पर, सहमति के परिपत्रों...
🔶🔶
" कब होगा आँगना में आगमन तुम्हारा "
🔶🔶
चाँद तक जा पहुँचे हो
पड़ोसी के घर तक पहुँच नहीं
कितनी डिग्रियाँ कर लीं हासिल
आम सी बात तो मालूम नहीं ..
🔶🔶
कहाँ चले गये वो लोगधीर से गम्भीर थेआज कहाँ खो गया उसका धैर्य?शहर की हवा बदली- बदली सीकुछ सड़कें, कुछ गलियांसहमी-सहमी सीजहाँ रोती है खामोशी..🔶🔶
प्यार से भीगा मन, नयी आमद की ख़ुशबू
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
अच्छी नहीं ये ख़ामुशी शिकवा करो गिला करो
जवाब देंहटाएंख़ुद से भी वो मिले कभी उस के लिए दुआ करो..
सुंदर आगाज...
आभार...
सादर।...
निदा फ़ाज़ली का शेर बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन👌🌷🌷
जवाब देंहटाएंसराहनीयतथा पठनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचनाओं की प्रस्तुति सराहनीय अंक।
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