शीर्षक पंक्ति: आदरणीय अशर्फी लाल मिश्र जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर
ले चलें-
अचानक बादल आपस में टकराए
बिजली चमकी बादल गरजे
तेज हवा का झोंका आया
टप टप ओले टपके
बच्चे उन्हें खाने को दौड़े |
पर रहे ख्याल इतना,
जब हों आमने सामने,
आँखे हमारी नीची न हों ।।
घड़ी बिरहा की फिर टली है
क्या !!!!!
ऊंचा उड़ने से पहले देख तो ले
तेरे कदमों तले ज़मीं है क्या .......
दावा उनका फ़कीर होने का
दिल में हसरत कोई दबी है क्या......
उठाओं जिम्मेदारी का
चादर
जो गिरा
विकास पर बनकर
कफन
धरा की आत्मा से
उर्जा का रस निकालो
उडेल दो आसमान पे
बेहतरीन अंक...
जवाब देंहटाएंआभार.
सादर..
बहुत सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब लिखा है आपने बहुत अच्छा आर्टिकल है काफी समय से आपके ब्लॉग को रीड कर रहा हूँ मूड फ्रेस हो जाता है desi aam ka achar kaise banate hain shandar awesome post एक बार मेरे ब्लॉग पर भी जरूर आए हमे बड़ी खुशी होगी
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