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बुधवार, 21 अप्रैल 2021

3005...हुकमरां तुम्हें कौन सुनना चाहता है...

।। प्रातः वंदन ।।

आ नव प्रभात आ!

नव कुसुम ला, नव गंध ला

नव ऋचा के नव छंद ला

नव स्फूर्ति ला, नव उल्लास ला

नव भोर संग नव प्रकाश ला।

नव क्षितिज ला, नव सृष्टि ला

नव चिंतन की नव दृष्टि ला,

नव समाज ला, नव देश ला

नव वंश हेतु नव परिवेश ला..!!

आ नव प्रभात आ!

अवनीश तिवारी

साकारात्मक  शब्दों संग,चैत्र रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं व बधाई ..

 जरा सी हरारत  तो है, जरा सी बुखार ही तो है ..घर की हवाओं में ही नासाज हुये जा रहे.. इसलिये जल्दी में बनी आज की लिंक.. नजर जरूर डालें...✍️



पूजा के नियम 
विधि - विधान ,
कब और किसकी 
की जाय पूजा 
इसका भी  नहीं 
 मुझे कोई भान ।

हृदय के अंतः स्थल से ..
🔸🔸
नारायण ही जाने, वो क्या-क्या जाने!

इक उम्र को, झुठलाते,
विस्मित करती, उनकी न्यारी बातें,
कुछ, अनहद प्यारी,

कुछ, उम्मीदों पर भारी!..
🔸🔸

हे शिव शम्भु...!

ये कैसी लीला त्रिपुरारी

ये कैसा ताँडव भोले

भयभीत हैं मन

आज असहाय हर जन

🔸🔸

हुकमरां तुम्हें कौन सुनना चाहता है...

 


जब किसी किले में पहुंचता हूं बार-बार  अंदर से एक ही आवाज सुनाई देती है कि ‘हुकमरां तुम्हें कौन सुनना चाहता है...’। मैं आम व्यक्ति बनकर जब भी किले में दाखिल होता हूं तब मेरे साथ चलती है कतरा-कतरा आदमियत...सहमी सी, डरी सी और अपने में कहीं बहुत गहरी उलझी सी...। गाइड जो 


🔸🔸


तेरे घर से उड़ती हुई हवा आयीं है,

कैसी उम्मीद अब तो तस्व्वुर ज़िंदगानी है,
उम्र सारी जवानी,बचपन में ही लुटा आयी है..
🔸🔸
।।इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️


9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    समस्त रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चयन । अरे वाह मैं भी शामिल हूँ । शुक्रिया पम्मी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. जाने वो, क्षणिक सुख!
    पर वो, भटके ना, उनके सम्मुख,
    अनबुझ सी, प्यास,
    या, प्रज्ज्वलित सी आस

    वाह बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी रचना शानदार है खासकर पुरषोत्तम जी की रचना बहुत अच्छी लगी। मुझे भी स्थान देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. श्रीरामनवमी के अवसर पर अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति । आदरणीया संगीता मैम की रचना अपने भीतर प्रेम को ढूँढने की प्रेरणा देती है। आदरणीय पुरुषोत्तम सर व आदरणीया उषा मैम की रचना ने मन को प्रभु के चरणों में नत कर दिया और हुकमरां तुम्हें कौन सुनना चाहता है एक भ्रष्ट तानाशाही सरकार के प्रति आम आदमी का विद्रोह और दुख दर्शाती है ।
    हर एक रचना से कुछ न कुछ सीखने को मिला और आनंद आया । हृदय से आभार इस बहुत सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार व आप सबों को प्रणाम। राम-नवमी की अनेकों शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  6. जी बहुत आभार पम्मी जी। सभी लिंक बहुत अच्छे हैं। सभी को खूब बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छा अंक। सभी रचनाएँ पढ़ीं।
    अपना खयाल रखिए पम्मी जी। सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छे लिंक्स।सादर अभिवादन आपका

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत अच्छा अंक...सभी रचनाएँ बढ़िया ...मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया पम्मी जी ।बहुत शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं

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