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सोमवार, 1 मार्च 2021

2254 ...लिख लेने से कोई विद्वान नहीं होता है

सादर अभिवादन
तीसरे महीने का पहला दिन
चलिए चलें फागुन शुरु हआ
लिख लेने से कोई विद्वान नहीं होता है
जो किसी अन्य से लिखवाता है अपने लिए
वो महाविद्वान कहलाता है
क्षमायाचनासहित..
 
आज की रचनाएँ देखें...

आँखें बंद कर लेता हूँ मैं,
विनती करता हूँ पटरियों से,
संभाले रखना ट्रेन को,
प्रार्थना करता हूँ ट्रेन से,
रुकना नहीं, सर्र से निकल जाना.


हूँ एक प्रवासी पक्षी  
समूह से बिछुड़ा हुआ
दूर देश से आया  हूँ
पर्यटन के लिए |
बदले मौसम के  कारण
राह भटका  हूँ


दिल की जमीन पर
घर की नींव धरी है
नटखट सा कोई गोपाल
अब वहाँ हँसता ही नहीं

स्मृतियों की वीथियाँ
भी हो रही हैं धूमिल
साथ का कोई संगी-साथी
अब वहाँ रहता नहीं


तिवारी जी कहते पाये जाते है कि अच्छे लोग अच्छे इसीलिए कहलाते हैं
क्यूँ कि बुरे लोग भी हैं समाज में। अमीर अमीर कहलाता ही इसलिए है
क्यूँ कि कोई गरीब भी है। सुख का मजा ही क्या पता लगेगा
अगर दुख न हों। इसलिए मंहगाई, बेरोजगारी, भूखमरी का
रोना छोड़ इसे साक्षी भाव से देखो एवं स्वीकारो।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं – उनको समझने की कोशिश करो।


नहीं मिटाया जा सकता सब कुछ,
कुछ रंगों के कणों में रहते हैं,
भीतर तक अदृश्य, छुपे हुए जज़्बात के
अति सूक्ष्म रेशे,कहने को दूर से डायरी के पृष्ठ
यूँ तो कोरे नज़र आते हैं,


सम्पादक जी को
देखते ही साथ में किसी जगह कहीं
मित्र से
रहा नहीं गया
कह बैठे यूँ ही

भाई जी
ये भी लिख रहे हैं
कुछ कुछ आजकल

कुछ कीजिये इन पर भी कृपा

कहीं
पीछे पीछे के पृष्ठ पर ही सही
थोड़ा सा
इनका कुछ छापकर
.....
आज बस
सादर


11 टिप्‍पणियां:

  1. आभार..
    अच्छी पठनीय रचनाएँ..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर संकलन. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर संकलन आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार सहित धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर संकलन. मेरे सृजन को शामिल करने के लिए सादर आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छे लिंक्स खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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