चाय पर चर्चा तो बहुत सुनी होगी आपने,
उसके पात्र पति-पत्नी को
चित्रित किया गया है किंतु यकीन मानिये मैंने इस रचना को जितनी बार पढ़ा हर बार एक नया अर्थ मिला आप पढ़कर अपना मतंव्य जरूर बताइयेगा-
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शत शत नमन..
जवाब देंहटाएंसादर शुभकामनाएं.
कुहरे सा धुँधला भविष्य है,
है अतीत तम घोर ;
कौन बता देगा जाता यह
किस असीम की ओर?
बहुत ही अच्छा अंक
आभार..
सादर..
आपका स्नेह और सहयोग है दी।
हटाएंआभारी हूँ।
सादर।
सर्व प्रथम हिन्दीसाहित्य की मीरा और अमर कवियत्री स्वर्गीय महादेवी वर्मा की के पावन जन्मदिवस पर उनकी पुण्य स्मृति को सादर नमन
जवाब देंहटाएं🙏🙏🌹🙏🙏
महादेवी वर्मा की विरह वेदना में पगी रचनाएँ साहित्य में मील का पत्थर हैं जिनकी आभा युगों तक साहित्य प्रेमियों के मन में उजास भरती रहेंगी। उनकी कुछ अमर पंक्तियाँ, जो मेरे मन के सदैव करीब हैं, के साथ उन्हें पुनः नमन 🙏🙏
भूलती थी मैं सीखे राग
बिछलते थे कर बारम्बार,
तुम्हें तब आता था करुणेश!
उन्हीं मेरी भूलों पर प्यार!
नहीं अब गाया जाता देव!
थकी अँगुली हैं ढी़ले तार
विश्ववीणा में अपनी आज
मिला लो यह अस्फुट झंकार!
प्रिय दी,
हटाएंमेरी प्रस्तुति के भूमिका के अधूरापन को पूरा कर रही बहुत सुंदर पंक्तियाँ चुनी है आपने।
सहृदयता है आपकी दी।
सस्नेह शुक्रिया
बहुत आभार दी।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरोचक अंक प्रिय श्वेता। संदीप जी की भावपूर्ण रचना और सखी कामिनी की मार्मिक प्रस्तुति के साथ हिमकर जी की सुंदर ग़ज़ल मन को छू गयी।सभी रचनाओं के पर तुम्हारी
जवाब देंहटाएंसमीक्षात्मक दृष्टि बहुत विशेष है जिसमें भली भाँति रचनाओं के मर्म को पकड़ा गया है। जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ हमारे कवि भाई रवींद्र जी पहुँच गए। एक गुठली का मानवीकरण कर आत्म बोध जगाती रचना रच डाली। सभी पाठकों को ये विशेष रचनाएँ जरूर पढ़नी चाहिए। और रही बात बाघ -बकरी चाय की तो कवि मन की अभिव्यक्ति की थाह कोई कैसे पा सकता है कि किस को चाय पिलाई गयी है और व्यंगबाण का लक्ष्य कौन है 🤗🤗। बहरहाल, आजके आकर्षक अंक के सभी स्टार रचनाकारों को ढेरों बधाईयाँ और शुभकामनाएं। तुम्हें भी रचनाओं की सुंदर समीक्षा और श्रमसाध्य प्रस्तुति के लिए ढेरों बधाई और प्यार ❤❤🌹🌹
सारी रचनाओं को स्पर्श कर सुंदर विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया लिखकर रचनाकारों का उत्साह बढ़ाना आपकी विशेषता है दी।
हटाएंबेहद आभारी हूँ दी।
सादर।
बहुत आभारी हूं श्वेता जी...शानदार चयन और शानदार प्रस्तुतिकरण। वाह...साहित्य को नया शीर्ष दे रहा है ये मंच। हम सब मिलकर शब्दों को जी रहे हैं कितना खरा और सच्चा दौर है। मेरी रचना को सम्मान देने के लिए बहुत आभारी हूं। सभी रचनाओं की रचनाएं श्रेष्ठ हैं सभी को खूब बधाई।
जवाब देंहटाएंजी आदरणीय सर,
हटाएंआपकी उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया पाकर अच्छा लगा।
आप सभी की प्रतिक्रिया ही हम चर्चा कारों को और अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है।
सादर आभार।
रेणु जी बहुत सुंदर टिप्पणी है आपकी सारगर्भित...। एक आनंददायी माहौल है इस मंच पर। खूब आभार।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार संदीप जी। 💐💐🙏💐💐
हटाएंविस्तृत नभ का कोई कोना
जवाब देंहटाएंमेरा न कभी अपना होना।
परिचय इतना इतिहास यहीं,
उमड़ी कल थी मिट आज चली।
मैं नीर भरी दुख की बदली
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
चिर स्मरणीय महादेवी को शत शत नमन
और श्वेता जी-सी उनकी साहित्य संततियों
को अशेष शुभकामनायें🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जी विश्वमोहन जी,
हटाएंसादर प्रणाम।
महादेवी के खजाने से चुनी गयी
बेहतरीन पंक्तियाँ लिखी है आपने।
आपसे सकारात्मक और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया का आशीष पाकर अच्छा लगा।
बहुत आभारी हूँ।
सादर।
शुक्रवारीय अंक , महान कवयित्री महादेवी जी का जन्मदिन , और एक से बढ़ कर एक लिंक । इस सुंदर आनंद के लिए सराहना के शब्द कम पड़ रहे ।
जवाब देंहटाएंकचनारी रतनारी डाली
लचक मटक इतरायो
सारंग सुगंध सुधहीन भ्रमर
बाट बटोही बिसरायो
सखि रे! गंध मतायो भीनी
राग फाग का छायो !!
पूरी तरह फाग में मस्ती छा रही है । अनुप्रास अलंकार का खूबसूरती से प्रयोग किया गया है ... हर पंक्ति अनुप्रासांगिक हो रही है इसके लिए श्वेता तुमको बधाई ।
बढ़िया व्यंग्य का लिंक बाघ बकरी , अच्छी नहीं लगती में ग़ज़लकार का पूरा मन ही उतर आया है , आम की गुठली भी दे रही है सार्थक संदेश होली के फूल थोड़ा सा मुरझाए हुए हैं ...लेकिन एक प्रश्न कि तुम प्रेम क्यों खोजते हो ? सोचने पर मजबूर कर गया ...
हर लिंक तक पहुंचाने के लिए दिल से शुक्रिया ।
अंत में महादेवी जी की एक प्रसिद्ध रचना
जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार
प्रिय दी,
हटाएंआपने मेरी लिखी पंक्तियों पर ध्यान दिया आपके स्नेहमयी शब्द मन को ऊर्जा से भर गये।
जी दी आपका शुभ आगमन मेरे लिए नयी प्रेरणा है आपका जितना आभार कहें हम कम होगा।
महादेवी का लोकप्रिय गीत साझा करने किया बेहद आभार आपका।
सभी रचनाओं का सारयुक्त विश्लेषण और.विस्तृत प्रतिक्रिया के लिए आभारी हूँ दी।
सादर प्रणाम।
जवाब देंहटाएंमहान कवयित्री महादेवी जी के जन्मदिन शत शत नमन।
शानदार चयन सभी लिंक एक से बढ़कर एक ..बस आनंद ले रहे हैं।
बहुत आभारी हूँ प्रिय दी।
हटाएंस्नेह मिलता रहे आपका।
प्रणाम दी
सादर।
कवयित्री महादेवी वर्मा को सत सत नमन, इस मंच पर मेरी भी एक छोटी सी प्रयास को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद श्वेता जी, आप सभी को होली की अग्रिम शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंप्रिय कामिनी जी,
हटाएंआपकी सुंदर प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभारी हूँ।
स्नेहिल शुक्रिया।
सादर।
हमें नहीं बताया आपने
जवाब देंहटाएंकि कविता भी लिखती थी
हमें तो लगा वे
अमृत बरसाती थी
सादर