जय मां हाटेशवरी.....
समस्त मातृ शक्ति को......
महिला दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं......
सोचता हूं......
इतने वर्षों बाद भी नारी सशक्तीकरण क्यों नहीं हो सका.....
इस छोटे से प्रश्न का उत्तर है.....
ये वाक्यांश जो सालों पहले महादेवी वर्मा की लिखी कहानी ‘लछमा’ से लिया गया है .....
‘एक पुरुष के प्रति अन्याय की कल्पना से ही सारा पुरुष-समाज उस स्त्री से प्रतिशोध लेने को उतारू हो जाता है और एक स्त्री के साथ क्रूरतम अन्याय का प्रमाण पाकर
भी सब स्त्रियाँ उसके अकारण दंड को अधिक भारी बनाए बिना नहीं रहती| इस तरह पग-पग पर पुरुष से सहायता की याचना न करने वाली स्त्री की स्थिति कुछ विचित्र सी है|
वह जितनी ही पहुंच के बाहर होती है, पुरुष उतना ही झुंझलाता है और प्राय: यह झुनझुलाहत मिथ्या अभियोगों के रूप में परिवर्तित हो जाती है|’ अब पेश है.....
आज के लिये मेरी पसंद.....
जो परिंदा महब्बत का दिल में बसा,
बाग़ उजड़ा तो वो बेठिकाना हुआ।
मन के गहन दुःख को जो व्यक्त कर सकें
वो
सृजन करने का मुझमें साहस कहाँ?
डूबते सूरज की छाया में मैं मरघट लिखूँगा
तुम अपने स्मित की अंतिम स्मृति पढ़कर चली जाना.
बस नहीं हो पाते इतने उदारवादी
किसी भी अच्छी
कविता, कहानी या पोस्ट पर ...
हाँ होते हैं उदारवादी
किसी भी कंट्रोवर्शल पोस्ट
या महिला के फोटो पर
शायद यही है वास्तविक चरित्र
जहाँ हम उगल देते हैं
‘पिछले 5-6 साल से लगातार कई इंडेक्स में भारत की रेटिंग गिर रही है।
चाहे वर्ल्ड बैंक की दो इंडेक्स, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की 2-3 इंडेक्स,
इकोनॉमिस्ट
इंटेलिजेंस यूनिट, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल समेत 40 ऐसे इंडेक्स हैं
जहां पर 2014 से भारत की रेटिंग नीचे आई है। यह गवर्नेंस का मसला है।
2014 के पहले भारत
में जो गवर्नेंस थी वैसी अब नहीं है।’
विधि विधान से नामकरण करने की परंपरा का ज्योतिषीय आधार हुआ करता था।
किसी
शुभ मुहूर्त्त में नामकरण जन्म के 11 से 27 दिन के अंदर किया जाता था।
शिशु के जन्म के समय चंद्रमा जिस राशि में संचरण करता है, वह राशि जन्म राशि
कहलाती है
और इस राशि में आने वाले नामाक्षर पर उसका नाम रखा जाता है।
अक्षर विशेष में नाम रखने के लिए कुल 27 नक्षत्रों के चार चार चरण किए गए हैं।
इनमें जिस चरण में
जन्म होता है, उसी अक्षर विशेष पर नाम रखा जाता है।
उदाहरण के लिए बालक का जन्म अश्विनी नक्षत्र के पहले चरण में हुआ है
तो बालक का नामाक्षर चू होगा। अश्विनी
नक्षत्र में चार अक्षर चू, चे, चो
और ला अक्षर होते हैं। नाम कम अक्षरों वालों होना अधिक उचित होता है।
पुत्र का नाम सम व पुत्री का नाम विषम संख्या में रखा
जाता है।
धन्यवाद।
व्वाहहह..
जवाब देंहटाएंइतना भयभीत
महिलाओं से..
उनको मक्खनबाजी
महिला दिवस से दस दिन से
लगातार लगे हुए हैं..
वाकई हममें शक्ति है
हम न रहे गर तो
तो सारा विश्व जनहीन हो जाएगा
चौंक गए न..सामान्य सी बात
जब प्रजनन ही नहीं होग तो
विश्व को जनहीन होना ही है..
इसीलिए नारी विस्तारक है..और
नारी ही संहारक भी है..
चिंतन करिए
आभार भाई कुलदीप जी
बेहतरीन अंक
सादर..
बहुत सुन्द प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमुझे भी यहाँ शामिल करने के लिए आभार।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की पोस्ट के लिंक को यहाँ शामिल करने के लिए आभार।
कुलदीप जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स ले कर आये हैं । बढ़िया चर्चा
प्रिय कुलदीप भाई, आपकी प्रस्तुति सदैव विशेष रहती है, भले रविवार की व्यस्तता के कारण बहुधा प्रतिक्रिया नहीं दे पाती। आज की सुंदर रचनाओं के साथ भूमिका बहुत अच्छी है। महादेवी जी का कथन आज भी सत्य है।पुरुषों से ज्यादा महिला ने महिला का अहित किया है। दूसरी बात इसके पीछे सदियों के पूर्वाग्रह और चिंताएं रही हैं। पर इसके साथ महिला सशक्तिकरण नहीं हो रहा ऐसा कहना उचित नहीं शायद। क्योंकि महिलाएँ निरंतर सशक्त हो रही हैं। बेटियों की शिक्षा के लिए परिवार प्रबद्धता के साथ खड़े हैं। बेटियां चाँद तक जा पहुँची हैं। कुछ विषमताएँ आज भी बनी हुई हैं। पर मुद्दा ये भी है कि सशक्त होने पर कोई समाज के लिए क्या करता है? ये प्रश्न आज की नारी को खुद से पूछना होगा और दूसरी नारी के प्रति बहुत उदार बनना होगा साथ में स्त्रीत्व की गरिमा और परिवारिक संस्कारों को भी जीवित रखना होगा नहीं तो जीवन मूल्यों पर भीषण संकट आ सकता है। करुणा, दया, स्नेह, और अनेकानेक गुणों की प्रतिमूर्ति नारी सृष्टि का सबसे सुंदर पुष्प है। हमें नारी होने पर गर्व होना चाहिए। सभी सखियों को महिला दिवस की बहुत बहुत
जवाब देंहटाएंबधाई और शुभकामनाएं।
आपको सस्नेह शुभकामनाएँ इस सुंदर प्रस्तुति के लिए🙏🙏🌹🌹
नारी को समर्पित मेरी दो रचनाएँ मेरे ब्लॉग से-
-------1-----
कौन दिखे ये अल्हड़ किशोरी सी?
https://renuskshitij.blogspot.com/2019/04/blog-post_6.html
-----2-----
नदिया तु नारी सी!!
https://renuskshitij.blogspot.com/2018/02/blog-post_10.html
पुनः आभार और शुभकामनाएं 🙏🙏
उव्वाहहहहहह
हटाएंआनन्दित हुई
आपकी ये दोनों रचनाएँ
कल मुखरितमौन में शामिल होंगा
आभार
सादर
*होंगा/होगी
हटाएंआपकी बहुत बहुत आभारी हूँ दीदी |
हटाएंउम्दा अंक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर और रोचक संकलन..
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