कठोर कपाटों से बंद रहता है
और जो मध्य पृष्ठ पर एक दूसरे से जुड़े रहते है।
समुद्री जीव "सीप" एकमात्र ऐसा प्राणी है जो अपने शरीर को कष्ट देने वाले हानिकारक तत्त्वों को मोती में बदल देता है।
जन्तु विज्ञान के वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि सीप न हो तो
पृथ्वी पर स्वच्छ और मीठा पानी मिलना मुश्किल है।
सीप की ऐसी विशेषता होती है कि वह प्रकृति से एक बार आहार ग्रहण करने के बाद लगभग 96 ली. पानी कीटाणुमुक्त करके शुद्ध कर देता है। बचे हुये अपशिष्ट, कण या मृतकोशिकाओं को मोतियों में
बदलने का अद्भुत गुण बस सीप में ही है।
ऐसा माना जाता है कि स्वाति नक्षत्र में वर्षा की जो बूँद सीपी मे गिरती है वह कालान्तर में मोतियों का रुप ग्रहण करती है।
इस सप्ताह शायद हमारे प्रिय रचनाकारों की व्यस्तता अधिक रही होगी इसलिए हमारे रखे गये विषय "सीप"
पर रचनाएँ कम आईं हैं
उम्मीद करते है आने वाले सप्ताह के विषय पर आप सभी का प्रेम हमारे सोमवारीय विशेषांक को मिल पायेगा।
चलिए अब आपकी रचनाओं के सुंदर संसार में-
मुस्कुराता हुआ अंक आपको कैसा लगा? जरुर बताइयेगा।
आदरणीय कुलदीप जी लेकर आयेंगे।
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ..
सभी को शुभकामनाएँ
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन,शायद सत्य कहा आपने श्वेता जी,मैंने भी पुरी कोशिश की पर समय पर अपनी रचना न भेज पायी,विषय बहुत रोचक था सो उत्सुकता थी,पिछले कुछ अंकों से सम्पूर्ण रचनाएँ महिला शक्तियों की तरफ से ही रह रही हैं
सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ.. और इंतज़ार अगले विषय का...
सीप विषय पर लिखी गयी मनमोहक रचनाएँ पढ़ने को मिलीं। सीप के बारे में अच्छी जानकारी मिली। मेरी रचना को पटल पर रखने के लिए आभार। सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसीप के बारे मे पुरी जानकारी के साथ मोहक भुमिका, बहन आंचल जी ने भी अपने काव्य मे सीप के बारे मे सुंदर जानकारी दी है रचनाऐं कम है पर सभी लुभावनी है है मेरी रचना को सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया, सभी सह रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंसुप्रभात उम्दा लिंक्स |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंवाह, वाह!!बहुत खूबसूरत संकलन ..। सभी रचनाएँ लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन आँचल जी का काव्य विशेष जानकारी लिये ...भूमिका विषय उपयुक्त ....हलचल सदा की तरह उम्दा
जवाब देंहटाएंआदरणीया कुसुम दीदी और आदरणीया इंदिरा दीदी आप दोनो के स्नेह आशीष ने हमारी साधारण सी रचना को खास बना दिया हृदयतल से हार्दिक आभार आप दोनो का 🙇🙇
जवाब देंहटाएंआदरणीया श्वेता दीदी सीप के विषय में अद्भुत जानकारी लिए लाजवाब प्रस्तुति 👌
सीप का नाता आमतौर पर मोतियों के साथ ही जोड़ा जाता है पर मोतियों के अलावा भी सीप नाना प्रकार के गुणों का धनी है
सीप एक फिल्टर फीडर है और एक मात्र ऐसा जीव जो अपने अंदर रत्न को जन्म देता है
इसे कुदरत का करिश्मा कह सकते हैं की समंदर के दूषित तत्वों को सीप मोती का स्वरूप दे देता है जो चिकित्सा में भी उपयोगी है
दरसल सीप एक समुद्री जीव घोंघा का घर है जिसमें जब कुछ दूषित कण प्रवेश कर जाते हैं तो घोंघा अपनी त्वचा से निकलने वाले चिकने तरल पदार्थ की परतें उसपे चढ़ाने लगता है जो लंबे वक़्त के बाद मोती बन जाता है
सीप हमे जीवन की अनमोल सीख भी देता है
की आपकी ज़िंदगी में आसपास कितनी भी बुराई हो आपको सीप के समान उन बुराइयों को भी मोती सा अच्छाई में परिवर्तित कर देना चाहिए और उनकी बुराई का ज़रा भी असर स्वयं पर नही होने देना चाहिए
हलचल टीम का हार्दिक आभार आज आपके कारण सीप के विषय में हम सबको कितना कुछ जानने को मिला
सभी आदरणीया रचनाकारों को खूब बधाई
रचना कम ही सही पर सभी उत्क्रष्ट हैं 👌
हमारी रचना को भी स्थान देने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
आप सभी को सादर नमन शुभ रात्रि 🙇
सीप के बारे में बहुत सार्थक जानकारी व् अप्रतिम रचनाओं से सजा सुंदर संकलन ... शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार ।विषय से जुड़ी अनेक जानकारियों तथा सभी मूल्यवान रचनाओं के साथ यह अंक भी अमूल्य बन गया है । साधना जी की सीधी, सरल कथा मन को भा गयी । सभी रचना कारों को सार्थक व सटीक लेखन कार्य व
आपकों सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई ।
सादर ।
हार्दिक धन्यवाद आपका पल्लवी जी ! उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आपका आभार ! ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है !
हटाएंप्रिय श्वेता --- आज की विलक्ष्ण प्रस्तुती से मन को अपार आनन्द हुआ |भूमिका में आपने और प्रिय आंचल ने अपने लघु निबंध में सीप के बारे में बहुत ही बढ़िया जानकारी दी इसके औषधीय गुण भी सुने हैं मैंने | आयुर्वेद में प्रवाल पिष्टी और मुक्तक भस्म इन्ही सीप और मोती से बनती है ऐसा सुना है मैंने | आज भी प्यारी बहनों का वर्चस्व रहा | सभी ने बहुत ही बढ़िया लेखन किया | बहन कुसुम जी की रचना ने मुझे अचम्भित ही कर दिया | गूगल प्लस पर रचनाएँ तो बहुत दिख रही थी पर लिंकों में कम हैं पर जितनी भी है बहुत ही उम्दा हैं | सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई | और आपको इस सुंदर प्रस्तुतिकरण के लिए मेरा प्यार |
जवाब देंहटाएंविलम्ब से प्रत्युत्तर देने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ! इन दिनों प्रवास में हूँ ! आज ही सुविधा मिल सकी है कम्प्युटर खोलने की ! हमकदम के इस सफ़र में साथ साथ बढ़ते हुए अपने कदमों के निशाँ देख कर सुखद अनुभूति हुई ! आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी चयनित रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
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