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शनिवार, 16 जून 2018

1065... ईद की बधाई



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सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

9 जून को दी गई शादी के सालगिरह की
शुभकामनाओं की आभारी हूँ...

मोनू की पहली हवाई यात्रा (बाल कहानी)

वेद और वायुयान

मैं मानता हूं कि यह सब कुछ सत्य है परन्तु तुम उसके गलत कारण ढूंढ रहे हो। तुम स्वयं भटके हुए हो और भटके हुए दिमाग से उन दैविय कारणों को समझने की कोशिश में लगे हो जिनको तुम समझ ही नहीं सकते। पुराण के अनुसार केवल हनुमान ही नहीं हैं जो आकाश में उड़ा करते थे। पुराण अन्य व्यक्तियों का भी उल्लेख करता है जो ऐसा करते थे।

डूबने का डर गर मुझे हो तो कैसे हो मैं तेरा,
कश्ती तेरी , साहिल तेरा और दरिया तेरा @अज्ञात
कुछ ही देर में हमारी यात्रा शुरू होगी अंदमान निकोबार के लिए

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हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहां, कल वहां चले

चरमर- चरमर- चूं- चरर- मरर जा रही चली भैंसागाड़ी!
गति के पागलपन से प्रेरित चलती रहती संसृति महान;
सागर पर चलते हैं जहाज, अंबर पर चलते वायुयान,
पर इस प्रदेश में जहां नहीं उच्छ्वास,भावनाएं चाहे,
वे भूखे अधखाये किसान, भर रहे जहां सूनी आहें, नंगे बच्चे,
चिथरे पहने, माताएं जर्जर डोल रही, है जहां विवशता नृत्य कर रही,
धूल उड़ाती हैं राहें! भर-भरकर फिर मिटने का स्वर,
कंप-कंप उठते जिसके स्तर-स्तर, हिलती-डुलती,
हंफती-कंपती, कुछ रुक-रुककर, कुछ सिहर-सिहर,
चरमर- चरमर- चूं- चरर- मरर जा रही चली भैंसागाड़ी!

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बने ना तुमसे रोटी गोल

कुछ लोग सामाजिक स्तर पर तो आधुनिक हो जाते है,
पर घर में वही ढाक के तीन पात...
कितने ही कीर्तिमान कर ले,रेल,वायुयान चला ले।
पर नहीं।वैसे देखा जाए तो
लेखिकाओं की भी यही दशा है,क्या कर लेंगी लिखकर

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कल और आज

फ़ैशन का छलावा नहीं था;सादगी के प्रति आकर्षण था।
अभिकलित्र नहीं था फिर भी लोग कार्यकुशल थे।
संगणक नहीं था पर लोगों के पास हरतरह की गणना थी।
आलीशान महल नहीं था फिर भी परिवार में शांति थी।
दूरभाष नहीं था पर मन की आवाज़ तक सुन ली जाती थी।

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‘कथाओं से भरे इस देश में… मैं भी एक कथा हूं’

दरियों में दबे हुए धागो उठो
उठो कि कहीं कुछ गलत हो गया है
उठो कि इस दुनिया का सारा कपड़ा
फिर से बुनना होगा
उठो मेरे टूटे हुए धागो

और मेरे उलझे हुए धागो उठो

तुमसे मिलना मुक़द्दर था औ’ बिछड़ना क़िस्मत
इसलिए शिक़ायत कभी होंठों तक ला न सके
फिर मिलेंगे....
अब बारी है....
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम तेईसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है

सीप


मैंने अनजाने ही भीगे बादलों से पूछा
छुआ तुमने क्या
उस सीप में मोती को
बादलों ने नकारा उसे
बोले दुहरी है अनुभूति मेरी
बहुत सजल है सीप का मोती
- रजनी भार्गव
.....................
हम आपको ये बता दें कि सीप का
नक्षत्र स्वाति से गहरा नाता है
और इस नक्षत्र में गिरे जल की एक बूंद को
सीप, मोती मे परिवर्तित कर देती है
उपरोक्त विषयों पर आप सबको अपने ढंग से
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है

आप अपनी रचना आज शनिवार 16 जून 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।
चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं
आगामी सोमवारीय अंक
18 जून 2018  को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें

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धन्यवाद।

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    ईद की शुभकामनाएँ
    इस वर्ष रथयात्रा भी शनिवार को ही है
    और इसी दिन हमारे ब्लॉग की सालगिरह भी है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभातम् दी:),
    खुशियों और दुआओं के रंग से सजा आज का विशेषांक अति उत्तम👌👌
    ईद की शुभकामनाएं सभी को।
    सुंदर रचनाओं का संग्रहणीय संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  3. सादर चरणस्पर्श दीदी...
    बेहतरीन प्रस्तुति...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर हलचल प्रस्तुति।
    विभिन्नता लिये कहीं एक रूप होती रचनाओं का बहुरंगी संकलन ।
    सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. ईद की शुभकामनाएं सभी को। सुन्दर ईद हलचल।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    ईद मुबारक!

    जवाब देंहटाएं
  7. ईद मुबारक ...हलचल हलचल सी यथा नाम तथा गुण सी ...दी नमन 🙏

    जवाब देंहटाएं
  8. वाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । ईद मुबारक ..।

    जवाब देंहटाएं

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