संस्कार व जीवन शैली का एक प्रमुख अंग रही है। किसी भी घर की दहलीज़ उसमें निवास करने
वाले सदस्यों में शुभ व उत्तम संस्कार का संरक्षक व पोषक.है। तभी तो घर की चौखट को
शुभ लक्ष्णयुक्त बंदनवारों से सजाया जाता है।
प्रतिबंधित करने का द्योतक है।
संस्कारहीन होते हैं। दहलीज.मर्यादित रहना सिखलाती है। मानवीय मूल्यों को सहेजकर एक
दायरे में रहकर संयमित जीवन जीने की शिक्षा मिलती है दहलीज़ से।
एक बात विशेष यह है कि विषय पर आने वाली रचनाओं का स्तर बेहद उम्दा होता जा रहा है।
रचनाकारों की कल्पनाशीलता ,लेखनी की धार और विचारों का तारतम्य एक से बढ़कर
एक रचनाओं का आस्वादन करवा रहे हैं।
आपको कैसा लगा कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के
द्वारा अवश्य अवगत करवाइयेगा।
आपके द्वारा सृजित रचनाओं के साथ।
बाईसवाँ क़दम...
जवाब देंहटाएंसच मे हम प्रसन्न हैं
हमारी सीमा दीदी ने हमारा मान रखा
आभार उनको...
अब वे ही बताएंगी आज की प्रस्तुति के बारे में
सखी श्वेता को आभार
शुभ प्रभात
सादर
बहुत सुन्दर प्रयास। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंये सामजिक मान्यताओं की वो दहलीज है जिसे हम बार-बार लांघने की कोशिश करते हैं और अंततः पछतावा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होता। मान्यताओं की दहलीज हमारे समाज के निर्माण का आधारभूत स्तंभ है। इसे नवीकृत कर इसके दायरे में खुद को रखना है हमारी भविष्य की अमूल्य निधि और धरोहर होगी।
जवाब देंहटाएंसुंदर विषय पर अनेकों विलक्षण रचनाएं स्वागत योग्य हैं।
.....रखना ही.....
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ..सभी रचनाएँ एक से बढकर एक ...मेरी रचना को इस सफर का हमसफर बनाने के लिए तहेदिल से शुक्रिया ..।
जवाब देंहटाएंहमकदम का यह सफ़र दिन ब दिन खूबसूरत होता जा रहा है ! हर कदम के साथ विषय के विभिन्न आयामों को छूती अनुपम रचनाओं का रसास्वादन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है ! मेरी रचना को आज के सफ़र में शामिल करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सभी रचनाकारों की रचनात्मकता को सलाम एवं रचनाकारों का हार्दिक अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंदहलीज पर बहुत रोचक और सारभूत भुमिका के साथ शानदार प्रस्तुति श्वेता आपकी ।
जवाब देंहटाएंदेहरी को अलग अलग आयाम देती सुंदर रचनाओं से सजा संकलन मेरी दो रचनाओं को प्रेसित करने के लिये हृदय तल से शुक्रिया। सभी सह रचनाकारों को बधाई।
बहुत ही सुंदर......आभार आप का.......
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति श्वेता जी..सभी रचनाकारों की रचनात्मकता उत्तम।
जवाब देंहटाएंवाह लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय श्वेता दीदी
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ उत्क्रष्टता को प्राप्त हैं
हमारी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार
सभी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाओं के साथ सादर नमन शुभ संध्या 🙇
प्रिय श्वेता -- आज का विलक्षण अंक भी प्यारी बहनों के नांम रहा | दहलीज का महत्त्व एक नारी से बढ़कर कौन समझ पाता है उसे इसे ना लांघने की नसीहत बचपन से दी जाती है | जैसा कि आपके आज के अंक की भूमिका में लिखा है असल में दहलीज हमारी परम्पराओं और नैतिक मूल्यों की सरंक्षक और शुभता की प्रतीक है | यूँ तो आधुनिक घर्रों से मूर्त रूप में दहलीज गायब है पर इसका महत्व अमूर्त होकर भी विद्यमान रहता है | हमारे यहाँ अगर किसी कोई किसी की बेटी के बारे में कोई अर्थहीन शब्द कहता है और संयोगवश उसकी बेटी ना हो तो है तो उसे नैतिक मूल्यों की याद दिलाने के लिए कहा जाता है कि भले आपके घर में बेटी नही देहरी तो है अर्थात बेटी के समकक्ष ही देहरी को उंचा स्थान दिया जाता है | असल में दहलीज मर्यादित आचरण की सीमा रेखा है इसे मानिए तो ये बड़ी महत्वपूर्ण है अन्यथा एक नाम भर है | समाज में हरेक के लिए इसका महत्व होता है नारी प्रतिबद्ध है इसके पालन के लिए तो पुरुषों के लिए भी इसका महत्व कम नही | बहरहाल सभी रचनाओं ने मन मोह लिया | सभी अपनी अपनी जगह महत्वपूर्ण हैं |मुझे प्रिय अपर्णा वाजपेयी और प्रिय बहन कुसुम जी की रचना ने विशेष लगी - हालाँकि सभी ने बहुत अच्छा लेखन किया है-- दहलीज के बहाने से ||दहलीज पर गूगल बाबा पर रचनाएँ खोजेंगे तो लगता है पञ्च लिंकों से बेहतर रचनाएँ नही मिलेगी |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभारी हूँ | सभी सहयोगी रचनाकार बहनों को हार्दिक शुभकामनाये | सफल लिंक संयोजन और सार्थक भूमिका के लिए आपको हार्दिक बधाई और मेरा प्यार |
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी ,
जवाब देंहटाएंनमस्ते ।बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आने का मौका मिला ।रचनाकारों की सटीक, भावुक, संवेदनशील रचनाएं पढ़कर अभिभूत हूं ।बहुत सुंदर संकलन। आपको और सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।मेरे विचारों को सम्मान देने के लिए हृदय से आभार ।
सादर ।
प्रिय श्वेता जी मेरी रचना स्वीकृत करने के लिए धन्यवाद |
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