सादर अभिवादन..
कल ईद हो गई...
अभी सप्ताह भर गहमा-गहमी रहेगी
ज़ाफरानी पुलाव और मीठी सेॆवई की
मीठा उत्सव है ईद-उल-फितर
सभी को शुभकामनाएँ ईद की...
आईए चलते हैं आज सी पसंदीदा रचनाओं की ओर....
सर्वप्रथम आज पितृदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएँ....
पापा....श्वेता सिन्हा
जग सरवर की स्नेह बूँद
भर अंजुरी कैसे पी पाती
बिन "पापा" पीयूष-घट आप
सरित लहर में खोती जाती
प्लावित तट पर बिना पात्र के
मैं प्यासी रह जाती!
हे श्वेत तुंरग उतरे हो कहां से
क्या इंद्र लोक से आये हो
ऐसा उजला रूप अनुपम
कहो कहां से लाये हो
कैसे सुरमई राहो पर तुम
कलाकारी करते समय
कूँची थोड़ा आड़ा-तिरछा कमर की और
जरा सा दूसरे जगह भी अपना रंग दिखा दी...
हाथी पर चढ़े,
टिकने में टक टाका टक अव्यवस्थित
ऐसे कलश को देख मटका आँख मटका दिया...
ये इत्तफ़ाक नहीं है ।
सीमा पर तैनात जवान
रोज़ शहीद हो रहा है ।
तब जाकर इस देश का
हर आदमी
चैन से सो पा रहा है ।
मैं अनन्त पथ गामी,
घायल हूं पथ के कांटों से,
पथ के कंटक चुनता हूं,
पांवों के छालों संग,
अनन्त पथ चल पड़ता हूं,
मुँह फेर लिया फिर आज चाँद
फिर भी मैं तुझे बुलाता हूँ,
कातर नयनों से उबल रहे
मनभावों को ठहराता हूँ;
चाहो, तो लो अग्निपरीक्षा
ऊपर भी पिता...और नीचे भी पिता
पिता नहीं होते तो हम होते ही नहीं...
उलूक का पन्ना...डॉ. सुशील जी जोशी
‘उलूक’
मजबूर है तू भी
आदत से अपनी
अच्छी बातों में भी
तुझे छेद हजारों
नजर आ जायेंगे
ये भी नहीं
आज के दिन ही
कुछ अच्छा
सोच लेता
डर भी नहीं रहा कि
पिताजी पितृ दिवस
के दिन ही
नाराज हो जायेंगे।
आज्ञा दें
यशोदा ...
सस्नेहाशीष व शुभकामनाओं संग आभारी हूँ छोटी बहना
जवाब देंहटाएंपापा याद बहुत आते हैं
दी बहुत सुंदर रचनाओं का बहुत अच्छा अंक है।
जवाब देंहटाएंपितृदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को।
मेरी रचना को स्थान देंने के लिए आभारी हूँ दी।
सादर।
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जवाब देंहटाएंपितृदिवस की शुभकामनाएं। सुन्दर हलचल प्रस्तुति। आभार 'उलूक' के पन्ने को जगह देने के लिये यशोदा जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय यशोदा दी, हलचल की आज की भूमिका को देखते हुए यहाँ कुछ कहने का मन कर रहा है। मेरे घर से कुछ ही दूर मुस्लिम बहुल इलाका है। सड़क के उस पार सामने एक गली में मस्जिद है और दूसरी गली में बड़ा सा भव्य हनुमान मंदिर। मस्जिद से आती पवित्र अजान की आवाज और मंदिर की आरती की घंटियों की मधुर ध्वनि से सुबह का आगाज होता है। यहाँ मानसून की शुरूआत हो गई है पर कल सुबह से देर शाम तक जरा भी बारिश नहीं हुई। मुस्लिम भाई बहन सज सँवर कर घूमने निकले। ईद के मेले सा माहौल था। मुझे ऐसे लगा जैसे उनका त्योहार अच्छे से मन सके,तभी बारिश रुक गई है। जबकि रात के बाद से खूब बरसात हो रही है अब तक.... प्रकृति के लिए सब एक हैं। जाति धर्म का कोई भेदभाव नहीं करती वो.... आइए, हम सब मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमारे देश में सदैव भाईचारा व सद्भाव बना रहे। ईद के बाद आज पितृदिवस है। मेरे लिए पिता का अर्थ है - अडिग हिमालय....प्रहरी, रक्षक, दाता, सहनशील, बाहर से पाषाण सा कठोर किंतु उसी पाषाण से फूटते हैं ना झरने भी तो। ईश्वर की दया से माँ पापा की छत्रछाया बनी हुई है, सौभाग्य मेरा !!!!! सभी पिताओं को इस अवसर पर सादर नमन। बच्चों के जीवननिर्माण में पिता की भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण होती है इसे सभी जानते हैं।
जवाब देंहटाएंआज के अंक में चयनित रचनाकारों को सादर बधाई। बहुत सुंदर अंक दिया यशोदा दीदी, आपका भी सादर आभार!!!!
जवाब देंहटाएंपितृदिवस की शुभकामनाएँँ..बहुत सुंदर रचनाओं से संकलित है आज की प्रस्तुति।
धन्यवाद.. यशोदा दीदी।
हार्दिक आभार यशोदाजी ।
जवाब देंहटाएंमीनजी ने मां की बात कह कर इस चर्चा को आगे बढ़ाया है । यही सद्भावना काम आती है । लोगों को अपना बनाती है । इसकी कभी कमी न हो ।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
सौभाग्य जो इनके बीच जगह पाई ।
नमस्ते
One father is more than a hundred schoolmasters.
जवाब देंहटाएंGeorge Herbert
पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंप्यारी प्यारी रचनाओं का सुंदर संकलन मेरी रचना को प्रस्तुत करने का सादर आभार। सभी सह रचनाकारों को बधाई ।