बारिश की फुहारें आ गयीं
देने तन-मन को सुकूं
लुभाने लगी है अब
कोयल की कुहू-कुहू।
इस बीच विदेश से ख़बर आयी है कि आज भारत स्त्रियों के
लिये दुनिया का सबसे असुरक्षित देश है। जो 2011 में चौथे
स्थान पर था। अमेरिका जैसा विकसित देश भी आज इस सर्वे के
अनुसार 193 देशों की सूची में 10 वें स्थान पर है। हालाँकि हमारी
सरकार ने इस सर्वे को नकार दिया है लेकिन यह गहन चिंता का
बिषय है कि स्त्रियों के प्रति भारतीय नागरिक इतने बदनाम
क्यों हो रहे हैं विश्व स्तर पर.....
हम इस ख़बर से मुँह भी नहीं मोड़ सकते। इसके लिये केवल
सरकार को जवाबदेह ठहराना अनुचित होगा। क़ानूनों को
ईमानदारी से लागू न किया जाना और समाज में जागरूकता का
अभाव व संवेदनहीनता का बढ़ते जाना घोर चिंता का बिषय है।
ऐसे समाचार हमारी सांस्कृतिक छवि तो धूमिल करते ही हैं
साथ ही पर्यटन व आर्थिक पहलुओं को भी प्रभावित करते हैं।
आइये अब आपको ले चलते हैं शब्द ,कल्पना और भाव से रची दुनिया में जहाँ व्यथित मन को सुकूं मिलता है और विमर्श को नये-नये आयाम -
से जिस्म फट गया. कुछ अंग टूट गए. कुछ अटके रह गए.
न इस तरफ़, न उस तरफ़ ---.’
लेती है और हम सालों की दहायियाँ एक साथ पार करने लगते हैं. कहानी बहुत तेज़ी से दौड़ने लगती है और भारत-पाकिस्तान की सरहदों को पार करते हुए वो इंग्लैंड के रिफ्यूजियों तक पहुँच जाती है. यहाँ कहानी में वो दम नहीं रह जाता जो इसके पहले दो भागों में था.
आओ भूत खोद कर लायें
आओ
‘उलूक’
संकल्प करें
प्राणवान
कुछ भी
समझ
में आये
उसका श्राद्ध
गया जाकर
प्राण
निकलवाने
से पहले
करवाने
का आदेश
करवायें
हम-क़दम के पच्चीसवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........
शुभ प्रभात भाई
जवाब देंहटाएंअसुरक्षित तो वह पुरातन काल से है
कामी-कपटी लोग तब भी थे
और अब भी हैं...ये जरूर है कि
अब कुछ ज़ियादा ही हैं
अच्छी प्रस्तुति बनाई आज आपने..साधुवाद
आभार
सादर
चिंतनीय भूमिका लिए उम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंविचारणीय भुमिका के साथ अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
सुन्दर हलचल प्रस्तुति रवींद्र जी। आभार 'उलूक' की बड़बड़ को साझा करने के लिये।
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ,एक विचारणीय भूमिका के साथ । सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी, आभार, इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनमन रवींद्र जी सर्व प्रथम गौपेश जी का तीक्ष्ण और धारदार लेखन का अभिवादन ...संकलन अपनी हलचल बरकरार रखे है उसमें मेरे काव्य को स्थान दिया ...आभार 🙏
जवाब देंहटाएंविचारणीय भूमिका के सुंदर लिंकों का चयन आज की प्रस्तुति को विशेष बना रही है।
जवाब देंहटाएंआभार।
पावस ऋतु आ ही गयी; स्वागत के साथ-साथ जरा सी सावधानी भी बरत लें तो यह खुशगवार मौसम और भी सुहावना हो जाएगा। आनंद लीजिए प्रकृति के इस अनमोल-नायाब-जीवनदायक उपहार का; और हो सके तो भरसक कोशिश और उपाय भी करें गगन से झरते इस अमृत को सहेजने का
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएँ
इस खूबसूरत प्रस्तुति में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय रवींद्रजी। सादर।
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