हम-क़दम के तेईसवें क़दम
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कल मिलिए श्वेता सिन्हा से
रवीन्द्र सिंह..
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबड़े देश कर लेते हैं सम्वाद
हम अपने पड़ोसी से नहीं कर पाते
अच्छी रचनाएँ
आभार
सादर
सस्नेहाशीष व आभार संग शुभ दिवस
जवाब देंहटाएंस्तब्ध हो जाती हूँ अपने लिखे को चयन हुआ देख
वाह!!रविन्द्र जी ,बहुत खूबसूरत संकलन लेकर आए हैं आप !!सभी रचनाएँ बहुत सुंदर ..रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनाओं का गुलदस्ता! उपसंहार वाक्य से पहले ही मन ने पढ़ लिया ' रविन्द्र जी '! बहुत आभार और बधाई, इस सुकृत्य का!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय रवींद्रजी !
जवाब देंहटाएंसुबह जागने के बाद चाय के साथ साथ ही हलचल का अंक देख लेती हूँ। उत्सुकता बनी रहती है कि आज क्या नया पढ़ने को मिलेगा। इधर कल से स्कूल खुलने वाले हैं और व्यस्तता बढ़ गई है। रचनाओं पर प्रतिक्रिया ना दे पाने का मलाल तो रहता है पर पढ़ती जरूर हूँ हलचल की सारी रचनाएँ। बहुत सारी मंगलकामनाओं और धन्यवाद के साथ....
शानदार संकलन सही है मै मानती हूं बातचीत से हल निकलते है बस पूर्वाग्रह छोडने होते है ये बडे स्तर पर ही नही मानव जीवन की छोटी से छोटी ईकाई पर लागू होता है चाहे वो आपसी सम्बन्ध हो चाहे पारिवारिक चाहे रिश्ते दारी चाहे समाज, देश, राजनीति और विश्व स्तर पर,।
जवाब देंहटाएंजानदार भुमिका के साथ शानदार लिंक, सभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचार पंक्तियों की सारगर्भित भूमिका में काफी गहरी बात समेटी है आपने रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बेहद सराहनीय हैं।
बहुत अच्छा अंक है रवींद्र जी।
रवींद्र जी, आभार, मैं 13 जून से छोटा चार धाम यात्रा पर हूँ, इसलिए टिप्पणी विलंब से दे रहा हूँ। सुन्दर प्रस्तुति,इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
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