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मंगलवार, 30 जनवरी 2018

928....क्या थे महात्मा गांधी के अंतिम शब्द!


जय मां हाटेशवरी....
"धाँय...धाँय...धाँय..."। बंदूक से तीन गोलियाँ निकलीं। गोलियों की आवाज के बाद अगली आवाज थी ‘‘हे...राम...।"  70 साल पहले आज ही के दिन दिल्ली के बिरला भवन में नाथू राम गोडसे महात्मा गांधी के पैर छूने के लिए झुका और जब उठा तो उसने एक के बाद एक तीन गोलियां गांधी जी के सीने में दाग दीं.

पहली गोली- बापू के शरीर के दो हिस्सों को जोडऩे वाली मघ्य रेखा से साढ़े तीन इंच दाईं तरफ व नाभि से ढाई इंच ऊपर पेट में घुसी और पीठ को चीरते हुए निकल गई। गोली लगते ही बापू का कदम बढ़ाने को उठा पैर थम गया, लेकिन वे खड़े रहे।

दूसरी गोली- उसी रेखा से एक इंच दाईं तरफ पसलियों के बीच होकर घुसी और पीठ को चीरते हुए निकल गई। गोली लगते ही बापू का सफेद वस्त्र रक्तरंजित हो गया। उनका चेहरा सफेद पड़ गया और वंदन के लिए जुड़े हाथ अलग हो गए। क्षण भर वे अपनी सहयोगी आभा के कंधे पर अटके रहे। उनके मुंह से शब्द निकला हे राम।

तीसरी गोली- सीने में दाईं तरफ मध्य रेखा से चार इंच दाईं ओर लगी और फेफड़े में जा घुसी। आभा और मनु ने गांधीजी का सिर अपने हाथ पर टिकाया। इस गोली के चलते ही बापू का शरीर ढेर होकर धरती पर गिर गया, चश्मा निकल गया और पैर से चप्पल भी।
अहिंसा के इस पुजारी के प्राण हिंसा से लिये गये....जो शायद किसी भी प्रकार उचित नहीं था....


30 जनवरी के मायने
“बारूद में आग लगाने के इतिहासों से अलग
एक तीसरा इतिहास भी है
रहमतशाह की बीड़ियों और
मत्सराज की माचिस के बीच सुलहों का”।

मैंने गांधी को क्यों मारा?
         नाथूराम गोड़से
आजाद भारत के पहले खलनायक माने जाने वाले नाथुराम गोडसे जो पत्रकार थे ओर क्रान्तिकारी भी थे ने माहत्मा गांधी की तीन गोलिया मार के हत्या कर दी थी वो स्वन्त्रत भारत में पहले फांसी पर चढने वाले इंसान थे जो 19 मई 1910 को पुणे से अपनी जीवन यात्रा शुरु करी और अम्बाला की जेल में फासी के फन्दे पर
खत्म हुई बस हम इन्हे इतना ही जानते हैं इससे ज्यादा नही क्योकी भारत सरकार ने इनकी किताब  '' मैंने गाधीं को क्यों मारा?''  पर बैन लगा दिया था लेकिन हम आज आप तक वो भाषण पहुचा रहे है जो इन्होने आदालत में दिया था और हजारो लोग जिसे सुन कर रो पडे थें
 गोडसे ने गाधीं के हत्या करने के 150 कारण न्यायालय के समाने बताये थे। उन्होंने जज से आज्ञा  ली थी कि वे अपने बयानों को पढ़कर सुनाना चाहते है  उन्होंने वो 150 बयान  पढ़कर सुनाए। पर कांग्रेस सरकार ने नाथूराम गोडसे के गाँधी हत्या के कारणों के भाषण की किताब पर बैन लगा दिया कि वे  जनता के समक्ष न पहुँच पायें
हमें सिर्फ 3 भाग ही मिल सके हैं जिन्हे पढ कर आप स्वं ही विचार कर सकते है कि गोडसे के बयानों पर क्यो रोक लगाई ?




क्या थे महात्मा गांधी के अंतिम शब्द!
नई पुस्तक में कहा गया है कि मनु के दिमाग में ये शब्द इसलिए आए क्योंकि उनके अवचेतन मन में नोआखली में महात्मा गांधी की कही हुई यह बात गूंज रही थी कि '' यदि मैं रोग से मरूँ तो मान लेना कि मै इस पृथ्वी पर दंभी और रावण जैसा राक्षस था. मैं राम नाम रटते हुए जाऊं तो ही मुझे सच्चा ब्रह्मचारी, सच्चा महात्मा मानना.''
अलग-अलग राय
किताब के अनुसार महात्मा गांधी के निजी सचिव प्यारेलाल का भी मानना था कि गांधीजी ने मूर्छित होते समय जो शब्द निकले थे वे 'हे राम' नहीं थे. उनका कहना था कि महात्मा गांधी के अंतिम शब्द 'राम राम' थे. ये कोई आह्वान नहीं था बल्कि सामान्य नाम स्मरण था. समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत में जानी-मानी गांधीवादी निर्मला देशपांडे ने इस बात से असहमति जताई है.
निर्मला गांधी का कहना था कि उस शाम बापू जब बिड़ला मंदिर में प्रार्थना के लिए जा रहे थे तब उनके दोनों ओर आभा और मनु थीं. आभा बापू की पौत्री और मनु उनकी पौत्रवधु थीं.

बापू के आख़िरी क्षण
 राष्ट्र पिता को मेरा कोटी कोटी नमन....
अब पेश है....आज के लिये मेरी पसंद के पांच लिंक....

फेसबुक के 'महिलाओं चूप्पी तोडों' ग्रुप में आज का मेरा लाइव साक्षात्कार

1st
https://www.facebook.com/jyoti.dehliwal/videos/1308815629222956/

2nd
https://www.facebook.com/jyoti.dehliwal/videos/1308823382555514/
3rd
https://www.facebook.com/jyoti.dehliwal/videos/1308837569220762/

नक़ाब
उनकी खामोशी नही टूटती
बल्कि और मजबूत हो जाती है
लेकिन जब उन्हें लगता है
हम टूट रहे हैं तो
वो एक और नक़ाब लगाते हैं
दया का
उन्हें इस बात का ज़रा भी
इल्म नहीं की उनके इन हरकतों से
हम उनसे बहुत दूर चले जाते हैं

तूने जिंदा कवि को मार दिया
मैं कहाँ संभाल पाऊँगा कविता
कविता - कविता के इस द्वन्द्व में
पिस जायेगी बेचारी मेरी कविता।
नहीं खोना चाहता कविता को
इसलिए संभालता हूँ कविता
चलो यह एक अच्छी बात हुई
भा गयी, कविता को कविता,
अरे अब पिसने की बारी, मेरी है

क्षणिकाएं
आपसी तालमेल देखा आज हुए सम्मलेन में
छिपी हुई प्रतिभा दिखी छोटे बड़े हर वर्ग में
है यहाँ अपनापन भाईचारा ना की कोई दिखावा
मन होने लगा अनंग इस पर्व में |

दुर्भाग्य - सौभाग्य
 जब भी  दुर्भाग्य प्रबल हुआ है
प्रभु की लीला सौभाग्य बनकर आगे रही है
आज बस इतना ही....

6 फरवरी यानी मंगलवारीय प्रस्तुति....उन सैनिकों के नाम.....
जो इस कड़ाके की सर्दी में भी.....हमारी सरहदों की रक्षा कर रहे हैं.....
उनके जजबे  पर आप की  या आप द्वारा  पढ़ी गयी  रचनाएं.....
4 फरवरी तक इस ब्लॉग के संपर्क प्रारूप द्वारा आमंत्रित है....


धन्यवाद।
एक क़दम आप.....एक क़दम हम
बन जाएँ हम-क़दम अब चौथे क़दम की ओर 
इस सप्ताह का विषय है
:::: इन्द्रधनुष ::::
उदाहरणः
इंद्रधनुष,
आज रुक जाओ जरा,
दम तोड़ती, बेजान सी
इस तूलिका को,
मैं रंगीले प्राण दे दूँ,
रंगभरे कुछ श्वास दे दूँ !
पूर्ण कर लूँ चित्र सारे,
रह गए थे जो अधूरे !

आप अपनी रचनाऐं शनिवार 27  जनवरी 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 05 फरवरी 2018 में प्रकाशित होंगीं। 
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारा पिछले गुरुवारीय अंक 
11 जनवरी 2018 को देखें  या नीचे दिए लिंक को क्लिक करें 
सादर
























9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    अश्रुपूरित श्रद्धाँजली
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गांधी जी की पुण्य तिथि पर आपके द्वारा प्रस्तुत की गयी जानकारी समयानुकूल है । कितना अच्छा होता अगर गोडसे के वे 150 कारण पढ़ने को मिल जाते । किताब खोज कर पढूंगी । आज की रचनाएं बेहद शानदार है। सुन्दर प्रस्तुति । सादर

      हटाएं
  2. सुप्रभातम्
    आदरणीय कुलदीप जी,
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    बापू को सादर नमन,भावभीनी श्रद्धांजलि।
    बहुत आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  3. हाँ एक महात्मा गाँधी भी तो थे । याद दिलाने के लिये आभार कुलदीप जी। सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  4. नमस्ते...
    बहुत सुंंदर प्रस्तुति।
    सादर नमन बापू को।

    जवाब देंहटाएं
  5. समयानुकूल सार्थक प्रस्तुति..
    विस्तृत एतिहासिक जानकारी..
    सादर नमन बापू को..
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत अच्छी सामयिक हलचल प्रस्तुति
    बापू को नमन!

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    गांधी जी को सादर नमन,भावभीनी श्रद्धांजलि।
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद कुलदीप जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. अहिंसा के पुजारी को श्रद्धानमन । सार्थक प्रस्तुति । सादर।

    जवाब देंहटाएं

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