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बुधवार, 3 जनवरी 2018

901..हसरतें तो जरूर पूरी होगी..

३जनवरी२०१८
🙏
।।उषा स्वस्ति।।

वक्त के साथ हम और बढ चले...

उत्सवों, खुशियों का हमारे जनजीवन में बड़ा महत्व है साल भर की खुशियों पर प्रसन्न होने 
और साल भर के दुखों को भूलाने को प्रेरित करता नव वर्ष आगामी जीवन में नया जोश ,
नया आत्मविश्वास. नया उत्साह..

लगता है नया - नया कुछ जादा हो गया 

ठीक है..इत्ता नहीं तो

इत्ती सी हसरतें तो जरूर पूरी होगी..

मुद्दे पर आते हुए आज की प्रस्तुति में हर्फो की तासीर  ढ़ूढ़ते है जिनके रचनाकारों के नाम है 
मधुलिका पटेल जी , शालिनी कौशिक जी,निलिमा शर्मा जी, कैलाश नीहारिका जी, गगन शर्मा जी 
और  अमृता तन्मय जी..



मैंने तो हद कर दी 

वक़्त से ही वक़्त की 

शिकायत कर दी 

--- ~ ---

मेरी मुस्कान गिरवी 

रखी थी जहाँ

वो सौदागर ही न जाने 




  जातिगत टिप्पणी और वह भी फोन पर ,
आप यकीन नहीं करेंगे कि यह भी कोई 
अपराध हो सकता है ,पर आपकी 
जानकारी के लिए बता दूँ कि यह अपराध है अगर जातिगत टिप्पणी सार्वजानिक स्थल पर की गयी है ,ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया जजमेंट में कहा है -
आज एक पंजाबी मूवी 
देख रही थी ( सरदार मोहम्मद) जिसमें नायक को २५ बरस की उम्र में मालूम होता हैं कि वो वर्तमान 
माँ पिता की असल संतान नही हैं किसी और की संतान हैं और उसका पालन पोषण इस घर में 
अपना बच्चा बना कर अच्छी तरह किया गया हैं ..ना चाहकर भी उसका मन टूट जाता हैं और 
उसका मन अपने असल माता से मिलने को आतुर हो उठता हैं

आज भी सुर्ख़ियों में दिखते हो



छत तले भी सजी है जलधारा

क्यों समंदर किनारे लिखते हो

आजकल फूल पत्ते बिकते हैं  

तुम बगीचा सँभाले फिरते हो



एक संभावना और भी कही जाती है कि जर्मनों ने अपने वीनर श्वानों और इस कबाब की एकरूपता के कारण इसे ऐसा नाम दे दिया हो। कारण कुछ भी हो पर एक खाने वाली चीज का ऐसा नाम अनोखा तो लगता ही है ना !!




बड़ा सुख था वीणा में

पर उत्तेजना से

फिर पीड़ा हो गई ......

संगीत बड़ा ही मधुर था

सुंदर था , प्रीतिकर था

हाँ ! गूँगे का गुड़ था

पर आघात से

फिर पीड़ा हो गई .....
━━
आज की बातें यहीं तक और समापन 
डॉ राहत इंदौरी साहब के शब्दों से..
"आँखों में पानी रखों, होठों पे चिगांरी रखों
‌जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखों।
‌राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं है मंजिले
‌रास्ते आवाज देते है सफ़र जारी रखों"
‌।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍





18 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    श्रेष्ठ चयन...
    राहत इन्दोरी की रचना की चंद पक्तियां भा गई
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभातम् पम्मी जी,
    सही कहा आपने जीवन के संघर्षो में चंद पल उत्सव के नाम एक नवीन उत्साह का संचरण करते है।
    सुंदर भूमिका, सराहनीय लिंकों का चयन।बहुत अच्छी प्रस्तुति। बहुत अच्छा तैयार किया है आपने।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात। सच कहा पम्मीजी, नया साल एक मौका है पिछ्ले साल के दुःखों को भूलने का और खुशियों को याद रखने का....भारतीय संस्कृति तो यूँ भी उत्सवप्रधान ही है। आज की तनावग्रस्त और व्यस्त ज़िंदगी में लोग खुश होने के, परिवार व मित्रों के साथ समय बिताने,तकलीफों को भूल जाने के बहाने तलाशते हैं। नववर्ष अपना है या पराया, इससे क्या फर्क पड़ता है...इस बहाने बटोरी गईं खुशियाँ तो अपनी हैं!!! आदरणीया पम्मीजी द्वारा चयनित सुंदर हलचल अंक के लिए सादर बधाई...अस्वस्थता के कारण नववर्ष की बधाई कुछ देर से...सभी ब्लॉगर साथियों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ,मंगलकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा लिंक्स चयन
    प्रस्तुतीकरण शानदार

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति!बधाई और आभार!!!

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात सुंदर प्रस्तुति आदरणीय आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया पम्मी जी।
    बधाई।

    विविधता से परिपूर्ण रचनाओं का ख़ूबसूरत संकलन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।

    संक्षित लेकिन असरदार भूमिका कि उत्सव के बाद जवाबदेही पर लौट आयें।


    अंत में हर दिल अज़ीज़ शायर राहत इंदौरी साहब के अशरार कमाल के हैं, हमें वर्तमान की चुनौती का मुक़ाबला करते हुए आगे बढ़ने का सार्थक संदेश।

    जवाब देंहटाएं
  8. 👌👌👌👌बहूत उम्दा मन को समझाता हर काव्य चयन कर्ता को साधुवाद ..🙏

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  10. यूँ ही हलचल का सुंदर सफर चलता रहे । शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  13. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरणीय पम्मी जी मेरी रचनाओं को स्थान देने पर तहेदिल से शुकि्या।रचनाओं का सुनंदर संकलन ।आपका आभार देरी से वयक्त कर रही हूं क्षमा चाहती हूं ।

    जवाब देंहटाएं

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