"गणतंत्र का मतलब हमारा संविधान,
हमारी सरकार हमारे अधिकार और हमारे कर्तव्य"
भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है
जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ
तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ वो लिखित दस्तावेज़ है
जिसमें हर एक आम और ख़ास के अधिकार और कर्तव्य अंकित है।
हम सब अपने अधिकारों के प्रति इतने सजग होते है
कि आक्रोश व्यक्त करने के लिए अपनी राष्ट्रीय संपत्ति का
सबसे पहले नुकसान करते हैं।
कभी सोचियेगा अपने कर्तव्यों प्रति हम कितने सजग है?
सार्वजनिक स्थलों पर लिखे नियम पढ़ते तो सभी है पर
इन नियमों का पालन हम में से कितने लोग करते हैं?
सार्वजनिक स्थलों पर नागरिकों द्वारा किये गये आचरण और
व्यवहार तय करते है कि किसी भी देश के नागरिक
कितने सभ्य और सुसंस्कृत हैं।
हर नागरिक अगर अपना सिर्फ़ एक कर्तव्य सुनिश्चित कर ले
तो इससे बढ़कर देशभक्ति और कुछ नहीं होगी।
अब चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते है......
आदरणीय पुरुषोत्तम जी
उठो देश!
देखो ये उन्मुक्त मन,
आकर खड़ा हो सरहदों पे जैसे,
लेकिन कल्पना के चादर,
आरपार सरहदों के फैलाए तो कैसे,
रोक रही हैं राहें
ये बेमेल सी विचारधाराएं,
भावप्रवणता हैं विवश,
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आदरणीया कविता रावत जी
अपने धार्मिक स्थलों मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि में
देश की एकता, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करें।
मातृ-भूमि के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावार कर
देने वाले अमर वीर सपूतों को सारे भेदभाव भुलाकर एक
विशाल कुटुम्ब के सदस्य बनकर याद करें।
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आदरणीया रेणुबाला जी
जिन्होंने वारे लाल वतन पे -
नमन करो उन माँओं को ,
जिनके मिटे सुहाग देश - हित-
शीश झुकाओं उन ललनाओं को !!!!!!!!!!
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आदरणीय सुरेश स्वप्निल जी
बाज़ को आस्मां मिला जबसे
ख़ौफ़ में अंदलीब रहते हैं
शाह कुछ अहमियत नहीं देते
किस वहम में अदीब रहते हैं
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आदरणीया पूनम जी
ये समापन काल इस युग का
फैल रही हर जगह व्याधि
क्षत-विक्षत मानवता की कार्यपद्धति,
ले रहा कलयुग समाधि ।
ले रहा कलयुग समाधि ।।
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आदरणीया डॉ.शरद सिंह
चार क़िताबें पढ़ कर दुनिया को पढ़ पाना मुश्क़िल है।
हर अनजाने को आगे बढ़, गले लगाना मुश्क़िल है।
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आदरणीय अरुण साथी जी
करणी सेना हो या मोहम्मदी सेना। देश को अपने कुकृत्य से बदनाम कर रहे है। देश कभी माफ नहीं करेगा। आज सेकुलर होना गाली बताया जा रहा फिर कट्टरपंथी होना क्या है..आप सोंचिये..!
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और चलते-चलते प्रसिद्ध पंक्तियाँ आप भी गुनगुनाइये
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलसिताँ हमारा
ग़ुर्बत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा
शुभ प्रभात सखि री
जवाब देंहटाएंनस-नस मे देश भक्ति भर दी
आप की इस प्रस्तुति में
साधुवाद
सादर
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जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई
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वाह!!सुंंदर प्रस्तुति।गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जय हिंद, जय भारत!!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जय भारत जय भारती
विचारणीय अग्रलेख के साथ कौशलपूर्ण चयन से तैयार किया गया एक शानदार अंक। आदरणीया श्वेता जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंइस अंक के लिए चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं।
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम गड़तंत्र दिवस की शुभकामनायें सभी को
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही गड़तंत्र दिवस समारोह मात्र सरकरी आयोजन नहीं ,ये राष्ट्रीय त्यौहार भी है जिसमें सभी देशवासियों देश भक्ति की भावना से ओत-प्रोत होकर देश के प्रति अपने -अपने श्रधा। सुमन अर्पित करते हैं ।
सही गणतंत्र दिवस समारोह मात्र सरकरी आयोजन नहीं ये राष्ट्रीय त्यौहार भी है..
जवाब देंहटाएंसुंदर भूमिका के साथ बहुत सुंदर प्रस्तुति
उम्दा लिंकों का चयन..
धन्यवाद।
आज 69 वें गणतंत्र दिवस पर इस महत्वपूर्ण अक को बड़े ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करने अद्भुद सामर्थ्य रखने वाली हमारी सक्षम कवयित्त्री आदरणीय श्वेता जी को विशेष धन्यवाद ज्ञापन है।
जवाब देंहटाएंइसमे निहित संदेश का पुनर्उल्लेख करना श्रेयस्कर होगा-
हम सब अपने अधिकारों के प्रति इतने सजग होते है
कि आक्रोश व्यक्त करने के लिए अपनी राष्ट्रीय संपत्ति का
सबसे पहले नुकसान करते हैं।
कभी सोचियेगा अपने कर्तव्यों प्रति हम कितने सजग है?सार्वजनिक स्थलों पर लिखे नियम पढ़ते तो सभी है पर
इन नियमों का पालन हम में से कितने लोग करते हैं?
सार्वजनिक स्थलों पर नागरिकों द्वारा किये गये आचरण और व्यवहार तय करते है कि किसी भी देश के नागरिक
कितने सभ्य और सुसंस्कृत हैं।
हर नागरिक अगर अपना सिर्फ़ एक कर्तव्य सुनिश्चित कर ले
तो इससे बढ़कर देशभक्ति और कुछ नहीं होगी।
पुनःनमण....
. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आपको... उत्तम विचारों से सुशोभित आज की प्रस्तुति मन में देशभक्ति तो भर्ती ही हे,..पर सवाल भी उठाती हे कि ये देशभक्ति कहीं सिर्फ हमारी अंधभक्ति तो नहीं... ..अपने धर्म समाज के नाम पर हमारा अंहकार,तो नहीं जिस देश जल रहा है..अब डर लगता है इंसा होने से.. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं.. सभी रचनाएं अच्छी है।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
उम्दा!! जम्हूरियत के त्यौहार की मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी -- सभी गणतंत्र दिवस की अनंत शुभकामनाओं के साथ आज के अंक के सभी रचना कार साथियों को बधाई | आजके अंक में निहित सन्देश बहुत ही अहम् है | सच है अपने अधिकारों के प्रति सजगता के साथ हमें अपने कर्तव्यों का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए | कानून व्यवस्था के साथ सहयोग कर और समाज और राष्ट्र के प्रति संवेदनशीलता का प्रदर्शन कर हम अपने अच्छे नागरिक होने का सूबूत दे सकतें हैं | यही सच्चा देश भक्त होने की निशानी हैं क्योकि हमारे लोग ही हमारा देश हैं | आजके संकलन के सफल प्रस्तुतिकरण के लिए आपको हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक संयोजन ....
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ...
सुंंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत आभार
जवाब देंहटाएंअप्रतिम अप्रतिम अप्रतिम
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