सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
सच के पीछे का झूठ सच है
या झूठ है झूठ के पीछे का सच
देश की सम्पत्ति नष्ट करने वाले
अपराध को देशद्रोह समझना हितकर
"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"
जन्मभूमि
मैं स्वीकार करता हूँ, मैं सब स्वीकार करता हूँ और
भव्य समुद्र से दूर पानी के बुलबुले की तरह रो पड़ता हूँ,
मेरे देश की देह मेरे हताश हाथों में लेटी हुई है आश्चर्य से
उसकी हड्डियाँ थराथरा गई हैं, और उसकी नसों में ख़ून ठहर जाता है
पत्तियों से निकलते दूध की बूंद की तरह,
फिर घाव के मुहाने पर आकर ठिठक जाता है...
इसके आन पे अगर जो बात कोई आ पड़े ।
इसके सामने जो ज़ुल्म के पहाड़ हों खड़े ।
शत्रु सब जहान हो, विरुद्ध आसमान हो ।
मुकाबला करेंगे जब तक जान में ये जान है ॥
जिसका मुकुट हिमालय
जग जगमगा रहा है
सागर जिसे रतन की
अंजुलि चढ़ा रहा है
वह देश है हमारा
ललकार के कहेंगे
इसे देश की बिना
हम जीवित नहीं रहेंगे
हम अर्चना करेंगे...
हर युग में अवतारों ने आततायी संहारे।
सत्य अहिंसा और धर्म के पाठ पढ़ाये न्यारे।
यह वह देश जहाँ नारी ने शक्ति रूप हैं धारे।
गंगा जहाँ अभ्यंग कराये, जलनिधि पाँव पखारे।
जन्मभूमि सड़क पर यु पी पी ने सुरक्षा घेरा डाल रखा था।
अब मंदिर की तरफ़ आगे बढे तो दर्शनार्थियों का रेला लगा हुआ था।
गेट पर पहले मैनुअली एवं मेटल डिक्टेटर लगा कर दर्शनार्थियों की जांच की जा रही थी।
जेब में रुपए पैसों को छोड़कर कुछ भी भीतर नहीं ले जाने दिया जा रहा था।
मोबाईल इत्यादि बाहर ही रखवाया जा रहा था।
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एक क़दम आप.....एक क़दम हम
बन जाएँ हम-क़दम का तीसरा क़दम
इस सप्ताह का विषय
एक चित्र है...
इस चित्र को देखकर एक रचना लिखिए
उदाहरणः
हो रहे
पात पीत
सिकुड़ी सी
रात रीत
ठिठुरन भी
गई बीत
गा रहे सब
बसंत गीत
भरी है
मादकता
तन-मन-उपवन में
समय होता
यहीं व्यतीत
बौराया मन
बौरा गया तन
और बौराई
टेसू-पलाश
गीत-गात में
भर गई प्रीत
-मन की उपज
...........................
यह चित्र देखकर आप पच्चीस विषयों पर रचना लिख सकते हैंः
मसलनः तितली, फूल, मकरंद,पराग, मौसम, पत्ते, डाल, रंग
इत्यादि इत्यादि
आप अपनी रचनाऐं आज (शनिवार 27 जनवरी 2018) शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।
चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 29 जनवरी 2018 में प्रकाशित होंगीं।
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारे पिछले गुरुवारीय अंक
11 जनवरी 2018 को देखें या नीचे दिए लिंक को क्लिक करें
फिर मिलेंगे
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
सदा की तरह मुस्कुराती प्रस्तुति
सादर
सुप्रभात विभा दी,
जवाब देंहटाएं"जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी"
बेहद उम्दा,सारी रचनाएँ सराहनीय है।
सदा की भाँति एक विषय पर आपकी अनुपम प्रस्तुति दी।
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक विषय पर आधारित सुंंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या सुंदर संकलन हमेशा की तरह बढ़िया पोस्ट की अफवाह का
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