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रविवार, 21 जनवरी 2018

919,....."बावला हो गया के....पिच्छे न लग बवाल हो जावेगा"

बवाली बवाल ने ऐसा बलवा मचाया
कि चिट्ठा जगत बावला हो गया है
............................
बिना बवाल के कोई रचना ही नही है
ऐसा नशा बवाल का कि लोग वसंत और
वसंत पंचमी को भुला बैठे.....
हमारे शहर के एक ऑटो के पीछे लिखा देखा
"बावला हो गया के....पिच्छे न लग बवाल हो जावेगा
"
बताइए किया क्या जाए....
बहरहाल पेशे खिदमत है बिना बवाल की रचनाएँ....

जरूरत होती है इंसान को,
सदा ही दूसरे इंसान की।
सोचता हूं क्या होता,
अगर मैं आने ही न देता,
किसी को जीवन में अपने।
पर संभव ही न था ऐसा हो पाना,



फूल खुशबू चमक तितलियां आ गईं
माँ के घर जब सभी बेटियाँ आ गईं

जा के अंदाज़ ताकत का फिर लग गया 
जब बगावत में सब लड़कियां आ गईं

मुझको उस पार जाना कठिन जब लगा 
फिर दुआ माँ ने की कश्तियाँ आ गईं

आवो सखी आई बहार बसंत 
चहूं और नव पल्लव फूले 
कलियां चटकी 
मौसम मे मधुमास सखी री 
तन बसंती मन बसंती 
और बसंती बयार सखी री


वीणावादिनी.... मीना शर्मा
वीणावादिनी ! वरदहस्त तुम
मेरे सिर पर धर देना...
अपनी कृपा के सुमनों से माँ,
आँचल मेरा भर देना !
ठगी...विभारानी श्रीवास्तव
दस मिनट के शोर में मोल तोल(बार्गेनिंग) के बाद 10-10₹ में पटा और श्रीमती की मंडली 10-10 माला खरीद कर गाड़ी में बैठीं
एक ने पूछा क्या करेंगी इतनी मालाएँ
-अरे सौ रुपये की ही तो ली है... किसी को देने लेने में काम आ जायेंगे
-दस रुपये की माला पहनेगा कौन
-कन्याओं को पूजन में देने के काम आ जाएंगी..
-काम वाली को देने से बाहर का तौहफा हो जाएगा



शहर में कोई हिन्दू मरा
मैं इसके खिलाफ हूं
कोई मुस्लिम
दंगों का शिकार हुआ
मैं उसके खिलाफ हूं
किसी सिक्ख के धर्म का अपमान हुआ
मैं उसके भी खिलाफ हूं
किसी ईसाई को अपने ही देश में
विदेशी कह कर मारा जाए
मैं इसके भी खिलाफ हूं
न मोहताज़ हो तुम किसी के,
न मोहताज़ हम हैं किसी के,
पर खाई थी हमने कसमें,
ये जीवन साथ बिताने का। 

सूना हो जाता है आँगन सारा,
जब-जब चली जाती है बिटिया ।  
कोई नहीं रखता ध्यान इतना,
बिना कहे जितना करती हैं बेटियां ।

आज .
अब. .
बस..
दिग्विजय

अजी छोड़ो बिना बात बातें बवाली
ये बवाल अब बड़ा मनचला हो गया है 
...............
नोटः ऊपर व नीचे की पंक्तिया सुधा दी की रचना से ली गई है 

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात....
    बेहतरीन रचनाएँ
    वसंज पंचमी के ठीक एक दिन पहले
    की प्रस्तुति
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा पठनीय लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी रचनाएँ।मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार सस्नेहाशीष संग (जमाई/अनुज)
    कल के बवाल/वबाल की प्रतीक्षा है
    अति सुंदर प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  6. दिग्विजय जी , आभार, आपका प्यार सदैव मिल रहा है। इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचनाओं के साथ सुंंदर प्रस्तुति..
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर प्रस्तुति । मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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