भाई संजय जी अब तक नहीं दिखे
सो आज मैं फिर से आपके समक्ष.....
आज मेरी पसंदीदा रचनाएँ कुछ यूँ है.....
बचपन यार अच्छा था.... मदनमोहन सक्सेना
जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी
बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था
बारीकी जमाने की, समझने में उम्र गुज़री
भोले भाले चेहरे में सयानापन समाता था
शिव नाम ही काफी है......कंचन प्रिया
शिव नाम ही काफी है जीने के लिए
कोई और सहारा क्यूँ चाहिए
बड़े भोले है मन के प्रबल दानी
पल में ढ़ुलते हैं बस भोलापन चाहिए
आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं
सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति
आपकी लग्न को सलाम
बढ़िया रचना पढवाने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंयशोदा जी आपका धन्यवाद।
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