बारिश हो रही है
सारे विश्व के मौसम से
बहुत कुछ हट के
रहता है अपने भारत का मौसम
तीन ऋतुएँ और
इन तीन ऋतुओं की
दो-दो उप ऋतुएँ सिर्फ और सिर्फ
भारत में ही होती है..
चलिए..बाते तो होती रहेंगी..लीजिए आज की रचनाओं का ज़ायजा
मत करो न साधना घायल मेरी....शैल सिंह
जलती सांसों पर बोल गीतों के
सुमधुर स्वर ताल में कैसे लाऊँ
ऊषा बदली बदले सभी सितारे
उलझे हालात मैं कैसे सुलझाऊँ
ये है आज की शीर्षक रचना
......
आज्ञा दें यशोदा को..
फिर मुलाकात होगी..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर...
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
आपके द्वारा चयनित लिंक
जवाब देंहटाएंउत्तम है...
पसंदीदा रचनाओ के रचनाकार
मुझे लगता है ...
पाठकों के लिए नहीं
आत्मसंतुष्टि के लिए
ही लिखते हैँ
है तो कड़ी बात
पर सही है
सादर
प्यारे लिंक्स
जवाब देंहटाएंखुद को पाकर अभिभूत हूँ