‘एक एवं तदा रुद्रो न द्वितीयोऽस्नि कश्चन’ सृष्टि के आरम्भ में एक ही रुद्र देव विद्यमान रहते हैं, दूसरा कोई नहीं होता। वे ही इस जगत की सृष्टि करते हैं, इसकी रक्षा करते हैं और अंत में इसका संहार करते हैं। ‘रु’ का अर्थ है-दुःख तथा ‘द्र’ का अर्थ है-द्रवित करना या हटाना अर्थात् दुःख को हरने (हटाने) वाला। शिव की सत्ता सर्वव्यापी है।
एक पागलपन भी पोकेमॉन गो और अरहर की दाल....अंशुमाली रस्तोगी वाकई इंसान की 'दीवानगी' का कोई ठौर नहीं। कब, कहां, किस पर 'मेहरबान' हो जाए। एक तरफ लोगों में पोकेमॉन गो को लेकर क्रेज है तो दूसरी तरफ रजनीकांत की तस्वीरों को दूध से नहलाया जा रहा है। फिलहाल, मैं पोकेमॉन गो के बदले मुफ्त अरहर की दाल पाने के इंतजार में हूं। देखना है, कब तक नसीब होती है।
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बहुत मेहनत की है इस निखरी हुई प्रस्तुति में । आभारी है 'उलूक' उसके सूत्र को शीर्षक देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबादल हैं कि बरसते ही जा रहे हैं और उस पर आपकी यह सावनी प्रस्तुती..जैसे सोने में सुहागा..गीत सुनकर वाकई बारिश में भीगने का मन हो रहा है
जवाब देंहटाएंसुंदर सावनमय प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सावनी गीत प्रस्तुति के साथ सुन्दर सावनी फुहार भरी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमतलब
जवाब देंहटाएंकल मन था
आपका
प्रस्तुति बनाने का
गीत बढिया चुना..
सावन के इस गीत का तो आनद अलग ही है ... अच्छे लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे शामिल करने का ...
बारिश की तरह
जवाब देंहटाएंसुहानी
प्रस्तुति