आज की प्रस्तुति मिली जुली सरकार की ओर से
कुछ मेरी पसंद के हैं..और
कुछ मेरी सरकार की पसंद के
ये सब इन्टरनेट के चलते है...
हम दोषी नहीं है ....
......संकलन से
: एक खूबसूरत सोच :
अगर कोई पूछे जिंदगी में क्या खोया और क्या पाया,
तो बेशक कहना, जो कुछ खोया वो मेरी नादानी थी और जो भी पाया वो प्रभु की मेहरबानी थी, खूबसूरत रिश्ता है मेरा और भगवान के बीच में, ज्यादा मैं मांगता. नहीं और कम वो देता नहीं..
कालीपद "प्रसाद"...
सारी सारी रात-जग जिन के लिए
पूछते वे जागरण किन के लिए |1|
चाँद तारों तो झुले हैं रात में
एक सूरज को रखा दिन के लिए |२|
मालती मिश्रा..
'आधुनिक नारी' यह शब्द बहुत सुनने को मिलता है। कोई इस शब्द का प्रयोग अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए करता है मसलन "मैं आधुनिक नारी हूँ गलत बात बर्दाश्त नहीं कर सकती।"
राजेश त्रिपाठी..
देखो कुटिया का दम अब घुटता है।
सामने इक महल आ तना होगा।।
उसकी आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं।
सपना सुंदर-सा छिन गया होगा।।
आज की शीर्षक रचना...
किसी उजड़े हुए दिल का गुबारो-गर्द होगा
सुना है आज मौसम वादियों में सर्द होगा
मेरी आँखों में जो सपना सुनहरी दे गया है
गुज़रते वक़्त का कोई मेरा हमदर्द होगा
आज्ञा दें मिली जुली सरकार को..
फिर मिलेंगे..
दिग्विजय
सरकार मिलजुल कर मजबूती के साथ चलती रहे । सुन्दर सूत्र प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंशुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति आज के लिंक की। सभी रचनाएँ बेमिसाल हैं। कृपया अन्यथा न लें मेरा नाम मालती मिश्रा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति आज के लिंक की। सभी रचनाएँ बेमिसाल हैं। कृपया अन्यथा न लें मेरा नाम मालती मिश्रा है।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
हटाएंक्षमा चाहती हूँ
सुधार रही हूूँ
कृपया पुनः देखें
सादर