उनके हर ख़त पे महकने लगे यूँ
वो आस-पास हो चहकने लगे यूँ
खुशबू फूलों की थी उस खत में या मुहब्बत की
शाखे आर्जू झुकने लगे यूँ
वो आस पास हो चहकने लगे यूँ
इधर भी उधर भी
तस्वीर दिल में थी उनकी इसकदर बसी हुई
उनके होंठों के जाम लब पे मेरे
छलकने लगे यूँ
वो आस-पास हो चहकने लगे यूँ
जिस प्रकार घर के प्रत्येक सदस्य का अपने घर-परिवार के प्रति कोई न कोई कर्तव्य होता है और हर सदस्य अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी से करता है, उसी प्रकार समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पूरी ईमानदारी से पालन करे तो शायद हमें यह कहने की आवश्यकता ही न पड़े कि सरकार कुछ नहीं करती। हम ये नहीं कहते कि सरकारें हमेशा सही ही करती हैं यदि ऐसा होता तो कोई परेशानी ही क्यों होती परंतु क्या अपने कर्तव्यों का बोझ भी सरकार पर डाल कर सिर्फ कमियाँ गिनवाने के लिए खड़े हो जाना ही हमारा काम है? या यही समस्याओं का हल है.....मैं समझती हूँ कि नहीं।
उछलकूदिया न बनें इधर रहें या उधर
हम सभी चाहते हैं कि हम जो कुछ पाना चाहते हैं वह प्राप्त करने में कोई अड़चन न आए और सहजता से प्राप्त हो जाए। इसके लिए यह जरूरी नहीं कि हम लाभ-हानि के अनुरूप अपनी भूमिकाएं रंगमंचीय पात्रों या बहुरूपियों की तरह बदलते रहें, चाहे जिसके पीछे-पीछे चलने लगें, अनुकरण करते रहें और उन सारे कामों में रस लेने लगे जिनसे हमारे स्वार्थ सधते हैं।
गम के आँसू
ग़म के हों या ख़ुशी के हों आंसू
वैसे तो एक जैसे होते हैं,
पर न जाने मुझे
ऐसा क्यों महसूस होता है
कि जो आंसू ग़म में निकलते हैं,
उनमें नमक थोड़ा ज़्यादा होता है.
कैसी ये आपा धापी से मानव ने खुद को जोड़ लिया
इस कलयुग के बेटे ने जिंदगी का यो आगाज किया
बूढी आँखे बहते आँसू सब कुछ नजर अंदाज किया
इस कलयुग के बेटे ने
कैसे जियेंगे तुझ बिन हमको इतना तो समझा देते
अच्छा होता वृद्धाश्रम के बदले शमशान पहुंचा देते
चीते और गधे का किस्सा बेमिसाल लगा। यहाँ सांझा करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
सादर
अक्सर यह लोग बहस करने को ललकारते दिखाई देते हैं कोई कमी नहीं विद्वानों की , सज़ा तो मिलनी ही चाहिए चीते को ...
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात भैय्या
हटाएंआभार..
सादर
Badhiya:)
जवाब देंहटाएंहा हा अच्छा तभी आज सारे चीते अपने अपने नाखूँनों को घिस रहे हैं और दाँतों को निकलवा रहे हैं :)
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
सुंदर हलचल....
जवाब देंहटाएंआभार आप का....
ati sundar
जवाब देंहटाएंmujhe bhi blogging ke kuch tips den hamara blog hai www.bhannaat.com
जवाब देंहटाएंकमन भाई
हटाएंआप नित्य प्रति पठन किया कीजिए
टिप आपको अपने आप मिल जाएगी
सादर
यशोदा
बहुत सुंदर प्रस्तुति,आजकल इसीलिए चीते गधे से कन्नी काटते नजर आते है।
जवाब देंहटाएंलिंक में हमारा लेख भी सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
बढ़िया लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
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