संजय जी आज फिर नही हैं
लगता है भूल गए..कि
वे चर्चाकार भी हैं इस ब्लॉग के
आज की शुरुआत उन्ही की एक रचना से
संजय भास्कर...
उस डायरी पर
तब एक लम्हे में जिंदगी जी
लेने का अहसास
मुस्कुराहटें कुछ तस्वीरें
और कुछ अधूरी सी कवितायेँ
और बहुत कुछ बीते कल के बारे में
पुरानी यादों को ताजा कर गया !!
नीरज कुमार "नीर".......
नदी को लगता है
कितना आसान है
समंदर होना
अपनी गहराइयों के साथ
झूलते रहना मौजों पर
शैल सिंह......
ये प्रस्तुति अभी-अभी बनाई हूँ
मेरी डायरी के मुुड़़े हुए पन्ने हैं ये
सादर..
चलते चलते कविता दीदी के लिए..
"आ तेरी उम्र मै लिख दूँ चाँद सितारों से
तेरा जनम दिन मै मनाऊ फूलों से बहारो से
हर एक खूबसूरती दुनिया से मै ले आऊँ
सजाऊँ यह महफ़िल मै हर हँसी नजारों से
उम्र मिले तुम्हे हजारों हजारों साल ...
हरेक साल के दिन हो पचास हजार !!"
हार्दिक शुभ कामनाएँ...
यशोदा
बढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं.... http://HindistoryWeb
शुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
उम्दा लिंक्स के साथ प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंयशोदा जी अपनी डायरी के मुुड़़े हुए पन्नों से निकले इस अनमोल उपहार से में मन भावविभोर हुआ, बहुत-बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहलचल प्रस्तुति में पोस्ट शामिल करने व मान देने हेतु आभार!
अच्छी रचनाओं का बढिया संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया यशोदा जी इंटरनेट की धीमी गति के कारण आज प्रस्तुति नहीं बना पाया
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार
सादर
संजय भास्कर
बहुत उम्दा लिंक्स । सादर धन्यवाद् नदी और समंदर को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंYashoda ji , mere rachna ko shamil karne k liy haadrik aabhaar.
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