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शनिवार, 11 जून 2016

330 ..... मैं प्रकृति हूँ





सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष



याद करें ये देश तुम्हे और परदेश में भी छा जाओ




पर मेरा पूछे एक सवाल
अगर बारिश में अपने घर  छत टपका पानी
तो कब  तक  रहोगे
या फिर अपनी छत बनवाओगे
खुद तो भारत छोड़ बस गए परदेश
क्या अपने देश  खातिर तुम कुछ नहीं  जाओगे
न लौटो देश  पर कुछ ऐसा कर जाओ







मगर सोचा नही यह कभी पहले
ये कंक्रीट के जंगल
मेरे एक झटके में हो जायेंगे कंकड़
करके सब विनाश
करेगा तू अब विकास
अब बादलों को भी तू है बांधता
गगन को अपने निकट है मांगता


शिखा शिखर



वे इन दिनों जीवन के शिखर पर थे। हालाकि मुकाम
अभी कई और थे जिन्हें वे छू लेना चाहते थे।
कई शख्श कई शरीरों में एक साथ रहते हैं।
मन :भाव बने रहते हैं कइयों के। मुझे अक्सर ऐसा ही लगा
वे मेरा भी एक्सटेंशन हैं। सम्पूर्ण थे शिव की तरह चन्द्र शेखर।


नया - पुराना



बात अभी चल ही रही थी कि बटुए के सभी नोट सहम गए।
हाथ का अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा उंगली ने बटुए के भीतर झांका।
पुराना नोट खींच लिया गया।
नए नोट ने राहत की सांस ली
और वह आराम से सो गया।



एक स्कूल के 42 छात्र टाॅप टेन में आ जाते हैं
दूसरे बैठे रो रहे हैं अगर वाकई में वो स्कूल इतने अच्छे
विद्यार्थी तैयार करता है तो आपको पूरे बिहार में
ऐसे स्कूलों की स्थापना करनी चाहिए ।
बाकी।सच क्या है आप बेहतर जानते हैं ।




मेरी नौ कवितायें




हमारे यहां दंगे में सब नंगे होते हैं साहब यहां हिंदू मुस्लिम नहीं मरता
सिर्फ इंसान मरता है साहब देखिए कहीं आपकी रोटी ना जल जाए
इस आँच में आग बहुत तेज है साहब ,,,,,,,,, एक दिन सभी औरतें जला दी जाएंगी
और हम गलबहियाँ डाले अस्थियां चुन रहे होंगे घरों के कपाट
खुले रहेंगे भेड़िये अपनी मर्जी से औरतों को नोच जाएगा
और हम तमाशबीन बने रहेंगे औरतों के जिस्म पर चर्बी नहीं
सिर्फ हड्डी हुआ करेगी और हम हड्डियों की बाँसुरी निर्माण में
 लगे रहेंगे जो सिर्फ आँखो से बजा करेगी




जलती रही जौहर में नारियां




रणभूमि में जिनके हौसले
दुश्मनों पर भारी पड़ते थे.!
ये वो भूमि है जहॉ पर नरमुण्ड
घण्टो तक लड़ते थे.!!
रानियों का सौन्दर्य सुनकर
वो वहसी कई बार यहाँ आए.!





फिर मिलेंगे ..... तब तक के लिए
आखरी सलाम


विभा रानी श्रीवास्तव



4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति |

    आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

    ​http://hindikavitamanch.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  3. सादर चरणस्पर्श दीदी
    बेहतरीन व समसामयिक प्रस्तुति
    अच्छी लगी
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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