सादर अभिवादन
सृष्टि के रचयिता, पालनहार, कर्ता-धर्ता तो सब प्रभु हैं, फिर अभिमान किस बात का? इस संसार में सभी जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वृक्ष यहां तक कि मनुष्य भी ईश्वर के बनाए हुए हैं। इस निर्माण के पीछे सृष्टि के रचयिता का मुख्य उद्देश्य किसी भी कार्य को पूर्ण कराने के लिए माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना है। जब प्रभु की बनाई वस्तु का उद्देश्य पूर्ण हो जाता है, तब वह दुनिया से समाप्त हो जाती है। कहते हैं, अहंकार तो अपने-अपने समय के सबसे शक्तिशाली कहे जाने वाले कंस और रावण का भी नहीं रहा। आधुनिक समय में विश्व विजेता कहलाने वाले एडोल्फ हिटलर और नेपोलियन जैसे शक्तिशाली व्यक्ति का भी अहंकार चूर-चूर हो गया।
जिसके अभिमान की गति जितनी तेज होती है, उस मनुष्य का पतन उतनी ही जल्दी होता है। यह तब होता है जब मनुष्य को लगता है कि इस संसार में उससे ज्यादा श्रेष्ठ और कोई नहीं है। जब वह यह सोच लेता है तो निश्चित तौर पर वह अपना विनाश खुद कर लेता है। वह जिस बात का गुमान करता है, उस क्षेत्र में तरक्की नहीं कर पाता। वह घमंड में इतना डूब जाता है कि उसे सही गलत, कुछ भी नजर नहीं आता है। वह अपने ही दंभ के जाल में फंस जाता है।
होते हैं रचनाओं से रूबरू
भारत में सिबलिंग डिवोर्स-
भारत में, भाई-बहन के बीच तलाक को 'सिबलिंग डिवोर्स' कहते हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जब भाई-बहन के रिश्ते में खटास आ जाती है या वे इमोशनली रूप से एक-दूसरे से दूर हो गये हैं. यह शब्द बॉलीवुड सिंगर नेहा कक्कड़ की बहन सोनू कक्कड़ की सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के बाद ज्यादा चर्चित हुआ है.
हवा
कब जाहिर करता है
अपना प्रेम!
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पानी का प्रेम
तो होता है
रंगहीन, स्वादहीन!
अंडे से निकला चूजा वह
उसे ही हिकारत से देखने चला।
वह घोड़े पर क्या सवार हुआ
बाप पहचानना भूल गया ।।
पतन से पहले इंसान में मिथ्या
अभिमान आ जाता है ।
जमीनों और कमीनों का
भाव कभी कम नहीं होता है।।
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आज बस
सादर वंदन
बहुत बढ़ियाँ प्रस्तुति
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