आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
आँखों में फिर कोई ख़्वाब भर रहा हूँ मैं,
न कोई जुलूस है, न ही विप्लवी शोरगुल,
जनारण्य के मध्य, एक खंडहर रहा हूँ मैं,
धुँधली साया मां की आवाज़ से बुलाए है,
घर लौट जाऊं, मुद्दतों दर ब दर रहा हूँ मैं,
मिलते हैं अगले अंक में।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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जो दूसरों के काम आ सके पर
जवाब देंहटाएंस्वयं के लिए
जीना क्या हे?
सुंदक अंक
वंदन
सुंदर अंक ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! सराहनीय रचनाओं की खबर देता शानदार अंक !
जवाब देंहटाएंअनुपम रचनाएं, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार नमन सह ।
जवाब देंहटाएंश्वेता जी,
जवाब देंहटाएंसम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद 🙏
आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपके ब्लाग की सामग्री अच्छी लगी। सादर,
जवाब देंहटाएंशानदार अंक!
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