कुछ सोचिए व समझिए ..
शहर के बाहरी हिस्से में मल्टी नेशनल कम्पनी में काम करने वाले एक सेल्स मैनेजर नवीन अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते थे। वह रोज सुबह काम पर निकल जाते और देर शाम को घर लौटते।
एक बार कुछ चोरों ने मैनेजर के घर में चोरी करने का मन बनाया। चोरी करने के दो-चार दिन पहले से ही वे उनके घर के आस-पास चक्कर लगाने लगे और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने लगे।
एक दिन चोरों ने एक अजीब सी चीज देखी। मैनेजर साहब जब शाम को लौटे तो वह घर में घुसने से पहले बागीचे में लगे आम के पेड़ के पास जाकर खड़े हो गए। उसके बाद उन्होंने अपने बैग में से एक-एक करके कुछ निकाला और पेड़ में कहीं डाल दिया। चूँकि उनकी पीठ चोरों की तरफ थी इसलिए वे ठीक से देख नहीं पाए कि आखिर मैनेजर ने क्या निकाला और कहाँ डाला।
खैर! इतना देख लेना ही चोरों के लिए काफी था। उनकी आँखें चमक गयीं; उन्होंने सोचा कि ज़रूर मैनेजर ने वहां कोई कीमती चीज या पैसे छुपाये होंगे।
मैनेजर के अन्दर जाते ही चोर थोड़ा और अँधेरा होने का इंतज़ार करने लगे और जब उन्हें तसल्ली हो गयी कि मैनेजर साहब खा-पीकर सो गए हैं तो वे धीरे से बाउंड्री कूद कर उनके घर में दाखिल हुए।
बिना समय गँवाए वे आम के पेड़ के पास गए और मैनेजर साहब की छिपाई चीज ढूँढने लगे। चोर हैरान थे, बहुत खोजने पर भी उन्हें वहां कुछ नज़र नहीं आ रहा था..वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर मैनेजर ने किस चतुराई से चीजें छिपाई हैं कि इतने शातिर चोरों के खोजने पर भी वे नहीं मिल रही हैं!
अंत में हार मान कर चोर वहां से चले गए। अगले दिन वे फिर छिपकर मैनेजर के ऑफिस से लौटने का इंतज़ार करने लगे।
रोज की तरह मैनेजर साहब देरी से घर लौटे। आज भी वे घर में घुसने से पहले उसी आम के पेड़ के पास गए और अपने बैग से कुछ चीजें निकाल कर उसमे डाल दी।
एक बार फिर चोर सबके सो जाने पर पेड़ के पास गए और जी-जान से खोजबीन करने लगे। पर आज भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा।
अब चोरों को कीमती सामान से अधिक ये जानने की जिज्ञासा होने लगी कि आखिर वो मैनेजर किस तरह से चीजों को छिपता है कि लाख ढूँढने पर भी वो नहीं मिलतीं।
अपनी इसी जिज्ञासा को शांत करने के लिए वे सन्डे की सुबह शरीफों की तरह तैयार हो कर मैनेजर साहब से मिलने पहुंचे।
उनका लीडर बोला, “ सर, देखिये बुरा मत मानियेगा…दरअसल हम लोग चोर हैं! हम लोग कई दिन से आपके मकान में चोरी करने का प्लान बना रहे थे..लेकिन जब एक दिन हमने देखा कि आप ऑफिस से लौट कर आम के पेड़ में कुछ छुपा रहे हैं तो हमे लगा कि बस काम हो गया…हम आराम से आपकी छुपायी चीज लेकर गायब हो जायेंगे और चोरी का माल आपस में बाँट लंगे…पर पिछली दो रात हम सोये नहीं और सारी कोशिशें करके देख लीं कि वो चीजें हमें मिल जाएं; पर अब हम हार मान चुके हैं…कृपया आप ही हमें इस पेड़ का रहस्य बता दें!”
उनकी बात सुनकर मैनेजर साहब जोर से हँसे और बोले, “अरे भाई! मैं वहां कुछ नहीं छिपाता!”
“फिर आप रोज शाम को बैग से निकाल कर वहां क्या डालते हैं?”, लीडर ने आश्चर्य से पूछा।
“देखो!”, मैनेजर साहब गंभीर होते हुए बोले, “ मैं एक प्राइवेट जॉब में हूँ…वो भी सेल्स की…मेरे काम में इतना प्रेशर होता है, इतनी स्ट्रेस होती है कि तुम लोग उसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते! रोज किसी नाराज़ कस्टमर के ताने सहने पड़ते हैं…रोज सेल्स टारगेट को लेकर बॉस क्लास लगाता है…रोज ऑफिस पॉलिटिक्स के कारण दिमाग खराब होता है…मैं नहीं चाहता कि इन सब निगेटिव बातों का असर मेरे प्यारे बच्चों और परिवार पर पड़े! इसलिए जब मैं शाम को इन तमाम चीजों को लेकर लौटता हूँ तो घर में घुसने से पहले मैं इन्हें एक-एक करके इस आम के पेड़ पर टांग देता हूँ…और कमाल की बात ये है कि जब मैं अगली सुबह इन चीजों को पेड़ से उठाने आता हूँ तो आधी तो पहले ही गायब हो चुकी होती हैं, यानी मैं उन्हें भूल चुका होता हूँ…और जो बचती हैं मैं उन्हें अपने साथ लेता जाता हूँ…”
चोर अब पेड़ का रहस्य समझ चुके थे; वे चोरी में तो कामयाब नहीं हुए लेकिन आज एक बड़ी सीख लेकर घर लौट रहे थे!
ना जाने क्यों इंसान अपनी जिंदगी को खुद ही कठिन बनाता चला जा रहा है। पहले के लोग जहाँ सुख-सुविधाओं के कम होने पर भी खुश रहते थे…तनाव मुक्त रहते थे, आज सब कुछ होने पर भी हम एक दवाब भरी जिंदगी जी रहे हैं। इस अवस्था को रातों-रात बदला तो नहीं जा सकता पर एक काम जो हम तुरंत कर सकते हैं वो है अपनी स्ट्रेस का असर अपने परिवार पे ना पड़ने देना।
आपने कई बार सुना भी होगा…ऑफिस को ऑफिस में रहने दो, घर मत लाओ! शायद पेड़ का ये रहस्य आपको इस बात को अमल करने में मदद करे! तो चलिए,अपने आप से एक वादा करिए कि आज से आप भी बाहर की तकलीफ को घर में प्रवेश नहीं करने देंगे और ना ही उसका असर अपने व्यवहार पर आने देंगे..आज से आप भी अपनी नकारात्मकता को घर के बाहर कहीं टांग आयेंगे..!!
होते हैं रचनाओं से रूबरू
पहाड़ों की रानी शिमला सचमुच में एक अदभुत और आकर्षक सौन्दर्य की छटा बिखेरती नज़र आती हैं। जिस और नज़र जाए वहा आप मोहिनी शक्ति के प्रभाव का अनुभव कर सकते है। मैने अपनी इस जर्नी में कई बार अपने को स्तब्ध पाया विशेषकर जाखू मंदिर में, मॉल रोड पर, घूमते हुए रास्तों पर,पहाड़ीदार मोड़ पर गाड़ियों के परिचालन पर, पार्किंग की कला, पहाड़ों पर बनी इमारतों को देखकर कई बार तो ऐसा लगा जैसे प्रकृति का कोई इंद्रधनुष उजागर हो, एक जगह तो पर्वत के ऊपर जमी बर्फ किसी बर्तन में उबलते दूध की परिकल्पना का एहसास कराती है,रात्रि के समय जब सारा शहर लाइट के साथ प्रकाशवान होता है तो वो ऐसा प्रतीत होता है जैसे आसमान ने तारों को ज़मीन की सैर पर भेज दिया है।
समुद्र की लहरों की
कुछ भी नहीं है
जितनी कि है
समुद्र के भीतर
जिसे
सुन नहीं पाता कोई और...
जो
रहती है विकल
प्रतिध्वनि बन
व्याप्त हो जाने के लिए
दिग्-दिगंत में
पर
नहीं बन पाती प्रतिध्वनि
और रह जाती है बनकर
मात्र एक कविता
जिसे नहीं पढ़ना चाहते
आज के पढ़े-लिखे विद्वान ।
अधिकार
सार्वभौमिक सत्ता
सर्वत्र प्रभुत्व
सदा विजय
सबके द्वारा अनुमोदन
मेरी अधीनता
सब हो मात्र मेरा
बिना शारीरिक संपर्क के ही कुंती के पांच पुत्र और उभयलिंगी व्यक्ति होना या ऋषियों के शरीर से किसी बच्चे का जन्म या फिर कृष्ण जन्म के समय योगमाया का भ्रूण प्रत्यारोपण जैसी घटनायें सिर्फ कहानियांभर नहीं हैं।
यह उस समय में आनुवंशिकी विज्ञान का चरमोत्कर्ष था जिसमें बाकायदा स्टेम सेल्स, वीर्य, रक्त, मज्जा, हारमोन्स, आईवीएफ तकनीक, म्यूटेशंस और हाइब्रिड तकनीक का बेहतरीन उपयोग था।
किसी भी सभ्यता के चरमोत्कर्ष के बाद उसे प्रकृति के नियमानुसार नीचे आना ही होता है और यही नीयति हमारी इस पौराणिक सभ्यता की भी रही, नतीजा यह है कि आज हजारों साल बाद यदि कोई कहता है कि कभी हमारी सभ्यता इतनी विकसित थी तो यकायक विश्वास नहीं होता और ज्यादातर लोग इसे अंधविश्वास की अतिवादिता कहकर स्वयं अपने ही धर्म को संशय से देखने लगते हैं। वे तभी विश्वास करते हैं जब क्लोनिंग व म्यूटेशंस का उदाहरण एक्स मैन और हल्क जैसी हॉलीवुड फिल्में पेश करती हैं ।
*****
आज बस
सादर वंदन
संकलन सराहनीय।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार अंक
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति, देरी से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ 🙏🙏
जवाब देंहटाएं