यह ऋतु है महुए के फूल की मदिर सुगंध से महकने की ,
अधरों पर कोयल के गीत सजाकर अमराइयों में बहकने की
न महुआ है और न अमराइयाँ,धरती पर कंक्रीट की झाइयाँ
पछुआ कर रही है चुगली गर्मियों के पहले ताप से दहकने की।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
यह ऋतु है महुए के फूल की मदिर सुगंध से महकने की ,
अधरों पर कोयल के गीत सजाकर अमराइयों में बहकने की
न महुआ है और न अमराइयाँ,धरती पर कंक्रीट की झाइयाँ
पछुआ कर रही है चुगली गर्मियों के पहले ताप से दहकने की।
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दुनियाँ की सबसे खूबसूरत स्त्री
जवाब देंहटाएंजो आपकी नज़रों में है
वह मेरी नज़रों में भी हो
जरूरी नहीं।
खूबसूरत अंक
वंदन
आभार
सुंदर प्रस्तुतियों से सजा एक खूबसूरत अंक
जवाब देंहटाएं