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शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

4448...एक चिड़िया थी..

शुक्रवारीय अंक में 
आप सभी का हार्दिक अभिनंदन।
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यह ऋतु है महुए के फूल की मदिर सुगंध से महकने  की ,

अधरों पर कोयल के गीत सजाकर अमराइयों में बहकने की 

न महुआ है और न अमराइयाँ,धरती पर कंक्रीट की झाइयाँ

पछुआ कर रही है चुगली गर्मियों के पहले ताप से दहकने की।

आज की रचनाएँ
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दुनियाँ की सबसे खूबसूरत स्त्री की एड़ियाँ 
हैं खुरदुरी 
वे अक्सर भूल जाती हैं 
फटी एड़ियों को माँजना 
उनमें तेल लगाना 
जबकि बर्तन माँजते माँजते 
उनसे नाखून जाते हैं घिस 
और हर बार नाखून के नहीं बढ्ने पर 
जताती हैं अफसोस 
कहती हैं कि कराएगी नाखून पर कलाकारी 
और देकर बजट का हवाला 
हर बार रोक लेती है खुद को । 




आसपास बिखरे पड़े हैं असंख्य आत्माएं,
सहज नहीं कहना, कब आए अपनी बारी,

कागज़ी फूल ही सही ये रिश्तों की दुनिया,
गन्धहीन कोषों में बसता है प्रणय भिखारी,





एक मछली थी 
जो आकाश की ऊँचाई से 
इस संसार को देखना चाहती थी 
चाहतें इनकी ग़लत न थीं  
पर फिर भी 




एक तरफ दुनिया भर में जंगली, खतरनाक, दुर्लभ, मासूम, हर तरह के जानवरों को पिंजरों में बंद कर विश्व के सबसे खतरनाक जानवर इंसान के दीदार के लिए रखा जाता है ! दूसरी तरफ वही इंसान एक अदने से कीड़े से बचने के लिए खुद को मसहरी नुमा पिंजरे में बंद कर अपनी जान की हिफाजत करने पर मजबूर हो जाता है ! कहते हैं ना कि भगवान सभी को ठिकाने से लगाए रखता है !





साहित्य साथ खड़ा होना सिखलाता है— लेकिन शायद कुछ लोगों को आपका सम्मान होना समयोचित नहीं लगा हो : आपका क्या विचार है?”
“मुख्य आयोजक की यह इच्छा सन् 2018 से थी : अनेक कार्यक्रमों में मेरी अनुपस्थिति होने के कारण यह अभी तक 2025 में हो सका। वक्त जब समय तय कर दे-। बुरा लगना -अच्छा लगना अपने मन के भाव है।”
“क्या आपको भी ऐसा लगता है कि यह संस्था महिलाओं के लिए है?”


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आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
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2 टिप्‍पणियां:

  1. दुनियाँ की सबसे खूबसूरत स्त्री
    जो आपकी नज़रों में है
    वह मेरी नज़रों में भी हो
    जरूरी नहीं।
    खूबसूरत अंक
    वंदन
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुतियों से सजा एक खूबसूरत अंक

    जवाब देंहटाएं

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