मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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भीड़ किसी भी आयोजन के
सफलता की निशानी है।
जो भीड़ ला सकता है,
दुनिया उसे जादूगर की समझती है।
जो स्वयं भीड़ का हिस्सा बन जाता है
उसे अपने अस्तित्व को
मिटाना पड़ता है।
भीड़ के विमर्श में सत्य की तलाश
मरूस्थल में कुआँ खोदने जैसा है
सिर्फ़ भीड़ बनकर जीना
आदर्श मनुष्य की परिभाषा
की स्वीकृति है शायद...।
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आज की रचनाएँ-
सभी क़ानून इनकी जेब में हैं,
बरी हो जाएँगे सब कुछ चुरा कर.
मिटेंगे दाग़ लेकिन याद रखना,
कमीजें फट भी जाती हैं धुला कर.
न उनको भूल पाए हम कभी भी,
चले आये थे यूँ सब कुछ भुला कर.
कभी धूप में नंगे पाँव दौड़ा
आज छांव में ठहर गया
जो कल था उछलता पानी -सा
अब चुपचाप ठहर गया है
भीड़ नहीं है, सिर्फ आरक्षित बर्थ के यात्री ही आए हैं। अभी ट्रेन ने प्लेटफॉर्म से रेंगना शुरू ही किया था कि रुक गई! सभी यात्री तमिल में प्रतिक्रिया दे रहे हैं, कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा। कुछ मिनट रुकने के बाद एक तेज हारन के साथ ट्रेन चल दी। अपने कूपे के दोनो अपर बर्थ वाला एक युवा जोड़ा आया है, उनके गोदी में एक जोड़ी बच्चे हैं। बातें समझ में नहीं आ रही लेकिन भाव अभिव्यक्त हो जा रहे हैं। मौन की अपनी भाषा होती है जो कहीं भी, कभी भी, अभिव्यक्त हो जाती है। शाम होने वाली है, जौनपुर से बनारस की यात्रा का संस्मरण हो रहा है।पीछे घूमकर उसकी ओर देखे बिना ही मैं चला। ट्रेन भी खिसक ली। अनु और उसके दस वर्षीय वैवाहिक जीवन के उतार-चढ़ाव को अपने आप में क्रमशः उलटने ही लगा था कि उसने पीछे से आकर मेरा हाथ दबाया–"यार, जैसे भी हो, अनु को मना लो। मैं तलाक वापस लेने को तैयार हूँ। दरअसल, उसके वगैर मैं जी नहीं सकता। ये पन्द्रह दिन कैसे कटे हैं, मैं ही जानता हूँ।"
किला शब्द सुनते ही ऊंचाई पर बनी एक व्यापक, विशाल संरचना की तस्वीर दिमाग में बनती है जिसके सामने हर चीज बौनी नजर आती हो ! ऊँची-ऊँची, अभेद्य, मजबूत दीवारें ! उन पर हथियारों के लिए बने झरोखे ! दीर्घकाय, कीलों मढ़े दरवाजे ! उन तक पहुंचने के लिए अनगिनत सीढ़ियां ! पर फोर्ट विलियम यानी विजय दुर्ग इससे बिलकुल अलग है ! ऊंचाई की तो छोड़ें, कुछ दूरी से तो यह दिखलाई भी नहीं पड़ता, क्योंकि इसका निर्माण भूमि-तल से नीचे किया गया है। जब तक इसके पास ना पहुंचो, पता ही नहीं चलता कि यहां कोई विशाल परिसर भी बना हुआ है !
★★★★★★★
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में।
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
सादर वंदन
सुंदर अंक प्रिय श्वेता ..मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार।
जवाब देंहटाएंश्वेता जी,
जवाब देंहटाएंरचना को सम्मिलित करने हेतु, बहुत-बहुत आभार 🙏