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रविवार, 16 फ़रवरी 2025

4401...गुलाब के सम्मोहन में फंसा प्रेम

सादर अभिवादन


फरवरी की पूंछ बाकी है
छोटी है न फरवरी
अपने आप मे बड़ी 
पर पूरे ग्यारह महीने के मुकाबले 
छोटी ही कहलाएगी न

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उपस्थित विद्वानों ने जोर-शोर से तालियां बजाईं। उस समय एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा (जो उस समय मंच पर आइंस्टीन बना हुआ था) - "सर! क्या आप उस सापेक्षता की परिभाषा को फिर से समझा सकते हैं?

असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा। अब तो वाहन चालक पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वे हैरान रह गये। ड्राइवर ने जवाब दिया - क्या यह आसान बात आपके दिमाग में नहीं आई? आप इसे मेरे ड्राइवर से पूछिए !! वह आपको समझाएगा।




उस गली के अंत में दिखता है
डूबते सूरज का मंज़र,
बेइंतहा चाहतें हैं बाक़ी
बेक़रार दिल के बहोत अंदर,




गुलाब के
सम्मोहन में फंसा प्रेम
एक दिन
सूख जाता है

प्रेम को  
गुलाब नहीं
गुलाब का
बीज चाहिए






उन दिनों सारा हिंदुत्व इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत सनातन संस्कृति पर हमला बता रहा था। पीड़िता और पीड़िता के पिता के पहले मददगार बने, एसीपी लांबा और दूसरे वकील पीसी सोलंकी।

आसाराम के गुर्गो बनाम भक्तों द्वारा अनेक गवाहों पर जानलेवा हमले करते हुए उन्हें मौत के घाट उतार देने के बावजूद पीसी सोलंकी हिमालय की तरह अटल रहे।




कह देना
इतना आसान होता है क्या ?
किसी से कह देने से पहले
जरूरी होता है खुद से कहना
और जब दिल सुनना ही न चाहे
बार- बार एक ही जिद-
प्रेम कहा नहीं,जिया जाता है
प्रेम कहा नहीं,ओढ़ा जाता है


आज बस
वंदन

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह, प्रेम को गुलाब नहीं, गुलाब का बीज चाहिए, और प्रेम को जिया जाता है, कहा नहीं जाता, जब परिचय में ही इतने सुंदर जीवन सूत्र मिल गये तो पोस्ट पर जाकर शायद खजाना ही मिला जाए, सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  2. खूबसूरत फूलों से सजा खूबसूरत अंक।
    मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

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