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शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

4399...शिव की शक्ति

 शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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इस सृष्टि में पूर्णतया नष्ट कुछ भी नहीं होता,हर कण  परिस्थितियों के घर्षण से स्वरूप बदल लेती है।
एक प्रेम ही है जो हर रूप में शांति और आत्मिक सुख की जादुई अनुभूतियाँ
  सतत प्रवाहित करता रहता है।
प्रेम की अनुभूति का अलौकिक सुख समय की भट्ठी में चढ़कर मीठा होता या फीका यह परिस्थितियों की आँच पर निर्भर है।
प्रेम करना जितना सहज है प्रेम से मिली पीड़ा को सहना उतना ही कष्टकारी। 
पर सच तो यह भी है कि
क्रोध,लोभ,मोह अंहकार, ईष्या जैसी भावनाओं की विषाक्तता को मिटाने की एक औषधि है संसार में  वह है प्रेम। प्रेम जो मनुष्य को साधारण से विशेष होने की अनुभूति कराता है।
प्रेम को परिभाषित करने में हर शब्द, हर भाव असमर्थ हो जाते है। 
प्रेम की कोई भाषा नहीं 
होती, प्रेम का फूल मौन में खिलता हैं। प्रेम संगीत है, प्रेम अंतर्नाद है, प्रेम ही अनाहद नाद है।

क्या बसंत क्या मधुमास
मौन स्फुरण,शून्य आभास,
प्रेम प्रतीक्षारत है,खत्म हो
संवेदनाओं का अज्ञातवास।

आज की रचनाएँ-

प्रेम तत्व की भक्ति हो तुम,
और शिव की शक्ति हो तुम।
राधा बिन कान्हा भी आधा,
शक्तिहीन शिव शव हों बाधा।


उलझन में सोचती हूँ 
कैसे …कैसे पहचाना मुझे 
तब धीरे से याद दिलाती हूँ 
एक चेहरा भी है तुम्हारे पास
मैं हैरानी से शीशे के सामने जाकर
खड़ी हो जाती हूँ 





मोहब्बत ज़ीनते जीस्त है
कहते हैं सभी
उम्र होती है इक आस तक
कहते हैं सभी
मैंने बस आस पर
कितनों को उम्र भर
मरते देखा



देह
धड़कने वाली
श्वास की ताप से
गरमा के
संवरने वाली,
आज, पर
उस लिबास के भीतर
एक निस्पंद देह रहती है



राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू को समर्पित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह बचपन से बुद्धिमान थीं। जब सरोजिनी नायडू 12 साल की थीं, तब से उन्हें कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आजादी और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। आजादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का भी मौका मिला। उनके कार्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए सरोजिनी नायडू के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
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आप सभी का आभार
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम को परिभाषित करने में
    हर शब्द, हर भाव
    असमर्थ हो जाते है।
    प्रेम की कोई भाषा नहीं
    सुंदर अंक
    आभार
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह! श्वेता ,शानदार भूमिका .!!.प्रेम मनुष्य को साधारण से विशेष होने की अनुभूति कराता है ..सच कहा आपनें ...सुंदर अंक ।

    जवाब देंहटाएं
  3. हार्दिक आभार। आज तो शुक्र भी अपने ही घर ❤️ में था। शुभ वसंतोत्सव🙏🏼🙏🏼🙏🏼बहुत ही खूबसूरत पुरोवाक और उतनी ही मनभावन प्रस्तुति🌹🌹🌹🙏🏼🙏🏼🙏🏼चरैवेति, चरैवेति। शुभकामनाएं!!!

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर अंक, बधाई श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रेम शब्दों से परे।
    सुंदर रचनाओं का संकलन। मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

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