शीर्षक पंक्ति: आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
*****हरेक पैर में एक ही जूता नहीं पहनाया जा सकता हैदिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीय शांतनु सान्याल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक लेकर हाज़िर हूँ। आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
*****हरेक पैर में एक ही जूता नहीं पहनाया जा सकता है
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अपने मन के मरुथल में
जवाब देंहटाएंइच्छाओं के बीज बोता है
इच्छाएँ जो कभी फली- फूली नहीं
सुंदर अंक
आभार
सादर
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।
सादर
रवीन्द्र जी,
जवाब देंहटाएंरचना को सम्मिलित कर मान देने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद !
स्नेह बना रहे 🙏
सुंदर
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