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रविवार, 23 फ़रवरी 2025

4408 ... वे मुख्य द्वार से निकलने की हकदार नहीं हैं

 सादर अभिवादन


23 फरवरी को दुनियाभर में
विश्व शांति और समझ दिवस


बता दें कि इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1905 में हुई थी। इस दिन की शुरुआत एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन रोटरी इंटरनेशनल द्वारा की गयी थी। इस दिन शिकागो में रोटरी क्लब की पहली बैठक हुई थी। इस बैठक में, क्लब के संस्थापक पॉल हैरिस ने दुनिया भर में शांति और समझ को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा। तब से लेकर हर साल 23 फरवरी को यह दिवस मनाया जाने लगा। इस अवसर पर दुनियाभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिनका उद्देश्य होता है दुनिया में शांति और समझ के महत्व पर प्रकाश डालना और एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए प्रेरित करना।

रचनाएं देखें
आज की खासियत
एक ही ब्लॉग से
गूंगी गुड़िया
अनीता सैनी
लंबी रेस की दौड़ में
कम समय में
लंबी छलांग व्वाहहहह
अनीता उवाच .....

अत्यंत हर्ष हुआ समय समय पर आपका स्नेह आशीर्वाद मिलता रहता है।

आपके कहे अनुसार मैं अपनी पाँच रचनाएँ मंच पर अवलोकनार्थ प्रेषित करती हूँ।
आपका स्नेह अनमोल है
 प्रेषित रचनाएँ



उनकी
आत्मा में गहरी संवेदनाएँ हैं
वे कहते हैं
स्त्रियाँ गाय हैं चिड़िया हैं
भेड़ और बकरिया भी हैं
उनके कंधों पर सरकती घरों की दीवारें
वे मुख्य द्वार से निकलने की हकदार नहीं हैं





सदियों में कभी-कभार
एक-आध ऐसी रात भी आती हैं,
जब उजाले की प्रतीक्षा में
भोर का यह पक्षी सारी रात गाता है
विरह-गीत।




वह तारीख बनकर
धरती की आत्मा में धड़कता रहा,
उगता रहा
वर्ष दर वर्ष,
मरुस्थल की काया पर
नागफनी का दर्द लिए।





तब तुम गाँव लौट जाना।
पगडंडियाँ भ्रमित करेंगी
ईर्ष्यालु काँटे पाँव को चोटिल करेंगे।
 फिर भी तुम्हें
 कांस से घायल हवा पुकारती हुई आएगी,
वह दिखाएगी
बरगद के नीचे बने चबूतरे को,
जहाँ
दुःख बहुतों द्वारा कुचला जाता है।





आह! जीवन
तुझे
सूरज का ताप
धरती की गर्म साँसे झुलसाती रही
फिर भी तू
नीचे की ओर मजबूती से लटका हुआ
एकाकीपन को जीता रहा।
****
निवेदन- हर रविवार एक ही ब्लॉग से
अनीता जी से अनुरोध , अधिक से अधिक लोग इस का लाभ लें
सादर वंदन

1 टिप्पणी:

  1. सुप्रभात ! आज का अंक कवयित्री अनीता सैनी जी की पाँच अति सशक्त रचनाओं से यादगार व संग्रहणीय बन गया है। इन रचनाओं में बहुत गहराई है। विशेष रूप से स्त्री मन की बेबसी और पीड़ा की धारा हर रचना में नीचे बहती सी लगती है पर वह मात्र व्यथित नहीं करती, कुछ करने की और दुख का डटकर सामना करने की प्रेरणा भी देती है।

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