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बुधवार, 22 मई 2024
4134..शब्दों में धार होती है, शब्दों की महिमा अपार होती है
5 टिप्पणियां:
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सुप्रभात ! 'तन्हाई' में 'माँ की याद' आना स्वाभाविक है, 'घर की मुर्गी' पता नहीं क्यों दाल बराबर मानी जाती है, ख़ुद का पता हो तभी न 'अधिकार' की बात होगी, 'नरसिंह भगवान' को प्रणाम ! सुंदर प्रस्तुति ! आभार यशोदा जी!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस आकर्षक पटल पर स्थान देने के लिए बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आ. यशोदा जी!
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ठ रचनाओं का सुंदर संकलन और इसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंसखी बहुत-बहुत धन्यवाद. सभी रचनाएँ पढ़ीं. अच्छी लगीं. तमाम तजुर्बे ज़िन्दगी के ! इस अंक ने बाँट लिए ! और हमने जी लिए ! भूमिका और शीर्षक में जीवन का सार. पुनः आभार ! नमस्ते.
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