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बुधवार, 22 मई 2024

4134..शब्दों में धार होती है, शब्दों की महिमा अपार होती है

 सादर अभिवादन


कुछ रचनाएं



नरसिंह रूप में जब भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का वध किया, 
उस समय वह न तो घर के अंदर था और
ना ही बाहर, ना दिन था और ना रात,
भगवान नरसिंह ना पूरी तरह से मानव थे
और न ही पशु। नरसिंह ने हिरण्यकश्यप
को ना धरती पर मारा ना ही आकाश में
बल्कि अपनी जांघों पर मारा। मारते हुए शस्त्र-अस्त्र नहीं बल्कि अपने नाखूनों का इस्तेमाल किया।

नरसिंह जयंती का लक्ष्य अधर्म को समाप्त करना और धर्म के मार्ग पर चलना है। भगवान सभी को जीवन में नकारात्मकता से बचें और शांति, समृद्धि और खुशी प्रदान करें। नरसिंह जयंती की शुभकामनाएं।





 " ऐसा करो मेरे लिए किसी वृद्धाश्रम में एक सीट बुक करा दो , मैं अकेला रहना चाहता हूँ और मैं किसी पर आश्रित भी नहीं हूँ । " तैश में अगर गुप्ता जी बोले।

"मुझे कोई परेशानी नहीं है , आप ही सोच लीजिये रह पाएंगे। "

"हाँ हाँ क्यों नहीं ? अभी इतनी दमखम है मुझमें। "




कोई व्यक्ति वास्तव में चाहता क्या है, उसे इसकी खबर भी नहीं होती।संभवत: हर किसी की तलाश एक ऐसी शांति या सुकून की है, जो सदा-सदा के लिए भीतर का खालीपन भर दे।वस्तुओं से बाजार भरा पड़ा है, किंतु वहाँ ऐसा कुछ नहीं मिल सकता जो इस अभाव को भर दे। इस तरह जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, यह बेचैनी दिन-बदिन बढ़ती जाती है





आता है याद
बचपन सुहाना
वो गुज़रा ज़माना

जो गुज़ारा था
तुम्हारे रेशमी से
आँचल की छाँव में








मौसम बेरहम देखे, दरख्त फिर भी ज़िन्दा है,
बदन इसका मगर कुछ खोखला हो गया है।

बहार  आएगी  कभी,  ये  भरोसा  नहीं  रहा,
पतझड़ का आलम  बहुत लम्बा हो गत्या है।


आज बस
कल भाई रवींद्र जी
सादर वंदन

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! 'तन्हाई' में 'माँ की याद' आना स्वाभाविक है, 'घर की मुर्गी' पता नहीं क्यों दाल बराबर मानी जाती है, ख़ुद का पता हो तभी न 'अधिकार' की बात होगी, 'नरसिंह भगवान' को प्रणाम ! सुंदर प्रस्तुति ! आभार यशोदा जी!

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  2. मेरी रचना को इस आकर्षक पटल पर स्थान देने के लिए बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आ. यशोदा जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्कृष्ठ रचनाओं का सुंदर संकलन और इसमें मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. सखी बहुत-बहुत धन्यवाद. सभी रचनाएँ पढ़ीं. अच्छी लगीं. तमाम तजुर्बे ज़िन्दगी के ! इस अंक ने बाँट लिए ! और हमने जी लिए ! भूमिका और शीर्षक में जीवन का सार. पुनः आभार ! नमस्ते.

    जवाब देंहटाएं

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