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गुरुवार, 29 जून 2023

3803...ज़िन्दगी को हमने, हर मोड़ पे बिखरते देखा...

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

सदा सर्वदा

कजरारी काली रातों में,

तारा बन कर जीया करे।

वेदनाओं को भूल-भाल कर,

ख़ुशियों वाली राह चले॥

हर बार

जो पावन है वही शेष रहेगा

मायावी हर बार चला ही जाएगा

जैसे मृत्यु ले जाएगी देह

पर आत्मा तब भी निहारती रहेगी!

सूरजमुखी

लेन देन के सिवा
कुछ भी नहीं

हर क़दम इक
मरासिम

नए दस्तखत,
नए मुतालबे,
ज़िन्दगी
को हमने

हर मोड़ पे बिखरते देखा,

#भीगकर तुमने #बारिश में...

जो बूंदें थी नीचे जा गिरी ,

वो अभी तक #मदहोश पड़ी ,

कुछ बाहों में सिमटी सिमटी,

#किस्मत थी अच्छी जिनकी।

नदी का दर्द

कुछ घरों में औरतें

जलती है

सुबह से शाम तक

और रात होने पर

शरीर पर उग आये फफोले को

धो देती हैं नमक के पानी से

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


10 टिप्‍पणियां:

  1. जो पावन है वही शेष रहेगा
    शानदार अंक
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय ,
    मेरी लिखी रचना ब्लॉग "#भीगकर तुमने #बारिश में " को इस मंच में स्थान देने हेतु धन्यवाद एवम आभार ।...
    सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर लिंकों से सुसज्जित संकलन ।”सदा सर्वदा” को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर लिंकों से सुसज्जित चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह! अनुज रविन्द्र जी ,शानदार अंक।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहद सुंदर और सार्थक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  7. सराहनीय रचनाओं के सूत्रों की खबर देता एक और अभिनव अंक, आभार 'मन पाये विश्राम जहां' को भी सम्मिलित करने हेतु रवींद्र जी!

    जवाब देंहटाएं
  8. उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  9. अत्यंत उत्कृष्ट सूत्रों से सजी प्रस्तुति।सभी सम्मिलित रचनाकारों को बहुत- बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।इस सार्थक प्रस्तुति आपको आभार और बधाई रवींद्र भाई 🙏

    जवाब देंहटाएं

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