शीर्षक पंक्ति: आदरणीया डॉ.(सुश्री) शरद सिंह जी की रचना से।
अभिवादन।
मंगलवारीय अंक में पाँच रचनाओं के लिंक्स के साथ हाज़िर हूँ।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
विश्व पर्यावरण दिवस | शायरी | खो गया वो
घाट | डॉ (सुश्री) शरद
सिंह
कट गया जंगल कि जिसमें घूमती थी एक हिरणी
पंछियों के साथ उसने प्रिय हिरण के स्वर सुने थे।
वो नदी, झरना, वो पोखर, सूख कर रेतिल हुए हैं
कौमुदी और शंख, सीपी भी वहीं जा कर चुने थे।
विश्व पर्यावरण दिवस पर शुभकामनाएँ
मरुथल
मरुथल पेड़ लगायें
हरे भरे वन
जंगल पाएँ,
बादल पंछी
मृग शावक सब
कुदरत
देख-देख हर्षाये!
हृदय स्पंदन बनाम पर्यावरण दिवस...
चलते-चलते पढ़िए एक रोचक लघुकथा जो चित्रित करती है कि हमारा बीता समय ऐसा भी था...
आग्नेयगिरि पर गौरेया (डायरी शैली)
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
आडम्बरी तथाकथित सनातनियों को तो सात या नौ मन लकड़ी जलाए बिना मोक्ष की प्राप्ति ही नहीं होगी .. शायद ...
जवाब देंहटाएंवजनदार प्रस्तुति
जी ! सुप्रभातम् सह नमन, वो भी मन से 😊, सुबह-सुबह मेरी बतकही को वजनदार कहने के लिए .. वो भी बतकही के उस वाक्य के साथ, जिनकी चर्चा भर करने से निरक्षर बेचारे तो निरक्षर, अनपढ़ ... हमारा तथाकथित बुद्धिजीवी समाज भी झिड़क देता है या आगबबूला हो उठता है मानो वह कभी मरेगा ही नहीं .. शायद ...☺☺☺
हटाएंशुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
जी ! नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को अपनी प्रस्तुति के लायक समझ कर इस प्रतिष्ठित मंच पर स्थान देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंले लोट्टा !!! हम तो भोरे-भोरे, बिहारी बोली में कहें तो .. एकदम से अलबलाइए गए आपकी भूमिका में , भूलवश ही सही, गुरुवारीय अंक पढ़ के .. दरअसल मंगलवार यानि आज मेरी धर्मपत्नी मेरी अम्मा के साथ उनको धनबाद से लेकर भाया हरिद्वार, देहरादून - वर्तमान अस्थायी निवास स्थान पर आने वाली है कुछ ही घण्टों में .. तो हम सुबह-सुबह बिहारी बोली में जाग के भकुआए हुए गुरुवारीय देखे तो .. हम एकदमे से .... कोई ना .. अब ऊपर में अचानक मंगलवार देख के धुकधुकी कम हो गयी, मने वो आएगी, आ रही है ..😊😊😊 .. इ भारतीय रेल भी ना .. ख़ाली-पीली विलम्ब हो कर मिलन की घड़ी को आगे धकेल देती है .. निगोड़ी .. शायद ...
जवाब देंहटाएंसुधार करता हूँ. जल्दबाज़ी में हुई त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने हेतु सादर आभार.
हटाएंअति उत्कृष्ट रचनाओं से लवरेज बहुत सुंदर अंक 🙏👌
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को पटल पर साझा करने हेतु हार्दिक आभार रवीन्द्र सिंह यादव जी 🌷🙏🌷
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल रवीन्द्र जी ! आपने मेरे यात्रा संस्मरण को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक के लिए बहुत बहुत बधाई! सच बहुत ही लगन और मेहनत का काम है दिन भर लिखी पढ़ी जाने वाली रचनाओं को खोज कर, पढ़ कर उनमें से मोती जैसी चुनकर पाठकों के लिए प्रस्तुत करना...'पांच लिंकों का आनन्द' की समस्त टीम का बहुत बहुत आभार और धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक के लिए बहुत बहुत बधाई! सच बहुत ही लगन और मेहनत का काम है दिन भर लिखी पढ़ी जाने वाली रचनाओं को खोज कर, पढ़ कर उनमें से मोती जैसी चुनकर पाठकों के लिए प्रस्तुत करना...'पांच लिंकों का आनन्द' की समस्त टीम का बहुत बहुत आभार और धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसादर
मंजु मिश्रा
www.manukavya.wordpress.com