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सोमवार, 19 जून 2023

3793 ...हम बेल पर लगी ककड़ियाँ

 सादर अभिवादन

कल पितृ-दिवस आया
वैसे तो पिता जी मेरे जन्म से पहले ही आ चुके थे
पर पितृ-दिवस साल मे एक ही बार आता है

सुकून आया कि विन्डो 10 समझ मे आगया
हौव्वा समझती थी इसको
आज की मिली-जुली रचनाएं देखिए ........




आपातकाल पचहत्तर का, जिसकी यादें मन में ताजा।
तब नसबन्दी ने लोगों का, था खूब बजाया जम बाजा,
कोई भी बचे नहीं इससे, वे विधुर, वृद्ध, या फिर बच्चे।
सब ली चपेट में नसबन्दी, किन्नर तक भी झूठे सच्चे।




समय धारा के संग
बहता रहा जीवन सारा
युगों युगों से
इस धरा पर रात दिन छलते रहे
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा





"यह तो झोके हैं पवन के
हैं यह घुंघरू जीवन के
यह तो सुर है चमन के
खो न जाऐ
तारे ज़मीन पर






गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी !

है अँधेरा छा गया अब रात की आहट सुनो
दूर हो दिन की थकन अब नींद में सपने बुनो !





छिछली सी, राहों पर,
अन्तहीन, उथली सी चाहों पर,
उस ओर चले,
जिस ओर, सन्नाटों सा शोर,
अल्हड़, मौन रहे मन!






वे घर आते रहते थे. फिटनेस के शौक़ीन वे जिम जाते थे. ६७ वर्ष केअविवाहित व्यक्ति
किसी के द्वारा अंकल कहलाना सह नहीं पाते थे. उनकी अस्सी वर्षीय माताजी
उनसे भी अधिक शौक़ीन थीं. पार्टियों में अवश्य जातीं.

आज इतना ही
सादर

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।।।। मेरी रचना को भी साझा करने के लिए धन्यवाद।।।।।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका

    श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात, पठनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, 'मन पाये विश्राम जहां' को स्थान देने हेतु बहुत बहुत आभार यशोदा जी,

    जवाब देंहटाएं
  4. आप सभी को आभार
    कल आने वाले पर्व
    रथयात्रा पर अग्रिम शुभकामनाएं
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति 🙏🙏 रथयात्रा की आपको अशेष शुभकामनाएंँ 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्कृश्ट सृजन संकलन, सभी रचनाकरों को शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  7. उत्कृश्ट सृजन संकलन, सभी रचनाकरों को शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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