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शनिवार, 25 सितंबर 2021

3162... हिन्दी दिवस माह का समापन

 हाज़िर हूँ...! अंतिम उपस्थिति दर्ज हो...

जिस तरह से हिंदी में
अनुनासिकों का विकास हुआ
इसी तरह दो ऐसे नए व्यंजनों का भी
विकास हुआ जो संस्कृत में नहीं थे
ये व्यंजन हैं 'ड़' तथा 'ढ़'


अनुस्वार के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण
 ‘क’ वर्ग, ’च’ वर्ग, ‘ट’ वर्ग, ‘त’ वर्ग और ‘प’ वर्ग में से 
जिस वर्ग से संबंधित होता है अनुस्वार उसी वर्ग के
 पंचम-वर्ण के लिए प्रयुक्त होता है।

बिन्दु-चन्द्रबिन्दु

आज का मुख्य चर्चा का विषय है कि जब अनुस्वार को 

व्यंजन मानते हैं तो इसे वर्ण में किन नियमों के अंतर्गत

 परिवर्तित किया जाता है....इसके लिए सबसे पहले हमें

 सभी व्यंजनों को वर्गानुसार जानना होगा

बिन्दु-चन्द्रबिन्दु

किन्तु यदि पाँचवे अक्षर के 

आधे उच्चारण के बाद उसी वर्ग का 

वर्ण नही आता है तो 

हम बिंदु नही लगा सकते।

बिन्दु-चन्द्रबिन्दु

अंग्रेज़ी में तो शब्दकोश का सहारा लेना पड़ता है, 

पर हिन्दी में बस सही उच्चारण मालूम हो,

 कुछेक नियमों का ज्ञान हो और सही लिखने की इच्छा हो, 

तो सब सही हो जाता है।

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पूर्ण विराम...

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9 टिप्‍पणियां:

  1. सदा की तरह
    शानदार अंक
    आभार
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. आभारी हूँ दी इतने ज्ञानवर्धक सूत्र साझा करने लिए।
    अभी बस दो ही पढ पाये हैं बाकी पर दृष्टि ही फेर पाये हैं समयानुसार पढ़ते है।
    आपका यह प्रयास सीखने के इच्छुकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
    प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रयोग । आज भी अनुस्वार और अनुनासिका का भेद सब नहीं कर पाते । राजभाषा ब्लॉग से लेख लेने के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  5. समय तो लगा लेकिन बहुत कुछ सीखा गया। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. ज्ञानवर्धक संग्रहणीय प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. आज जिस तरह से अशुद्ध प्ययोग होते है उस हिसाब से बहुत ज़रूरी लेख।

    जवाब देंहटाएं

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