।। भोर वंदन।।
"श्रृंगार न होगा भाषण से
सत्कार न होगा शासन से
यह सरस्वती है जनता की
पूजो, उतरो सिंहासन से
इसे शांति में खिलने दो
संघर्ष-काल में तपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो"
गोपाल सिंह 'नेपाली'
कब तक होती रहेगी हिन्दी की मांग ,निज भाषा की कैसी मांग? दो अक्षरों में समस्त भाव ...अच्छा हो आगे दिवस मनाने या अधिकार मांगने की जरूरत ही न पड़े। चलिए अब नज़र डालते हैं आज की प्रस्तुतियों पर..✍️
पुरुष- उत्पीड़न
बहुत दुखद है कि मेरे कुछ स्टुडेंट्स का पत्नियों के द्वारा घोर उत्पीड़न हुआ है और मैं चाह कर भी कुछ भी मदद नहीं कर पाई
❄️❄️
जिस्म की चाह में रूह के रिश्ते तोड़े जा रही थी!
भागी तो वह अकेली थी
उसे नहीं पता था
कि वह अपने साथ
बाकी लड़कियों के आंखों से
उनके सुनहरे सपने
छीन कर ले जा रही थी!
खुद को तो आजाद कर रही थी
पर बाकी लड़कियों को
हमेशा के लिए चारदीवारी में
कैद किए जा रही थी!
गलती तो उसने की थी ..
❄️❄️
"श्रृंगार न होगा भाषण से
जवाब देंहटाएंसत्कार न होगा शासन से
यह सरस्वती है जनता की
पूजो, उतरो सिंहासन से
इसे शांति में खिलने दो
संघर्ष-काल में तपने दो
हिंदी है भारत की बोली
तो अपने आप पनपने दो"
सुंदर आगाज
आभार
सादर
हिंदी है भारत की बोली
जवाब देंहटाएंतो अपने आप पनपने दो"
गोपाल सिंह 'नेपाली'
–कवि को नमन
उम्दा प्रस्तुति
बेहतरीन प्रस्तुति नमन
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअच्छी कविताएँ सम्मिलित की आपने। मेरी प्रविष्टि को स्थान देने का आभार..
जवाब देंहटाएंसुप्रभात 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति मेरी रचना को चर्चामंच में जगह देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मैम🙏🙏
लाजबाव संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ….मेरी रचना को चर्चामंच में जगह देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद पम्मी जी !
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय प्रस्तुति । बहुत शुभकामनाएं पम्मी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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