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सोमवार, 22 मार्च 2021

2075 --- नई फसल

 पाँच लिंकों का आनन्द पर आप सभी का हार्दिक स्वागत है ...इन पाँच लिंकों का  आपको भरपूर आनन्द मिले बस सभी चर्चाकारों का यही प्रयास रहता है ...  आज की चर्चा में मैंने 2014 के बाद के ब्लॉगर्स को शामिल करने का प्रयास किया है  .....  पिछले कुछ दिनों मैंने बहुत से नए चिट्ठाकारों को पढ़ा , समझने का प्रयास किया तो सोचा इस बार उनसे ही रु- ब- रु कराया जाए । इससे पहले के ब्लॉगर्स तो चेहरा देख कर ही खुश हैं अर्थात फेस बुक पर विचरण कर रहे हैं । तो मैं उन ब्लॉगर्स को आज आपके सामने ला रही हूँ जो आज हिंदी ब्लॉगिंग में स्थापित होने का प्रयास कर  रहे हैं।  हाज़िर हैं मेरे लिए नए ब्लॉगर्स ...…. यूँ तो बहुत से नाम हैं जिनके  लेखन से प्रभावित हुई हूँ , लेकिन सबको एक ही चर्चा में नहीं ले सकती , इसलिए धीरे धीरे सबका परिचय कराऊँगी .... लीजिये शुरू करते हैं आज की चर्चा ---

1 ---  ऐसी ब्लॉगर जो आकाश से ले कर पाताल तक, मरुस्थल में, ब्रह्मांड के चर अचर सभी के लिए सोचते हुए नव सृजन  के लिए प्रयास करती रहती हैं ....
 इनकी इस शुभेच्छा के लिए साधुवाद ।।
इनकी एक कविता पढ़वा रही हूँ जिसमे एक साया संवाद कर रहा है उससे जिसका  वो साया है । पढ़ते हुए मन भावुक हो गया क्यों कि मैं भी इस ओर ही अग्रसित हूँ । 




2 -  अगली कड़ी में मिलवा रही हूँ एक बेहद आम इंसान से , जी हाँ उनका यही कहना है । बस मन की संवेदनाएँ कुछ लिखने पर मजबूर कर देती हैं । वैसे जो भी लिखते हैं , बहुत खूब लिखते हैं। क्या मेरी बात पर विश्वास नहीं ?  हाथ कंगन को आरसी क्या ....... चलते हैं  उनके ब्लॉग पर ही ---



 सही कहा था न मैंने ?  

3 ---अब ले चलती  हूँ आपको आज की तीसरी कड़ी से मिलवाने ।  कड़ी दर कड़ी मिल कर ही तो माला बनेगी । कभी कभी मन  निराशा के सागर में गोते खाने लगता है लेकिन तभी अंदर की जिजीविषा भर देती है उल्लास और बस हो जाता है नवीन ऊर्जा का समावेश ।  ये अपने बारे में कुछ भी नहीं कहतीं बस इतना ही कि मुख्य रूप से सबका लिखा हुआ पढ़ना चाहती हैं और एक छोटा सा कदम है रचनात्मकता की ओर । लेकिन मुझे लगता है कि इनका सृजन बहुत विशाल है , पर्यावरण , आस पास , घर , गाँव, शहर ,और देश से जुड़ा हुआ ।  हर घटना ने इनको उद्वेलित किया है , चाहे चंद्रयान मिशन हो या फिर पुलवामा की घटना , मैं तो इनकी कविताओं से काफी प्रभावित हुई हूँ , आप अपनी जाने -- एक बार पढ़ कर देखिए 




4 --  अब जिस ब्लॉगर से मिलवाने जा रही हूँ उसने स्वयं को जैसे मौन में ही छिपा रखा है , संवाद भी करती है तो मौन रह कर ही और उसको शब्दों में  ढालती हैं तो कविता बन जाती है । मेरा तो मौन संवाद जारी है , आप भी इनके मौन को पढ़ लें , जान लें ....





 5-- हांलांकि आज इस चर्चा में नए ब्लॉगर्स को ही परिचित कराने का प्रयास किया है , लेकिन मैं अपने इन नए साथियों के साथ पुराने दिनों को भी बांटना चाहती हूँ । आज आपको एक ऐसे ब्लॉगर का पता देना चाहती हूँ जिसने उस समय  अपने ब्लॉग पर अत्यंत पठनीय सामग्री उपलब्ध कराई थी । नए विचार और नई सोच को क्रियान्वित करते थे । ब्लॉगर का नाम है मिस्टर मनोज ।।इस ब्लॉग पर एक थ्रेड चलता था " आंच " । जिस पर किसी भी ब्लॉगर की पोस्ट चयनित कर, स्वीकृति ले उस रचना की समीक्षा की जाती थी । यानि आँच पर खूब पकाया जाता था । अब कैसे पकाया जाता था इसका आपको लिंक दे रही हूँ ....(  किसी और की पोस्ट को यहाँ बिना स्वीकृति के नहीं लगा सकती , इसलिए आँच पर चढ़ी अपनी ही कविता का लिंक दे रही हूँ ।) हम लोग इसे सकारात्मक रूप में ही लेते थे । आप भी बताइएगा की अच्छे से पकी न ,मेरी कविता 😄😄  



उम्मीद है आप लोगों को ये लिंक्स ज़रूर पसंद आएँगे । 
अगली बार फिर मैं नए  ब्लॉग्स और    ब्लॉगर का  हाथ पकड़ और पुरानों का साथ ले , मिलती हूँ अगले सोमवार को ।
बताइएगा ज़रूर कि मेरी पसन्द कैसी लगी ? 

आलोचना , समालोचना सबका स्वागत है । 

अब आप पूरी चर्चा तो पढ़ चुके होंगे , लेकिन लिंक्स पर जाएँ कैसे ? यही प्रश्न है न ? तो नम्र निवेदन ... चित्र पर क्लिक करें  और पहुँच जाएँ दिए हुए लिंक्स पर ....थोड़ी मेहनत आप भी कीजिये न :) लिंक्स पर पहुँचने में कठिनाई हो तो बताइयेगा ... शीघ्र ठीक कर दिए जायेंगे ...

 आज बस इतना ही .....
नमस्कार 
आपकी ही संगीता स्वरूप 

39 टिप्‍पणियां:

  1. सादर चरणस्पर्श
    आश्चर्यचकित करती हुई प्रस्तुति..
    वाकई नयी फसलों से परिचित करवाया आपने
    जिनके बारे में जानते हुए भी अनजान बने रहे..
    दो ही रचनाएँ पढ़ी..एक फसल तो एकदम नई है जिज्ञासा थी कि देखें ये कौन है पर जिज्ञासा ही जिज्ञासा निकली जिसकी पहली रचना पहली बार इस ब्लॉग में लाई थी..दूसरी कलम सखी रेणुबाला रचनाओं के अंदर तक प्रवेश कर जाती है और चीर-फाड़कर वस्तुस्थिती को परोस देती टिप्पणी दाता है..
    एक रचना पढ़ी वो आपकी परछाई है मेरी अनुजा सखी श्वेता.. एक और रचना तक गई मैं चित्र जाना पहचाना
    भाई पुरुषोत्तम जी पर उनकी रचना नहीं दिखी..उनकी हर रचना से परिचित हूँ मै..
    अभी सुबह ही हुई है देखती हूँ सारी एक ब्रेक लेकर.
    सादर नमन..

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    1. सुप्रभात,
      पुरुषोत्तम जी की रचना के लिए थोड़ा स्क्रॉल करना पड़ेगा ऊपर की तरफ ।
      शुक्रिया

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    2. जाऊँगी दीदी,
      तलाशने के लिए जड़ तक खोद डालती हूँ
      सुबह दो बार स्टीम लेती हूँ...
      सादर नमन..

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    3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    4. आदरणीय यशोदा दीदी,प्रणाम !
      आपके निरंतर स्नेह की आभारी हूं,मुझे वो दिन कभी नहीं भूलता जब आपने मेरी पहली रचना का चयन किया था, मैं तो खुश थी, पर मेरे बच्चे मुझसे ज्यादा खुश थे, और वे मुझसे ज्यादा आपको थैंक्यू थैंक्यू कह रहे थे,उस सुंदर खुशी भरे क्षण के लिए आपको मेरा विनम्र आभार भरा नमन ।

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    5. अभी आँच पर गई थी, मनोज जी को सराहना सूरज को दीप दिखाना है...
      आभार..

      हटाएं
    6. आदरणीय दीदी , आपके स्नेहिल शब्दों के लिए आभारी हूँ | मेरी शाब्दिक वाचालता और आपके शब्दों में वस्तुस्थिति की चीरफाड़ के फलस्वरूप अनेक बार मंचों पर जो मेरी दुगति हुई उससे समस्त ब्लॉग जगत वाकिफ है 😃😃|कई बार तिरस्कार और दुत्कार से झोली भर दी गयी | पर मुझे उन मौनव्रती रचनाकारों से बहुत शिकायत है जो नारी सम्मान में बड़ी बड़ी कवितायें तो लिखते हैं पर मंच पर सरेआम एक सहयोगी अथवा अन्य किसी नारी के सम्मान को ठेस लगते देखकर . उनके पास दो शब्द भी नहीं होते | मुझे लगता है ऐसी स्थिति से बचकर निकलना एक रचनाकार का स्याह पक्ष है | बड़ी विनम्रता से कहती हूँ कि यही कारण है कि नारी सम्मान में लिखी कविताओं पर मैं लिखने में खुद को असमर्थ पाती हूँ | बिगाड़ के डर से ईमान की बात ना कहना मंचों की प्रथा बन गयी है शायद 😔😔😔| आपके बहाने से अपनी बात कह पाई जिसे कहकर संतोष की अनुभूति अनुभव हो रही है | पुनः आभार आपका |🙏🙏❤❤🌹🌹

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    7. नारी सम्मान के प्रति रेणु जी का अनथक समर्पण एक अद्भुत थाती है जिसे ब्लॉग जगत के संवेदनशील तत्व देर-सबेर अवश्य स्वीकार करेंगे। इस सुंदर संकलन और इसके सूत्रधार चिट्ठाकार को बधाई और हृदय से आभार। यात्रा अनवरत जारी रहे। शुभकामना!!!

      हटाएं
  2. शुभ प्रभात,
    आज की इस विस्मयकारी व अलहदा अलग विविध प्रस्तुति हेतु आदरणीया संगीता जी की जितनी भी तारीफ करें, कम होगी।
    इस ब्लॉग जगत के मद्धिम रोशनी को प्रदीप्त करने हेतु उनके अनुभव व प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उन्हें नमन है।
    समस्त रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ। ।।।।।
    व पटल के प्रति आभार व नमन।।।।।

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    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    2. पुरुषोत्तम जी ,
      ऐसा मैंने कुछ भी विस्मयकारी नहीं किया है । ये सब तो आपकी रचनाओं का प्रताप है । यूँ ही आप सुंदर सृजन करते रहें । यहाँ आने के लिए आभार ।

      हटाएं
  3. प्रिय दी,
    प्रणाम।
    इतने मनोयोग से, पूरा समय देकर,श्रमसाध्य और सुंदृर इंद्रधनुषी अंक किसी विशेषांक की तरह प्रतीत हो रहा है।
    रचनाओं को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने के पूर्व आत्मसात कर एक अनूठा रूप देने की कलात्मकता आपसे सीखनी है।
    सभी रचनाएँ बेहद अच्छी है जिज्ञासा जी की लेखनी की लयात्मकता, पुरूषोत्तम जी की रचना का भाव शिल्प,रेणु दी की संवेदनशीलता का सुंदर आकलन।
    सबसे ज्यादा प्रभावित हूँ आँच पर चढ़ी आपकी रचना चक्रव्यूह का गहन विश्लेषण पढ़कर।
    किसी रचना का सूक्ष्म विश्लेषण उसके रचयिता के लिए रचनाकार के लिए सम्मान और पुरस्कार की तरह होता है..कविता आत्मसात कर उसके भावों का निचोड़ आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करने की कलात्मकता बेहद प्रभावी है। साथ ही उस आलोचना को सहज स्वीकारना रचनाकार की विनम्रता है।
    जी दी नयी और पुरानी पीढ़ी के बीच सामंजस्य और संवाद स्थापित करने का आपका पुल की तरह प्रयास बेहद सराहनीय है।
    बहुत बधाई दी सच में बेहद सुंदर अंक बना है।

    मेरी तुच्छ रचना को आपका आशीष मिला, मन प्रसन्न हुआ।
    आपके स्नेह और मार्गदर्शन की आकांक्षी हूँ।
    पुनः प्रणाम दी।
    सादर।

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    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      प्रस्तुति पसंद करने का शुक्रिया । जो भी जानती हूँ उसे तुम देख कर ही सीख समझ लोगी ऐसी आशा है ।और ऐसा विशेष कुछ जानती भी नहीं हूँ ।
      सब रचनाकारों की अपनी विशेषता हैं ,मिलवाती रहूँगी अलग अलग लोगों से ।
      आंच पर चढ़ी अपनी कविता का लिंक देने का यही उद्देश्य था कि आप लोग जान सकें कि आपकी कविता अलग अलग लोगों के लिए अलग दृष्टिकोण रखती है ।।सीधी साधी कविता के कितने आयाम हो सकते हैं ।।
      आज कल शायद ब्लॉग जगत में ऐसा माहौल नहीं है कि कोई आपकी आलोचना कर दे तो आप उसे सकारात्मक रूप से लें ।वैसे इस तरह के विश्लेषण होते रहने चाहिए । इससे स्वयं के लेखन में सुधार होता है ।
      सस्नेह

      हटाएं
  4. आदरणीय दीदी,प्रणाम ! आज का अंक देखकर, मन पुलकित भी हुआ और हर्षित भी,इतनी सुंदर और शानदार,जानदार रचनाओं के लिंक्स के चयन,तथा संकलन संयोजन के श्रमसाध्य कार्य हेतु आपको सादर नमन,आपका ये प्रयास ब्लॉग जगत में नवोदित रचनाकारों के लिए संजीवनी साबित होगा, आप निरंतर मार्गदर्शन करती रहें,ये आपसे हमारी प्रार्थना है,और आशा भी,सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई, पुनः आपको सादर नमन एवम वंदन ।

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    उत्तर
    1. इतने खूबसूरत शब्दों में आपने मेरे प्रयास को सराहा ।।तहेदिल से शुक्रिया । आप लोगोंका लेखन निरंतर चलता रहे , यही कामना है ।

      हटाएं
  5. संगीता जी आपकी लगन व मेहनत को सलाम है । सभी लिंक बेहतरीन...नवोदित रचनाकारों की परिपक्व रचनाओं से परिचय करवाने का शुक्रिया ।

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    उत्तर
    1. उषा जी , आपको लिंक्स पसंद आये । बहुत बहुत शुक्रिया

      हटाएं
  6. हर्षित हूँ दी..बहुत करीने से रचनाकारों को चयन कर सुंदर भावपूर्ण शब्दों से सजाया है।
    बहुत कुछ सीखना हैं आप सभी से।
    बधाई एवम् शुभकामनाएँ।

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  7. प्रिय पम्मी ,
    आपको पसंद आई चर्चा , बहुत बहुत शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया दीदी,
    आज मैं कई दिनों बाद रीडिंग लिस्ट खोल पाई ब्लॉग्स पढ़ने के लिए। पंद्रह दिन पहले चाचाजी के और आठ दिन पहले जेठजी के स्वर्गवास के बाद मन भी अशांत था और व्यस्तता भी बढ़ गई है।
    बस यही कहूँगी कि आज पाँच लिकों पर नहीं आती, तो बहुत कुछ 'मिस' कर दिया होता मैंने। आपकी पिछली प्रस्तुति 'उड़नतश्तरी' वाले आदरणीय समीर लाल जी की भी अधूरी पढ़ पाई थी। दोनों को बुकमार्क कर लिया है फिर दुबारा शांत मन से पढ़ने के लिए....
    बहुत बहुत आभार आपकी अनमोल प्रस्तुतियों और मार्गदर्शन के लिए।

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    उत्तर
    1. प्रिय मीना ,
      आप भले मन को शांत होने का अवसर दो । मेरी दोनो ही दिवंगत आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि । तुमको ईश्वर धैर्य दे । इन चर्चाओं का लिंक जब तुम चाहोगी में तुमको दे दूँगी , ये कोई बड़ी बात नहीं है । स्वयं को स्थिर करने का समय है ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  9. आप के आने से जैसे ब्लॉगजगत में बहार आ गई दी,इतनी सुंदर आश्चर्यचकित करती आपकी प्रस्तुति में तो अनेकों रंग और भाव देखने को मिलते है।
    प्रस्तुति पर शब्दों को पढ़ते समय एहसास होता है जैसे आपसे बातें हो रही हो। आज के सभी महारथियों से तो अच्छे से परिचित हूँ और उनकी मुरीद भी हूँ बस "मिस्टर मनोज "को छोड़कर। उन से भी मिलने का सौभाग्य मिला आभारी हूँ। सादर नमन आपको

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    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी, संवाद की यह सहजता आप पुराने ब्लॉगर्स में प्रचुरता से पाएँगी। मैंने बहुत सारे पुराने ब्लॉगर्स (2014 के पहले के) को पढ़ा है और उनकी रचनाओं पर आई हुई टिप्पणियों को मैं उतनी ही उत्कंठा से पढ़ती हूँ। उन्हीं टिप्पणियों से मैं और ब्लॉगर्स के प्रोफाइल पर पहुँचती हूँ और इस तरह ना जाने कितने ही ऐसे ब्लॉग्स भी मिले जिन पर बेहद अच्छी कहानियाँ, संस्मरण और कविताएँ हैं पर अब वे ब्लॉग बंद हैं। इन टिप्पणियों में संवाद की सहजता, हृदय की सरलता, अपनापन और जो मौलिकता मैंने पाई, यही लगता कि मैं टिप्पणी नहीं एक और कविता पढ़ रही हूँ। अब तो लोग शब्दों को तोल मोलकर बोलते हैं, हँसते मुस्कुराते भी हैं तो नाप तोलकर। ना जाने कौन किस बात पर रूठ जाए....

      हटाएं
    2. प्रिय कामिनी ,
      यहाँ आने का और चर्चा पसन्द करने का हृदय से शुक्रिया । मुझे भी ऐसा ही लगता है कि यहाँ टिप्पणियाँ नहीं बल्कि हम एक दूसरे से बात कर रहे हैं ।इतने स्नेह और मान के लिए आभार शब्द छोटा तो है लेकिन ये भी न कहूँ तो फिर क्या कहूँ ?
      शुक्रिया

      हटाएं
  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. आज अपने ब्लॉगर परिवार के विस्तार व अपनत्व नें हमें सहज ही भावुक कर दिया है।
    वैसे तो अपने अधिकांश ब्लाॅगर साथियों से मैं परिचित हूँ, फिर भी आज आदरणीया संगीता जी की भावप्रवण लेखनी, हमें और समस्त साथियों को,अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करने को विवश कर गई, फलतः आज यह पटल अत्यंत ही अलौकिक व दिव्य प्रतीत हो रहा है।
    ब्लॉग जगत में आदरणीया यशोदा दी, श्वेता जी, कामिनी जी, मीना जी, जिज्ञासा जी, विमल जी, पम्मी जी, शिखा जी, कुसुम जी, मयंक जी, अनीता सैनी जी, अनीता जी, दिव्या जी, विश्वमोहन तथा अन्य, जिनके नाम हम नहीं ले पाए, का अपना विशिष्ट स्थान है तथा वे ब्लाॅग जगत को एक नई दिशा व नई ऊँचाई प्रदान कर रहे हैं।
    आशा है, हम एक सुखद भविष्य की ओर प्रस्थान कर रहे हैं ।
    पुनः शुभकामनाएँ ......

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    उत्तर
    1. पुरुषोत्तम जी ,
      आपका यहाँ पुनरागमन से मन प्रसन्न है । मुझे वाकई लग रहा है कि चर्चा में कुछ दम है । आपने जिन ब्लॉगर्स के नाम गिनाए हैं उनसे मेरा नया परिचय है , और देख रही हूँ कि बलॉस को ज़िंदा रखने में इन सब का बहुत सहयोग है आशा है ये लोग ऐसे ही मिल जुल कर बलॉस को नई ऊँचाई तक पहुँचायेंगे । आमीन ।
      शुक्रिया ।

      हटाएं
  12. आदरणीया मैम, अत्यंत सुंदर प्रस्तुति आज की। हर एक रचना इतनी सुंदर और प्यारी सी है।
    पांच लिंकों के आनंद हमारी दिनचर्या का वो हिस्सा है जिसके लिए मैं बहुत उत्साहित रहती हूँ
    और जब से सोमवार को आपकी प्रस्तुति आने लगी है, मैं सोमवार की प्रतीक्षा करती हूँ।
    आप सभी से परिचित होना और आप सब का प्रोत्साहन और आशीष पाना मेरे लिए वैसे भी सौभाग्य की बात है और आपकी प्रस्तुति से हर एक को और भी गहराई से जानना बहुत अच्छा लगता है, मानो सच में ही सब से मिल रही हूँ।
    अत्यंत आभार इस विविध और अनंदकर प्रस्तुति के लिए व आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनंता ,
      बहुत खुशी हुई कि पाँच लिंको का आनंद आपकी दिनचर्या का हिस्सा है । मेरी प्रस्तुति से आप विशेष प्रभावित हैं यह जान कर खुशी हुई ।।कोशिश करूँगी कि ये इंतज़ार बनाये रखूँ ।
      सुंदर टिप्पणी के लिए शुक्रिया ।

      हटाएं
  13. बहुत अच्छा लगा हलचल का तड़का
    भूले बिसरे घर की सुधि ;लेना भी बहुत जरुरी है

    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कविता जी ,
      आप सही कह रहीं हैं । भूले बिसरे घर की सुध लेने की पहले भी कोशिश की थी , तब जल्दी ही बिसरा दिया था ये घर क्यों कि संगी साथी कोई नहीं दिखा ।
      आज भी संगी साथी न के बराबर ही दिख रहे लेकिन अब मैं नए ब्लॉगर्स के साथ परिचय पाने में मशगूल हूँ , शायद इस बार लौटना सफल हो ।
      आभार ।

      हटाएं
  14. प्रिय दीदी , आपकी प्रस्तुति का हिस्सा बनना मेरे लिए सुखद आश्चर्य से भरा है | नई फसल -- कितना अच्छा नाम है और रोमांच पैदा करने वाला है | मेरे लिए आपके स्नेहिल उदगार अभिभूत करने वाले हैं | निश्चित रूप से मैं एक पाठिका ही हूँ और मेरे भीतर जो सृजन क्षमता है वो इसी पठन - पाठन का परिणाम है , अन्यथा मैं कोई जन्मजात कवियत्री नहीं | और आज आपने जो रचना पढ़ी वह इसी मंच का सृजन है | ये हमकदम नामक विशेष साप्ताहिक प्रस्तुति की रचना है , जो उपरोक्त चित्र पर आधारित थी | फेसबुक पर भी इस रचना को काफी पसंद किया गया | आभार कहकर आपके स्नेह की गरिमा खंडित नहीं करुँगी | आपके लिए मेरी ढेरों शुभकामनाएं और प्यार | ना सिर्फ पांच लिंक मंच, अपितु पूरे ब्लॉग जगत में आपके आने से नवजीवन का संचार हुआ है | निश्चित रूप से नये ब्लोगर्स के लिए इस तरह की प्रस्तुतियां बहुत लाभदायक हैं | नये पाठक ब्लॉग तक पहुँचते हैं और रचनाकारों का मनोबल ऊँचा हो उन्हें सृजन की प्रेरणा मिलती है | हमारे स्नेही सहयोगी पुरुषोत्तम जी , प्रिय श्वेता . प्रिय जिज्ञासा जी के साथ- साथ आपकी रचना के साथ मंच साझा करना मेरे लिए गर्व का विषय है | बहुधा मैं आते -आते बहुत देर कर देती हूँ | पर मेरा सृजन और पठन- पाठन का यही समय होता है | मंच को नमन करते हुए आज के सभी सहयोगी रचनाकारों को ढेरों शुभकामनाएं| आंच तक पहुँचाने के लिए कृतज्ञ हूँ | एक बार फिर शुभकामनाएं आपके लिए | आपकी कोई रचना ---- सचमुच जादू और रहस्यमय हैं ये शब्द -- उत्सुकता जगाते हुए कौन सी रचना ????? र आंच का नया अंक क्यों नहीं आ रहा ये रहस्य ही रहा | सादर 🙏🙏❤❤🌹🌹

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  15. प्रिय रेणु ,
    तुम्हारी लिखी टिप्पणी पढ़ लगता है कि कोई काव्य ही पढ़ रहे हैं । कितने ध्यान से छोटी छोटी बातों को पकड़ती हो , बड़ा संभाल कर लिखना पड़ेगा कुछ भी । शीर्षक देना चाह रही थी नई उम्र की नई फसल फिर लगा कि उम्र तो इतनी नई नहीं है कोई इस ओर कुछ कहेगा तो क्या जवाब दूँगी , वैसे उम्र का कम बताना अच्छी ही बात होती न ? 😊 खैर नसई फसल तो है और खूब फलफूल रही है , सब बहुत अच्छा लिख रहे हैं ।तुम अपने को कवयित्री नहीं मानती ,ये अलग बात है । जन्मजात कोई लेखक नहीं होता , जो जितना ज्यादा पढ़ेगा उतने ही उसके विचार परिपक्कव होंगे और उसमें लेखन क्षमता का विकास होगा तो तुममें वो संभावनाएँ हैं ।
    आपकी कोई रचना ---- इस जादू और रहस्यमय का भाव शायद तुम ही महसूस कर सकीं । तभी लिखा मैंने कि छोटी छोटी बात पकड़ती हो । और यहाँ भी न सीधे सीधे लिंक दिखे न कविता का नाम .... एक और रहस्य था न ? आशा है मज़ा आया होगा ।
    आंच के बारे में जो तुमने पूछा है तो बस यही कहूंगी कि अभी व्व ब्लॉग निष्क्रियता की स्थिति झेल रहा है ... जैसे हम सभी पुराने ब्लॉगर्स के ब्लॉग शांत पड़े हैं । यदि मनोज जी सक्रिय होंगे तो आंच फिर से दहक सकती है ।
    मैंने कुछ दिन पहले उनको दस्तक तो दी थी लेकिन जवाब नहीं मिला । देखते हैं फिर कोशिश करके ।
    इस बार आप सबका शुक्रिया कहने में थोड़ा विलंब हो गया सर्वाइकल की वजह से थोड़ा परेशानी हो रही थी .... उम्मीद है नाराज़ नहीं होंगे ।
    तुमसे एक ही बात कहनी है कि तुम केवल अपने लिखने पर ध्यान दो बाकी ब्लॉगिंग में ऊँच नीच चलती रहती ।
    सस्नेह
    दीदी

    जवाब देंहटाएं
  16. @@ श्वेता , जिज्ञासा , विमल जी , यशोदा , मीना ,पम्मी , और रेणु ,
    आप सबने आँच पर मेरी कविता की समीक्षा पढ़ी और अपने विचार भी लिखे ... सभी का दिल से शुक्रिया ।।
    मीना जी ने लिखा कि हमारी रचनाएँ तो इस तरह की समीक्षा से वंचित ही रह जाएँगी । सच ही जब भी जिदकी पोस्ट आँच पर आती थी तो बड़ा गर्व महसूस होता था । लगता था कि हमारा लिखा इस लायक है कि लोगों का ध्यान आकर्षित कर सके । हो सकता है कि मनोज जी फिर ब्लॉग्स में सक्रिय हो जाएँ और आप लोगों की ये इच्छा पूरी हो सके । वैसे आप सभी एक दूसरे के लिए समीक्षक बन सकते हैं ।बस सौहार्द बनाये रखना होगा ।
    आँच पर पहुँचने के लिए पुनः आभार ।

    जवाब देंहटाएं

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