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सोमवार, 8 मार्च 2021

2061...दुनियावी शोर से बेख़बर रात-दिन, उनकी आहट की इन्तज़ारी है

सादर अभिवादन
आज विश्व महिला दिवस  है
सभी को शुभकामनाएँ
तरह-तरह की रचनाएँ देखने को मिलेगी
आज...
इस पर्व से इतर मैं आज लाई हूँ
अपनी ही प्यारी सखी श्वेता जी की रचनाएँ
महिला दिवस पर महिला की रचनाएँ

प्रकृति का संसार भी विचित्र है न कितना?
हर ऋतु का स्वागत और श्रृंगार कितनी तन्मयता से करती है।  
खूबसूरत चटख पीले रंग के सुंदर जालों की कारीगरी अंचभित करती है।
आपने भी देखा होगा न अपने शहर में अमलतास?

एहसास की आकुल रश्मियाँ और 
प्रकृति की सजीव चित्रात्मकता 
बहुत ही मनभावन है, 
नाज़ुक से एहसास मन को स्पर्श करते हैं ...रेणु


बे-क़रारी सी बे-क़रारी है
वस्ल है और फ़िराक़ तारी है।- जॉन एलिया

परछाइयों की बात न कर रंग-ए-हाल देख
आँखों से अब हवा-ओ-हवस का मआ'ल देख। - शमीम हनफ़ी

कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते। - अहमद फ़राज़

उपरोक्त अश़आर इन ख़ामोशियों के आगे फीके हैं

महत्वाकांक्षाओं की दौड़-धूप के बीच ज़िन्दगी में सुकूं तलाश रही है 
आपकी अभिव्यक्ति। बिम्बों और प्रतीकों का सौन्दर्यमयी प्रयोग।
कंटीली झाड़ियों में उलझी ख़्वाबों की चादर आहिस्ते से ,
क़रीने से ,संयम से सुलझानी होती है।

अपने अंतर में छिपे रहस्यों को कुरेदने के लिए 
मजबूर करती रचना। एक विचारशील मस्तिष्क और सुविचार से परिपूर्ण 
मन प्रकृति की अथाह संपदा में गोते लगाता है, 
तो (साहित्य) की अमूल्य धरोहर की उत्पत्ति स्वाभाविक है।
एकांत का उत्सव .....
.....
आज बस इतना ही
सादर

 

33 टिप्‍पणियां:

  1. जी दी आपके इस स्नेह के लिए क्या कहें...निःशब्द कर देती हैं आप।
    आपका स्नेह और आशीष सदा बना रहे।

    सस्नेह शुक्रिया
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी पगली बहना..
      अच्छाइयों कर उजागर
      कमियों को छुपाकर बता
      आदत है मेरी..
      सादर..

      हटाएं
  2. ज़रूर ही आज कुछ खास होगा इन लिंक्स में । अभी बस उपस्थिति दर्ज की है । जाते हैं सभी लिंक्स पर , एक ब्रेक के बाद 😄😄 ।
    शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रणाम दी,
      आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी:)
      सादर।

      हटाएं
    2. श्वेता ,
      हर रचना पर पहुँचें , खूब गहनता से पढ़ा , प्रकृति के सौंदर्य से अच्छा परिचय हुआ । हर कविता बहुत कुछ कहती हुई । बाकी कमेंट आपके ब्लॉग पर कर आई हूँ ।
      शुभकामनाएँ

      हटाएं
    3. जी दी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रियाएँ उल्लासित कर गयीं।
      खासकर 'इन खामोशियों में---'
      आपने हर बंध को लेकर सुंदर और सकारात्मक पंक्तियाँ लिखकर अपने भाव दिए और एक खूबसूरत रचना मिली मुझे उपहारस्वरूप..
      सकारात्मक ऊर्जा से मन सींचने के लिए आपका धन्यवाद कैसे दूँ दी स्नेह मिलता रहे आपका:)
      प्रतिक्रियास्वरूप लिखी आपकी पंक्तियाँ --
      ------
      बड़ी मुश्किल से दिल की बेकरारी को करार आया
      जब हमने गुज़रते लम्हों के साथ गम को भगाया

      ये शेर कुछ यूं कह रहा
      रहते थे कभी उनके दिल में ...... आज गुहगारों की तरह

      भले ही धुंधला गयी हो तस्वीर जो दिल में सजाई थी
      तेरी बेरूखी ने जैसे दिल पर आरी चलाई थी ।

      हर आहट पर लगा कि वो है
      पर चारों ओर बस मौन है ।

      चाहत की खुमारी किस कदर चढ़ी है
      ये भी भूल गए कि ये विरह की घड़ी है ।

      हादसों का क्या वो तो होते रहते हैं
      सफर जारी रहे बस यही तम्मना करते हैं

      अभी कहाँ मौत तुम्हारी बारी
      अभी तो शुरू ही हुई है ज़िन्दगी बेचारी ।

      खैर ! हो गया खूब इस ग़ज़ल का चिथडफिकेशन । ये शब्द मेरा ही ईजाद किया हुआ है । अभी तक जो कुछ लिखा उसे दिल पर मत लेना । यूँ ही गंभीरता में हास्य का तड़का है ।
      यूँ ये ग़ज़ल बहुत खूबसूरत । मन तक पहुंची हर बात ।

      हटाएं
    4. अरे , इनको यहाँ क्यों छाप दिया । इज़्ज़त खाक में मिल जाएगी भाई । सब कहेंगे कि बहुत ही खुराफाती हैं । चलो कोई नहीं ,अब जो किया है तो भुगत भी लेंगे ।
      तुम खुश हुईं बस यही काफी है ।सस्नेह

      हटाएं
  3. अशेष शुभकामनाएँ..
    शानदार रचनाओं क समंदर..
    खुश रहिए..

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी सखियों को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँँ💐💐💐💐श्वेता की रचनाएँँ तो हमेशा लाजवाब ही होती हैं , चलते हैं पढनें उनके ब्लॉग पर .....।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी दी,
      आपकी सहृदयता के लिए आभारी हूँ आपने प्रत्येक मेरी रचना पढ़कर प्रतिक्रिया लिखकर, उदारता से उत्साहवर्धन किया आपका.बड़प्पन है।
      बहुत बहुत आभारी हूँ।
      सादर शुक्रिया।
      स्नेहिल शुभकामनाएं दी आपको भी।

      हटाएं
  5. श्वेता जी की रचनाएँ निःसंदेह लाज़बाब होती है और आज उनका एक साथ लुफ़्त उठाना...... दिलचस्प है
    आप सभी सखियों को महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी जी,
      आपका स्नेह है आपने हर रचना पढ़ी और अपने अनमोल विचार लिखे बहुत आभारी हूँ।
      आपसबों की स्नेह की ऊर्जा से ही लेखनी चल पाती है।
      सस्नेह शुक्रिया।
      असीम शुभकामनाएं आपको भी।

      हटाएं
  6. व्वाहहहह
    प्रतिक्रिया मे मुशायरे बाजी
    बडी दीदी के ब्लॉग में अक्सर रहती है
    या शब्द मिला
    चिथड़ीफिकेशन
    सादर नमन
    सभी दीदियों को

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी हलचल लिंक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार रचनाओं का लिंक्स चयन एवम खूबसूरत प्रस्तुतीकरण के लिए आपका आदर एवम आभार यशोदा दीदी, अप सभी को महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय जिज्ञासा जी,
      हर रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया पाकर लेखनी को सकारात्मक ऊर्जा मिली।
      बहुत आभारी हूँ आपने इतधा समय दिया।
      स्नेह बना रहे।
      शुक्रिया आपका।
      सस्नेह।

      हटाएं
  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही भावपूर्ण और आत्मीयता भरी प्रस्तुति के लिए सादर आभार प्रिय यशोदा दीदी | प्रिय श्वेता किसी परिचय की मोहताज नहीं | उनका लेखन बहुआयामी है और सहजता से मन में प्रवेश करता है |प्रिय श्वेता को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं| आपको पुनः आभार ब्लॉग से अनमोल मोती चुनने के लिए | सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय दी,
      आपने निरंतर मेरा उत्साह बढ़ाया है मेरी लेखनी के अच्छे बुरे सारे अनुभवों को आपने सराहा और समय-समय पर सही मार्गदर्शन किया है आपके निश्छल स्नेह के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
      बस आपका स्नेहिल आशीष की कामना है।
      प्रणाम दी।
      सादर।

      हटाएं
  11. पर्व से मुक्ति ही पर्व है।
    पर हो सकता है ये पहला पायदान हो इस ओर...

    श्वेता जी की रचनाएं मतलब
    प्रकृति प्रेम, प्रेम में पागलपन, पागलपन का नशा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रोहित जी,बहुत आभारी हूँ आपने समय दिया सभी रचनाओं को पढ़ा और प्रतिक्रिया लिखी उत्साह बढ़ाया है।

      बहुत शुक्रिया
      सादर।

      हटाएं
  12. वाह !
    प्रिय श्वेता आपकी कुछ पढ़ी कुछ अनपढ़ी रचनाएं एक साथ पढ़ कर मन मंत्र-मुग्ध हो गया।
    हमेशा ही आपका सृजन मेरे आकर्षण का केंद्र रहा हैं,दूर से बजते मधुर गीतों सा।
    सस्नेह! सदा नव प्रतिमान स्थापित करते रहो।
    यशोदा जी बहुत बहुत आभार आपका एक अद्भुत संकलन को अपने पेश किया।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी दी,
      आपका सहयोग और आशीष सदा मिला है आपने सदैव उत्साह बढ़ाया है आपका आशीष मेरे लिए अमूल्य और विशेष है सदैव।
      बहुत आभारी हूँ दी आपने रचनाओं को पढ़ा और
      सराहा समय दिया।
      अनुगृहीत हुई।

      सस्नेह शुक्रिया
      सादर प्रणाम दी।

      हटाएं
  13. एक विशेष दिन पर अत्यंत विशेष प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार।
    मैं उस दिन भी आयी थी पर लिख नहीं पायी क्यूंकि मोबाइल पर बहुत अच्छा लिख नहीं पाती।
    देरी से प्रतिक्रिया देने के लिए क्षमा चाहती हूँ।
    आदरणीया श्वेता मैम की रचना पढ़ना सदैव ही एक आनंदकर अनुभव होता है। मैं समय -समय पर उनके ब्लॉग पर जा कर कोई न कोई रचना पढ़ती ही हूँ।
    आज उनकी इतनी साड़ी न पढ़ी हुई रचनाएँ पढ़ कर आनंद आ गया। हर एक रचना सुकोमल भावों से बड़ी हुई प्रकृति के प्रति स्नेह और एक आनंदित एवं शांत मन की अभिव्यक्ति।
    सभी रचनाएँ होठों पर मुस्कान ले आतीं हैं। इस अति आनंदकर प्रस्तुति के लिए पुनः आभार व आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनंता,
      स्नेह आभार।
      तुम्हारा स्नेह और प्रत्येक रचना पर उत्साह वर्धक
      विश्लेषित प्रतिक्रियाएं सचमुच एक रचनाकार की उपलब्धि है।
      तुम्हारे इस स्नेह के लिए क्या कहूँ बस साथ बनाये रखना।

      बहुत बहुत आभारी हूँ।
      शुक्रिया
      बहुत खुश रहो।
      सस्नेह

      हटाएं

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