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शुक्रवार, 5 मार्च 2021

2058 --प्रेम , बर्फ ,रिश्ते -- बदलते ही हैं वक़्त के साथ

 आज इस मंच पर प्रिय यशोदा दिग्विजय ने मुझे अतिथि चर्चाकार के रूप में सप्रेम आमंत्रित किया । हम सब पुराने ब्लॉगर साथी हैं ।विभा जी और कुलदीप जी से परिचित हूँ ।हम सब एक साथ ही इस मंच पर चर्चाकार रहे हैं । यशोदा जी ने स्नेहिल आमंत्रण भेजा तो मुझे तो आना ही था ।  "पाँच लिंकों का आनंद " के सभी चर्चाकारों  को स्नेह , शुक्रिया और शुभकामनाएँ । श्वेता सिन्हा को विशेष शुक्रिया जिसने मुझे पुनः लिंक लगाना बताया । इन बीते  आठ वर्षों में ये सब भूल चुकी थी । 


चलिए अब चलते हैं चर्चा की ओर । यूँ तो मेरे बहुत से पसंदीदा ब्लॉग्स रहे हैं और न जाने कितने लिंक्स । लेकिन यहाँ मुझे पांच लिंक लगाने हैं और उसमें भी एक लिंक अपने ब्लॉग का  लगाने का आग्रह हुआ है तो चयन करना दुरूह कार्य है ।  बस एक गुजारिश कि पाँच लिंक्स अन्य ब्लॉगर्स के लगा कर अपनी रचना का एक अतिरिक्त लगाऊँगी । इस अतिरिक्त के लिए क्षमा याचना । आशा है आप सबको भी लिंक्स पसंद  आएंगे --- 



सबसे पहले आदरणीय प्रतिभा सक्सेना जी के ब्लॉग को शामिल करना चाहती हूँ। उनकी लेखनी में जो गाम्भीर्य है , जिन विषयों पर लिखतीं है मुझे हमेशा ही अचंभित करती रही हैं । हास्य का पुट भी ऐसा होता है कि पाठक पढ़ते पढ़ते बिना हँसे नहीं रह पाता । आज भी मुझे उनका कम्प्यूटर सीखना नहीं भूलता । आप भी आनंद लें उस संस्मरण का - 



वाह रे कंप्यूटर




इसके बाद ले चलती हूँ आपको एक ऐसे ब्लॉग पर जहाँ कविताएँ हैं तो बहुत से संस्मरण । मन के भाव जिस रूप में भी उतरें बस वही विधा बना लेने वाली ब्लॉगर हैं शिखा वार्ष्णेय । उनकी कविताओं में चिंतन मनन बहुत कुछ होता है । सांस्कृतिक यादों से जुड़ी उनकी एक कविता प्रस्तुत है --



कुमायूँनी होली



तीसरा लिंक ले कर आ रही हूँ "गीत मेरे " ब्लॉग से । वाणी जी का ब्लॉग मुझे हमेशा ही आकर्षित करता रहा है । बहुत खूबसूरत और गहन भाव की कविता पढ़ने को मिलती हैं । ऐसे ही गहन भाव वाली एक कविता का लिंक प्रस्तुत कर रही हूं ---



प्रेम , बर्फ , रिश्ते - बदलते ही हैं वक़्त के साथ





एक लिंक मैं उनके ब्लॉग का ले रही हूँ जिनके लेखन से मैं प्रभावित हुई हूँ । कुछ समय पहले ही इन्होंने ब्लॉग की दुनिया में कदम रखा है । कहानी लेखन और कविताओं पर समान अधिकार है । जैसे ये अपनी सोच के ताने - बाने बुनती हैं वैसे ही अपने ब्लॉग का नाम भी ताना बाना रखा है । ज़िन्दगी से जुड़ी छोटी से छोटी बातों को शब्दों में ढाल कर अपनी बात कह जाती हैं तो कहीं किसी मुद्दे पर क्रोध का पारावार नहीं रहता । आप स्वयं ही पढ़ें - 



" सुन रही हो न "




पाँचवा लिंक मैं ऐसे ब्लॉगर का लायी हूँ जो बेचैन आत्मा से जाने जाते हैं ।और सच कहा जाए तो जो सामाजिक , राजनैतिक ,यहाँ तक कि पारिवारिक बातों से बेचैन हो मन के भावों को शब्दों में पिरो दे वो बेचैन तो होगा ही । आडंबर पर कैसे तंज़ करते हुए अपनी बात कही है आप भी पढ़ें - 



मदारी मुक्त बन्दर




अब अंत में अपने ब्लॉग से किसी रचना को चयन करना दुष्कर कार्य होते हुए भी प्रयास किया है । आमतौर पर इस तरह की कविताएँ नहीं लिखती हूँ । लेकिन कहानीकार सुश्री मालती जोशी जी की कहानी "गोपनीय" पढ़ते हुए जो एहसास हुए उनको अपने शब्दों में  बाँधने का एक प्रयास मात्र है ।  ये कविता आपकी नजर --



" छुअन "




 अब इजाज़त दें । इस मंच के सभी चर्चाकारों का आभार । आपका दिन शुभ हो । नमस्कार । 


आपकी ही 

संगीता स्वरुप 


66 टिप्‍पणियां:

  1. वन्दन
    आदरणीया आपकी प्रस्तुति सदैव अनुकरणीय और संग्रहनीय रही...
    साधुवाद

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    उत्तर
    1. विभा जी ,
      आपका स्नेह सदैव मिला । फिर से आपसे मिल कर अभिभूत हूँ । सदर ।

      हटाएं
  2. आदरणीय दीदी
    भावभिभूत हुई..
    पर मन नहीं भरा
    बिछोह के बाद का मिलन
    वाकई सुखद होता है
    जी चाहता है आपकी
    गोद में सर रख कर जी भर कर रो लूँ
    जानती हैं आपकी रचना में गुलाब नें क्या कहा था
    गुलाब तुमने
    और कहा कि
    फूल क्या खुद
    लगाये जाते हैं वेणी में ?
    लाओ मैं लगा दूँ
    मेरा हाथ
    लरज कर रह गया था।
    और तुमने
    फूल लगाते लगाते ही
    जड़ दिया था
    एक चुम्बन
    मेरी ग्रीवा पर
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. यशोदा ,
      यह तुम्हारा स्नेह ही है जो बिछोह नहीं होने देता । गोद में सिर रख कर रोना ही क्यों ? एक प्यारा सा आलिंगन और बस खिलखिला पड़ो ।खूब सारा स्नेह

      हटाएं
  3. कितना सुखद है इस मंच पर फिर से आपको और इस चर्चा को देखना। बहुत आभार।

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    उत्तर
    1. अब तुमको क्या कहूँ ? तुम तो जानती हो कि मुझे हमेशा ही ब्लॉग्स आकर्षित करते हैं ।फेस बुक से कभी प्यार नहीं हुआ । बीच बीच में जोश चढ़ता है तो फिर ब्लॉग्स की तरफ लौट आती हूँ । सुखद अनुभव करने के लिए शुक्रिया ।

      हटाएं
  4. आदरणीया दीदी,
    हम कहाँ कुछ बताये आप तो सब जानती थी,एक संकेत मात्र से आप ही आप सब समझ लीं। आप विलक्षण हैं।
    ।आपका बडप्पन है आपने मान दिया और मेरा सौभाग्य है आपका स्नेह पाना।
    हमसब आपका अनुभव और मार्गदर्शन पाकर अभिभूत हैं।
    आशीष बना रहे।
    जी दी आपके अंदाज में अति सुंदर अंक तैयार हुआ है सभी वरिष्ठ रचनाकारों की सुंदर कृतियों को पढ़कर आनंद आया।
    आपकी सकारात्मक ऊर्जा का संचरण और स्नेहिल साथ सदैव बना रहे।

    सादर प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता ,
      ये ज़रा सा संकेत ही तो सीखने की प्रक्रिया है ।ये संकेत न होता तो लिंक्स लगने मुश्किल थे । अंक पसंद करने के लिए शुक्रिया । सस्नेह ।

      हटाएं
  5. सादर चरणस्पर्श
    पहली बार मिली..
    कई और बार मिलने की तमन्ना है
    मैं अभी दिल्ली में हूँ
    मेरे ट्यूशनर बच्चों की परीक्षाएं हैं
    वरना आकर लिपट जाती
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिव्या ,
      संभव हो तो आ जाओ ।यहीं दिल्ली में तो हूँ ।तुमने तो मेरे अंदर भी मिलने की इच्छा जगा दी ।
      बहुत स्नेह

      हटाएं
  6. आज वर्षों बाद शुरू के तीन लिंक पर जाकर ब्लॉग पढ़ा। आदरणीय प्रतिभा सक्सेना जी का संस्मरण काफी रोचक और पूरी एक पीढ़ी का संस्मरण लिए है। शेष कविताएँ बढियाँ। मजा यह कि किसी मे मेरे कमेंट नहीं हैं। ☺️ आभार आपको। शेष पढ़ते हैं शाम को।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. देवेंद्र जी ,
      पुराने ब्लॉगर होने के बावजूद बहुत कुछ रह जाता है पढ़ने से । आपको इन लिंक्स में कुछ नया पढ़ने को मिला । अच्छा लगा । अभी कुछ नए ब्लॉगर्स को भी पढ़ने का अवसर मिल रहा है । मुझे अच्छा लग रहा है ।आपने इस चर्चा को मान दिया इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

      हटाएं
  7. फिर नई शुरुआत हुई ,बहुत अच्छा लगा, सब जानने वाले ब्लॉगर साथियों के लिंक हैं, बहुत अच्छा लिखते हैं सभी के बारे में आपके कथन सही है,शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपके शब्द हौसला बढ़ा रहे हैं ।पुराने दिनों को याद कर मन छटपटाता तो है । आप की सहमति ने मेरे शब्दों को मजबूती दी है । शुक्रिया ।

      हटाएं
  8. कई चीजें हैं जो आपसे सीखने जैसी है।
    एक अपडेट है, एक परिवतर्न है जिसकी जरूरत है।
    प्रत्येक लिंक के बारे में कुछ न कुछ लिखा है और केवल ही लिंक दिया गया उनमें से पंक्तियां नहीं"
    ये बेहद आला दर्जे की बात है....
    लीक पीटने से हटकर कुछ किया गया है जो बेहद शानदार है।
    लिंक उस जमाने से है जब बढ़िया पाठक ब्लॉग पर हुआ करते थे। ये लिंक्स पोस्ट के नीचे उन पर आई कॉमेंट पढ़ कर अंदाजा लगाया जा सकता है।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रोहितास जी ,
      हर चर्चा कार का अपना अंदाज़ होता है ।इन चर्चाओं का मुख्य मकसद पाठक को ब्लॉग तक पहुँचाना होता है ।आपने मेरे द्वारा की गई चर्चा को सराहा इसके लिए आभार । मेरी चर्चा का मकसद केवल लिंक तक पहुँचाना नहीं था ,पुराने ब्लॉगर्स से मिलवाना भी था ।
      तहेदिल से एक बार फिर शुक्रिया ।

      हटाएं
  9. जानदार अंक
    जबरदस्त चर्चाकार..
    आभार दीदी..
    पुराने दिनों में ऐसी ही चर्चा करते थे..
    पुनः और पुनः आभार सभी को
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  10. हम कितना भी समय का रोना रो लें पर आप लोग ब्लॉग की निरंतरता बनाये रखने में सदा संलग्न हैं. सभी रचनाकारों को भी बधाई.
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. वाणी , आप तो फिर भी लिखती रहीं हैं । ब्लॉग पर सबकी उदासीनता देख कर मन उचट सा जाता है ।बस गुज़ारिश है निरंतर लिखिए । आभार ।

      हटाएं
  11. वाह क्या बात है - आते ही छा गयीं आप - बधाई

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अरे ! तुम सबके बिना क्या छाना ।😄😄 ।बस एक प्रयास मात्र है ।

      हटाएं
  12. बहुत दिनों बाद आना हुआ इस संकलक पर। स्तरीय पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रवीण जी ।आपके ब्लॉग पर भी जाना हुआ था । आपने 3-4 वर्षों से कोई पोस्ट नहीं डाली है ।आपके लेखन ने भी हमेशा आकर्षित किया है । आभार ।

      हटाएं
    2. जी, पिछले कुछ वर्षों में व्यस्तताजनित व्यवधान रहा था। ब्लाग का आनन्द पर बरबस वापस ले आता है। सम्प्रति छात्रावास के जीवन पर यादें समेट रहा हूँ।

      हटाएं
  13. आदरणीया मैम,
    आज पहली बार आपकी प्रस्तुति पढ़ी। आज की यह विशेष प्रस्तुति स्वर्णिम प्रस्तुति है, हर एक रचना पढ़ कर आनंद आ गया।
    साकारात्मकता से भरी हुई रुचिकर अनंदकर प्रस्तुति।
    आशा है आपकी और भी प्रस्तुतियाँ पढ़ने को मिलेंगी।
    हृदय से पुनः आभार एवं आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अनंता ,
      कितना अच्छा अच्छा लिखा है तुमने । ये प्रस्तुति आप सबको पसंद आई यह जान कर मन प्रसन्न है ।शुक्रिया।

      हटाएं
  14. आदरणीय दीदी शुभ नमन......
    वर्षों बाद आप के पुनः दरशन हुए.....
    आप के द्वारा सजाई गयी एक खूबसूरत चर्चा पढ़कर मन आनंदित हुआ।......
    ये सौभाग्य है हमारा।
    सादर नमन......

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कुलदीप जी ,
      बस यही समझ लीजिए देर आये दुरुस्त आये 😄😄
      चर्चा पसंद करने के लिए शुक्रिया ।

      हटाएं
  15. यूँ अचानक किसी सुपरिचित का घर आना, मन तरंगित कर जाता है,
    जाने कितनी बातें, यादें ताज़ी हो जाती है एक के बाद एक

    बहुत अच्छी सधी हुई हलचल प्रस्तुति अंक

    जवाब देंहटाएं
  16. कविता जी ,
    आपके स्नेह पगे शब्द सच जी मन को तरंगित कर रहे । उस समय के ब्लॉगर साथी आज भी बहुत करीब लगते हैं । बहुत सारी यादें साहस जीवंत हो उठीं । इस स्नेह के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  17. आपका संकलन संयोजन एवं ब्लॉग का प्रस्तुतीकरण तो शानडर है ही, साथ साथ सुंदर मन मोहती रचनाओं का लिंक एवं लोगों की आपके प्रति जानदार, आशावान टिप्पणी आपके प्रति आकर्षण बढ़ा गई..इतना स्नेह और आदर बहुत कम लोगों को मिलता है,नई ब्लॉगर हूँ..धीरे धीरे समझ रही हूँ..इसी तरह के सुंदर रोचक अंक पढ़ने को मिलते रहें,इसी आशा में जिज्ञासा सिंह..

    जवाब देंहटाएं
  18. जिज्ञासा ,
    बस यह हमारे पुराने ब्लॉगर साथियों का स्नेह ही है जो आज भी आपस में जोड़े हुए है । सभी बहुत सम्मानित और प्यारे साथी रहे हैं । उनका स्नेह ही मेरी धरोहर है ।।
    यह संकलन पसंद आया ,इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  19. अहा ☺️ आज तो घर आँगन दोनों ही गुलज़ार हो गये ... आपके आने से, कितना सुंदरता से सँजोया है आपने प्रत्येक लिंक को ... स्नेहिल वंदन एवं हार्दिक अभिनंदन ... बेहद सुखद

    जवाब देंहटाएं
  20. उत्तर
    1. सदा , ये तुम लोगों का प्यार ही है जो खींच लेता है ।लिंक्स पसंद करने के लिए बहुत सा शुक्रिया । सच ही तुम सभी मन के बहुत करीब हो । इस स्नेह के लिए आभार कहना भी कम होगा । सस्नेह

      हटाएं
  21. आपकी स्नेहिल टिप्पणियाँ और प्रस्तुतिकरण..
    निशब्द हूँ बहुत अच्छा लगा पुनः पढ़ कर।
    आभार.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया पम्मी । यह प्रस्तुतिकरण तुमको पसंद आया ,मन प्रसन्न हुआ । अभी नए लोगों को पढ़ना भी बहुत अच्छा लग रहा है । एक बार फिर शुक्रिया ।

      हटाएं
  22. आदरणीया संगीता जी बेहतरीन लिंको से सजी सुंदर प्रस्तुति देखकर और पढ़कर मन गदगद हो गया।हलचल में आज की हलचल कुछ नयी सी लगी।आपका हृदय से आभार इतनी सुंदर रचनाओं से परिचित करवाने के लिए 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अभिलाषा ,
      मेरा तो मन इसी बात से गदगद है कि तुम सबको लिंक्स और प्रस्तुतिकरण पसंद आया । परीक्षार्थी बन कर आई थी ।तुम सबने स्नेह दे विजेता बना दिया । आभार

      हटाएं
  23. आदरणीय संगीता जी, इस सुंदर अंक पर आते नहीं अपितु लिखते देर हो गई। इस विलंबित प्रतिक्रिया के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। कल ही प्रस्तुति का अवलोकन कर लिया था। प्रतिभा जी के रोचक संस्मरण से लेकर सजीव अनुभूतियों की छुअन तक सभी लिंक अनमोल रहे। बहुत भाग्यशाली हैं वो रचनाकार जिन्हें ब्लॉग जगत की जानी मानी हस्ती की पसंद के पाँच लिंकों में शामिल होने का मौका मिला है। आपका हार्दिक आभार इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए। खास बात ये रही कि रोचक टिप्पणीयों की बरसात के स्नेहिल प्रतिउत्तर मन को छू गए । आखिर वो लोग भी देखें जिनके ब्लॉग पर जाकर पाठक गण भर-भर लिखतें हैं पर उनके पास स्नेही पाठक वृंद के लिए एक आभार तक नहीं। हार्दिक अभिनंदन और आभार इस अविस्मरणीय प्रस्तुति के लिए 🙏🙏

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    उत्तर
    1. रेणु ,
      आपने चर्चा को सराहा और दिए लिंक्स तक पहुंचीं ,यह एक चर्चाकार के लिए पुरस्कार से कम नहीं ।वैसे जो पाँच लिंक मैंने उठाये उन रचनाकारों से ज्यादा में भाग्यशाली हूँ कि उनको पढ़ने का मुझे अवसर मिला ।
      ब्लॉगिंग में कुछ अपेक्षा होती है और उपेक्षा मन को दुखाती भी है ।लेकिन आप बस इन दोनों से ऊपर उठ कर अपने लेखन पर ही ध्यान केंद्रित करें । बाकी तो सब माया है । सस्नेह ।

      हटाएं
  24. सभी सम्मिलित रचनाकार बधाई के पात्र हैं। सभी को सस्नेह शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय सखी
      उलाहना लाज़िमी है
      लिख नही पाते आभार
      प्रतिक्रिया दाताओं को
      वजह कुछ भी नहीं
      विस्तार से फिर किसी दिन
      स्नेह बनाए रखें
      पुनः आभार
      सादर

      हटाएं
    2. आदरणीय दीदी ये उलाहना आपके लिए हरगिज नहीं है ये उन रचनाकारों के नाम है जो अपने ब्लॉग पर इसका महत्व नहीं जानते। 🙏🙏

      हटाएं
  25. रेणु , वैसे आप कह तो ठीक रही हैं लेकिन कई बार आप सबको जवाब नहीं दे पाते ।उसके कई कारण हो सकते हैं ।हम लोग शुरू में ब्लॉग पर आभार व्यक्त नहीं करते थे उसका कारण था । वो फिर कभी ।
    अभी भी कुछ मुश्किल होती है आभार व्यक्त करने में ।जैसे मैं एक ब्लॉग में तो जिसकी टिप्पणी है उसीके नीचे जवाब दे पाती हूँ । वहां मैं आभार व्यक्त करती हूं लेकिन मेटे दूसरे ब्लॉग में टिप्पणी के साथ ही जवाब देने की व्यवस्था नहीं है तो वहाँ मैं नहीं दे पाती ।यूँ हर टिप्पणी रचनाकार के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होती है ।मेरे ब्लॉग गीत मेरी अनुभूतियों पर आभार न मिले तो मायूस न होना । बहुत सारा स्नेह

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी दीदी सुप्रभात और प्रणाम 🙏🙏अभिभूत हूं आपके स्नेह और विनम्रता से। समझिये आज आखिरी बार आभार मुद्दा उठाया है। आपकी बात सही है। आज जाना फलदार वृक्ष ही क्यों झुकते हैं। आपकी शालीनता का मधुर अनुभव अविस्मरणीय है। ढेरों शुभकामनाएं आपके लिए🙏🙏🌹🌹

      हटाएं
    2. प्रिय रेणु,
      मेरी बात के मर्म को समझ अपने मन को शांत किया ।ये मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता की बात है । तुम्हारा लेखन आकाश की ऊंचाइयों तक पहुँचे यही कामना है ।सस्नेह

      हटाएं
  26. संगीता जी आप ब्लॉग पर पुन: सक्रिय हुईं देख कर ख़ुशी हुई ।किन्हीं अपरिहार्य कारणों से देरी से प्रतिक्रिया देने के विए क्षमाप्रार्थी हूँ । मेरी रचना शामिल करने का बहुत आभार और बाकी सभी रचनाकारों को भी बधाई । सबको अब पढूँगी ।ब्लॉग जगत से परिचय मेरा बहुत देर से हुआ पर अब आपके सान्निध्य में बहुत कुछ सीखने को मिलेगा ऐसा मुझे विश्वास है । यशोदा जी के आपके प्रति भावुक उद्गारों ने छू लिया बाकी भी सबका आपके प्रति स्नेह देख कर बहुत प्रसन्नता हो रही है ।...पुन: आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  27. उषा जी ,
    देर आये दुरुस्त आये । क्षमा मांग कर मुझे शर्मिंदा न करें ।भले ही ब्लॉग जगत से आपका परिचय कम दिनों का हो लेकिन आप एक स्थापित लेखिका हैं । ये मेरे पुराने साथी कुछ ज्यादा ही भावुक हो गए और मुझे भी कर दिया । लिंक्स पर जाइयेगा , आपको जरूर अच्छा लगेगा । मुझे विश्वास है । सुंदर टिप्पणी के लिए आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  28. प्रतिभा जी ने बहुत हंसाया...चूहा, खिड़की, तीर, सब पढ़ कर खुद के दिन याद आ गए ।देवेंद्र जी वे बंदर, यजमान, पंडित जी को लेकर सटीक व्यंग लिखा है। शिखा की होली रचना ने होली रा उल्लास जगा दिया।संगीता जी की नाजुक सी प्यार भरी कविता सब रचनाओं को पढ़ कर आनन्द आ गया ...सभी को बहुत बधाई👏👏👏👏👏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उषाजी ,
      आज तो आपने नतमस्तक ही कर दिया । हर लिंक पर जा कर पढ़ना और चर्चाकार को उन लिंक्स का फीडबैक देना अप्रत्याशित सा ही था । आपकी इस अभिव्यक्ति से अभिभूत हूँ । आभार , शुक्रिया सब छोटे पड़ जाएंगे लेकिन रस्म तो निभानी ही है न 😄😄 तो बहुत बहुत शुक्रिया ।

      हटाएं
    2. देर से आ पाई तो शर्मिंदा थी-

      हाँ डरती हूँ मैं भी
      अपनों के रूठने से
      उनका दिल न दुखे इससे
      किसी प्रिय को न खो दूँ इससे
      प्यार का कर्ज रहता है मुझ पर
      कोई रूठ कर चला गया तो
      कैसे मनाऊंगी ...कहाँ पाऊंगी
      बस इसी बात से डरती हूँ मैं भी

      हटाएं
    3. उषाजी ,
      आप भी न ! अब क्या कहूँ इस अगाध स्नेह के लिए । यूँ आप भी जानती हैं कि इतनी आसानी से तो न छोड़ने वाले । हम तो लड़ भिड़ कर भी एक ही रहेंगे । एक दूसरे पर प्यार के कर्ज चढ़ाते हुए । अगले जन्म में फिर मिलेंगे इसी तरह तो डर किस बात का ?

      हटाएं
    4. बनाए कखिएगा अपवा य्नेह अगले जन्म तक 😊🌺🍃🍂

      हटाएं
  29. उत्तर
    1. शुक्रिया सतीश जी ।।प्रतिभा जी से तो आपने ही परिचय कराया था ।

      हटाएं

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