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रविवार, 13 दिसंबर 2020

1976 ...ज़िंदगी चल तो रही है पर, पहले जैसी नहीं...

 जोर की बारिश
और बर्फबारी
हिमांचल प्रदेश में


बिजली भी गुल
हार गए हिम्मत
भाई कुलदीप जी
फोन कर दिया....
जल्द फोन किया भाई ने...



चलिए रचनाओं की ओर...

पहले जैसा ...श्वेता सिन्हा


बचपन,यौवन,प्रौढ़,बुढ़ापा

तन के साथ-साथ

मन की भावनाओं का आलोड़न

महसूस तो होता है,

पर स्मृतियों में कैद पल

भींच लेते हैं सम्मोहन में

फिर, उलझा मन लौटता है  

स्मृतियों के परों से वापस

असंतोष वर्तमान का

कानों में फुसफुसाता है


हिमालय पर वर्ण पिरामिड ..कुसुम कोठारी


हूँ

मैं, भी

बहती

अनुधारा

अविभाज्य सी

उन्नतशील का

बहता अनुराग।



तमाशबीन ...जिज्ञासा सिंह



पास की झुग्गी में बहुत ज़ोर शोरशराबा हुआ 

वो दिखा दांत पीसता हुआ

जबड़े कसे ऐसे,  जैसे चबा जाएगा

खा जाएगा

उसे कच्चा ही 

इतना समझा ही 

था कि वह भौंकने लगा 

कुत्ते की तरह नोचने लगा 


 "पहले मैं ही जाऊंगी" ... रीना झा शर्मा 


सुनो, इस आंगन में,

तुम ही लेकर आए थे..

इस आंगन से,

तुम ही लेकर जाना....

साथ निभाया तो, है अब तक तुमने...

अंत तक तुम ही साथ निभाना...


तुम कैसी हो कुछ हाल कहो ..अमित 'केवल'


कुछ मेरी भी सुनती जाओ

और कुछ अपने सवाल कहो


अब मिले हो कितने सालों बाद

कैसे गुज़रे ये साल कहो


मेरे भी दिल की कुछ सुन लो

कुछ अपने भी हालात कहो


चलते -चलते..

किसी के समझ में नहीं आता



समझ में 

आने तक बहुत देर हो जाना

गली का 

व्यक्तित्व में ही शामिल हो जाना 


गली का गली में जम जाना 


उस दिन का इंतजार 

कयामत का इंतजार हो जाना 

पता चले जिस दिन 


छोड़ दिया है

तूने भी 'उलूक'

अब 

उस गली से  आना जाना ।

....
बस
सादर

8 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार तुरत-फुरत अंक..
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सराहनीय प्रस्तुतीकरण
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. दिग्विजय जी नमस्कार! सुन्दर संयोजन, प्रशंसनीय प्रस्तुति के लिए आप का बहुत बहुत आभार..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपको मेरा नमन और वंदन..सादर..।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद सुंदर रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति,सभी लिंक मनोहर ।

    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं

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