।। प्रातःवंदन ।।
"इस समय तुम्हारी नेक आवाज़ की
बहुत ज़रूरत है कविता
क्योंकि वो सिर्फ़
तुम ही हो जो बदल सकती हो दिशाएँ-दशाएँ
अब तुम्हें किताबों और पन्नों से उतारकर
उठाकर गाया जाना बहुत ज़रूरी है"
प्रज्ञा रावत
अवसरवादी राजनीति विराजित चहूंओर ।
कृषि कानून के आड़े रोटी सेके पूरजोर ।।#तृप्ति
चलिए अब नज़र डालें चुनिंदा लिंकों पर...✍️
⚜️⚜️
शांतिक्षेत्र में ये क्या हो रहा है ...
मीलों दूर बैठा मन
उत्सुक है , बहुत आतुर है
जानने को पीड़ित है
क्रांतिक्षेत्र / शांतिक्षेत्र में ये क्या हो रहा है
सत्य और न्याय के लिए अब और युद्ध नहीं होना चाहिए
इसलिए मनुपुत्रों ने लाखों- करोड़ों युद्धों को ..
⚜️⚜️
अच्छा नहीं आया
बताएँ क्यूँ के हमको अब तलक क्या क्या नहीं
हाँ ये है सामने वाले को भरमाना नहीं आया
जो कहना था न कह पाए हों शायद हम सलीके से
है मुम्क़िन यह भी शायद उनको ही सुनना नहीं ..
⚜️⚜️
बहुत कमजोर होता है जिज्ञासुओं का पाचन तंत्र
तिवारी जी का कहना है कि आजकल वो फैशनेबल हो गए हैं।
अचरज बस इस बात का है कि तिवारी जो पहले भी
इसी लिबास में रहते थे और आज भी, चलते भी उसी साइकिल पर हैं
पिछले कई दशकों से, फिर फैशनबेल होने से क्या फरक पड़ा?
⚜️⚜️
ज़िंदगी में आ गया मसला बड़ा हैअन्नदाता आज सड़कों पर खड़ा है
जिस तरह सरहद पे रक्षक जूझते हैंमुश्क़िलातों से हमेशा वो लड़ा है..⚜️⚜️
तज़ुर्बा
तज़ुर्बा ना पूछ ए सोखियाँ lझुरिआ वयां रही ख्यालों की लड़ियाँ ll
बदल गयी जो रंग जुल्फ़ों के lवो चाँदनी कम ना थी औरों से ll..
⚜️⚜️ एक खूबसूरत गायन शैली संग ..आज यहीं तक..
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍️
बेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
प्रिय पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी,
जवाब देंहटाएंयह मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि आपने मेरी ग़ज़ल को ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल किया है।
आपका हार्दिक आभार 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
सभी रोचक लिंक्स को एक पटल पर उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बढिए। मेरी रचना को स्थान देने के लिए विशेष आभार।
जवाब देंहटाएंवाह!शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्यारी , मीठी , मनभाविनी हलचल के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंपठनीय और सराहनीय सूत्रों से सजी.प्रस्तुति दी।
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअतिसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं