सादर वन्दे
एक चित्र से शुरु
भारत के अंदर भारत
असम के बोगाइगाँव दो नदियां
चम्पावती और ब्रम्हपुत्र का संगम
हू ब हू भारत के मानचित्र जैसा है
असर अब गहरा होगा ...कुसुम कोठारी 'प्रज्ञा'
छुपा है परदों में कितने,जाने क्या राज़ गहरा होगा ।
अब्र के छटते ही बेनक़ाब चांद का चेहरा होगा ।
साये दिखने लगे चिनारों पे, जाने अब क्या होगा।
मुल्कों के तनाव से चनाब का पानी ठहरा होगा ।
क्यूं रूठे है सनम आप हमसे ....प्रीती श्रीवास्तव
क्यूं रूठे है सनम आप हमसे।
क्या वजह है बताइये तो जरा।।
दिल है मेरा कांच का सनम।
इस पर रहम खाइये तो जरा।।
शब्द वाण से आहत होकर
व्याकुलता घबराहट भरकर
किन्चित चैन न खोना,
कवि मन यूं विचलित न होना....
पलों के यूकेलिप्टस ...पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
हाँ, बीत जाते हैं जो, साथ होते नहीं,
पर वो पल, बीत पाते हैं कहाँ!
सजर ही आते हैं, कहीं, मन की धरा पर,
पलों के, विशाल यूकेलिप्टस!
लपेटे, सूखे से छाले,
फटे पुराने!
एक भी दुकां नहीं थोड़े से कर्जे के लिए ..जॉन एलिया
ऐश-ए-उम्मीद ही से ख़तरा है
दिल को अब दिल-ही से ख़तरा है
जिसके आग़ोश का हूँ दीवाना
उसके आग़ोश ही से ख़तरा है
.....
आज सब ठीक हुआ
सादर
शुभ प्रभात ...
जवाब देंहटाएंमेरी पंक्तियों से प्रस्तुति का शीर्षक ....अच्छा लगा। बहुत-बहुत धन्यवाद।
आज की इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु समस्त रचनाकारों को भी शुभकामनाएँ
व्वाहहह..
जवाब देंहटाएंहर दुकाँ बन्द है आँखों की तरह नशेबाज की
क्या एक भी दुकाँ नही थोड़े से कर्ज़े के लिए
सादर..
बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंसादर...
बहुत बढियाँ प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार।
जवाब देंहटाएंजिस पंक्ति के आगे जॉन एलिया साब का नाम लिख दिया है आपने वो पंक्ति उनके ओहदे के हिसाब से बड़ी बौनी है।
सुंदर रंगों का एहसास लिए हुए खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसभी लिंक आकर्षक लगे ।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।