सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
कोविड-19 के साथ-साथ
इसकी वैक्सीन रही चर्चित,
अब इसकी नई प्रजाति
आई है... क्या-क्या होगा वर्जित?
-रवीन्द्र
आइए अब आपको ले चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर
प्रसन्न मन उत्फुल्ल होगा
नए स्वप्न जागेंगे खुले नयनों में
बीता कल तो बीत गया
अब आनेवाले कल की सोचो |
एहसास !
वही एक पल है जो हर सीमाओं को
लांघकर तल्लीन रह जाना सिर्फ
उस एक पल के लिए जो दिला दे वो
ये दुआ कीजिए | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है
कार्बन से भरी है हवा की शिरा
दे सकेगी कभी सेहतें ये नहीं
रह सके आस्था जिन दरों पर, वहां
हों नक़ाबों मढ़ी सूरतें ये नहीं
झरने का बहना चिड़िया का चहकना
प्रभात की लालिमा में क्षितिज का समाना
या निर्विकार चित्त की संवेदना तो नहीं शब्द?
मरु से मिली ठोकरें सिसकती वेदना तो नहीं है?
कृत्रिम फूलों पर मानव निर्मित सुगंध हैं शब्द?
तो क्या? भावों के भँवर में उलझी ज़िंदगियाँ हैं ?
हे किसान ...सुजाता प्रिये
धरा से प्यार है तुझको।
बड़ी आलार है तुझको।
तू इसका पूत है प्यारा,
बड़ी दुलार है तुझको।
खिलाते हो धरा को तुम।
पिलाते हो धरा को तुम।
खिलाकर अन्न,पिला पानी,
जिलाते हो धरा को तुम।
छत विहीन (मजदूर)... जिज्ञासा सिंह
मेरे कपड़ों को देखकर मुझे गंदा मत समझना
स्वभाव से बड़ा ही शालीन हूँ मैं
समझ लेता हूँ सबकी चाल औ बातें सारी
बड़ा बारीक और महीन हूँ मैं
बड़े ही सभ्य हैं घरवाले मेरे अपने
ग़रीब हूँ ,पर कुलीन हूँ मैं
चलते-चलते एक सद्य प्रकाशित पुस्तक की चर्चा-
काव्य-संग्रह 'कासे-कहूँ' का आभासी लोकार्पण ... विश्वमोहन
https://youtu.be/yDo3wXZTk-o
अपोलो अस्पताल, नयी दिल्ली की वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर रश्मि ठाकुर के सुमधुर स्वर में पुस्तक के शीर्षक गीत ‘कासे कहूँ हिया की बात…’ के गायन के साथ कार्यक्रम का प्रारम्भ और समापन हुआ। श्रीमती विभा रानी श्रीवास्तव द्वारा संचालित पूरे कार्यक्रम का सजीव प्रसारण फ़ेसबुक लाइव पर हुआ।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में।
रवीन्द्र सिंह यादव
सराहनीय प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार...
सादर ..
उम्दा चयन
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय संकलन
साधुवाद
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
भिन्न-भिन्न संदेशों से पूर्ण रचनाओं का उम्दा चयन और सुंदर प्रस्तुतीकरण के लिए आपको शुभकामनायें..मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर ।
जवाब देंहटाएंरचना को मंच पर स्थान देने हेतु।
सादर
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक एवं पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार एवं साधुवाद !!!
जवाब देंहटाएंकोविड-19 के साथ-साथ
जवाब देंहटाएंइसकी वैक्सीन रही चर्चित,
अब इसकी नई प्रजाति
आई है... क्या-क्या होगा वर्जित?
आदरणीय रवीन्द्र जी, वास्तव में आपकी ये काव्यपंक्तियां उस चिंता को मुखरित करने वाली हैं जिससे भविष्य में हमें दो-चार होना पड़ सकता है।
बहुत अच्छे लिंक्स का संयोजन किया है आपने, और इसमें मेरी पोस्ट को भी शामिल किया इस हेतु हार्दिक आभार 🙏