सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
अप्रतिम सौंदर्य...कुसुम कोठारी
वैचारिकी पेंसिलों को
अपने-अपने
दल,वाद,पंथ के
रेजमाल पर घिसकर
नुकीला बनाने की कला
प्रचलन में है,
सुलेख लिखकर
सर्वश्रेष्ठ अंक पाने की
होड़ में शामिल होने वाले
दोमुँहे बुद्धिजीवियों से
किसी विषय पर
निष्पक्ष मूल्यांकन
और मार्गदर्शन की आशा
हास्यास्पद है।
हवाओं ने चुराकर खुशबू तुम्हारे बालों से
भ्रूणहत्या (कन्या )... जिज्ञासा सिंह
जाने किस बात पे यूँ दिल से निकारी गई मैं
सभी कहते हैं,लड़की एक बोझ होती है
इस दौर में बन,कर्ज उधारी गई मैं
किसान आंदोलन, सत्याग्रह और 'चंपारन मीट हाउस'
वाह👌👌 शानदार रचनाओं के साथ लाजवाब प्रस्तुति। सभी को प्रणाम और सुप्रभात 🙏🙏सबका दिन मंगलमय हो।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंव्वाहहह..
जवाब देंहटाएंस्वागतम्
कर्मभूमि में..
आभार..
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंरवीन्द्र सिंह यादव जी, नमस्कार ! आपके श्रमसाध्य संयोजन और प्रस्तुतीकरण को नमन है, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपको मेरा आभार..।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभारी हूँ रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंसादर।
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
बहुत शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक सभी रचनाएं बहुत ही सुंदर।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।