अमेरिका में थैंक गिविंग से न्यू ईयर तक हॉलीडे
चलिए इस साल मैं भी छुट्टी पर चलती हूँ.. सब ठीक रहा तो अगले साल मिलेंगे....
जो जितना तप जाता है ।
वो स्वर्ण चमक पाता है ।
सच्चाई परखना हो तो निरखना
थर –थर कंपाती शीत लहरी हो,
आंधी हो या झंझावत का प्रबल आघात,
मैं सब सहता रहा चुपचाप,
मैं रहा दृढ और स्थिर चित्त,
मुझे पता था ये सब मेरे जीवन
में आने वाली बहार को छीन नहीं पायेंगे,
शब्दों का झंझावात है क्या उलझना
मुझे बन्धनों में ना बांधों
ये मेरा अन्तिम जन्म ही भला
पर अपने अगले 6 जन्मों तक
मुझे याद जरूर रखना
मैं कहती हूँ याद रखोगे ना?
तुम ही नहीं
ऐसे और भी
कुछ समय तक रहे
मेरे प्रेम में
और भी आये कुछ दिनों के लिए
अपनेपन का उपहार लेकर
वो भी चाहता है...
कि कभी कोई उसके लिये भी,
वक्त निकाले
उसे सुने और समझे,
मन की बात करते तो सब हैं...
पर इसे आज सुनता कौन है?
रत्न जडित स्वर्ण सिंहासन ,
मुक्ता मणियों के उर हार !
शीश मुकुट बहु बेशकीमती ,
सब हो गए हैं क्षार क्षार !
दुनियां वालो देखो नाटक ,
नियति नटी के नर्तन का !
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पुन: भेंट होगी...
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शुभ प्रभात दीदी..
जवाब देंहटाएंसादर नमन..
बेहतरीन प्रस्तुति..
सादर नमन..
हमेशा की तरह सराहनीय संकलन दी।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।
सादर प्रणाम।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआने वाले समय में भी लिंक्स यूं ही खुशगवार रहें
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को को सुप्रभात तथा सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत आभार आदरणीया
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचनायें
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