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शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020

1965 ...खिल आते हो, कोई, अमर बेल बन कर

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन।

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विसंगतियों से भरे इस जीवन का
हर पल रंग नया लाये,
अगले पल क्या घटित होगा 
कोई भी जान न पाये,
 वर्तमान बिसराकर मन ये
बीती गलियों में चैन लुटाये,
 फ़िक्र में कल की आज की खुशियाँ
पल-पल इंसां गँवाये
 सुख फूलों से आँचल भर लें
कभी काँटों की चुभन बौराये
 कहाँ एक-सा रहता जीवन?
चलकर यह समय बतलाये
-श्वेता

आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

स्त्री हूँँ 


मन में अब कुछ नहीं उपजता   
न स्वप्न न कामना   
किसी अपने ने पीछे से वार किया   
हर रोज़ बार-बार हज़ार बार,   
कोमल मन   
खंजर की वार से बंजर हो गया है   
मेरा मन अब बाँझ है!   



पर, तुम्हारी ही स्मृति, ले आती हैं तुम्हें,
दो नैन चंचल, फिर से, रिझाने आती हैं हमें,
खिल आते हो, कोई, अमर बेल बन कर,
बना लेते हो अपना, पास रहकर,
फिर, हो जाते हो धूमिल, कुछ कहे बिन,
उमर आते हो कभी, उन घटाओं संग,
सांझ की, धूमिल सी छटाओं संग,
विस्मृति के, उसी, सूने से विस्तार में,
वापस, सिमट जाते हो तुम!
रोके, रुकते हो कहाँ तुम!







स्वप्नभाव बीजों का संग्रहालय होता
लहलहाते अंकुरित भाव धरा पर जब
धरती स्वर्ग सम दिखने लग जाती तब
नव सपनों से पुष्पित पल्वित धरा होती।




इस नश्वर जग में नश्वर सब

रिश्ते-नाते भी मतलब के

दिन-रैन जिया सब देख लिया

अन्तर्मन को अब तो मथ ले....




वैश्विक आपदा का शिकार एरोन मोरेनो के पिता हो गए।
पिता के खोने के बाद एरोन मोरेनो की माँ इस
स्थिति में नहीं थी कि वे जिस मकान में रह रहे थे
उसका किराया दे सकें और भोजन की व्यवस्था कर सके।
कैलिफोर्निया जैसे राज्य में रहने का भुगतान करना था ।
कुछ ही दिनों में एक समय ऐसा आया उस परिवार के
सामने कि घर में बस बारह डॉलर थे और
कुछ गमलों में नवजात पौधे।
......
आज बस
कल मिलिए विभा दीदी से
सादर



 




8 टिप्‍पणियां:

  1. वर्तमान बिसराकर मन ये
    बीती गलियों में चैन लुटाये,
    फ़िक्र में कल की आज की खुशियाँ
    पल-पल इंसां गँवाये
    बेहतरीन
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छुटकी...
    श्रमसाध्य कार्य हेतु साधुवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. दिन-रैन जिया सब देख लिया
    अन्तर्मन को अब तो मथ ले....
    अप्रतिम अंक
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. सुभग, सुंदर रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. सदा की तरह बहुत ही सुंदर प्रेरणादायक व आनन्दकर प्रस्तुति। हर एक रचना पढ़ कर बहुत आनंद आया। सुंदर हलचल के लिए हृदय से आभार व आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  6. वर्तमान बिसराकर मन ये
    बीती गलियों में चैन लुटाये,
    फ़िक्र में कल की आज की खुशियाँ
    पल-पल इंसां गँवाये
    सुन्दर सारगर्भित भूमिका के साथ शानदार प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी!

    जवाब देंहटाएं

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