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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

1685...अमन के दुश्मन जला रहे हैं बस्तियाँ...

 सादर अभिवादन। 

नफ़रत से सराबोर हो गयी है फ़ज़ा 
अमन के दुश्मन जला रहे हैं बस्तियाँ,
असभ्य समाज की मिसाल पेश की है 
अतिथि दबाते रहे दाँतों तले उँगलियाँ।
-रवीन्द्र 

आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ- 



"हाँ! हमें जानकारी मिल रही है। मुझे लगता था कि आज की पीढ़ी के युवा विदेशी प्यारे पिंजरे में फँसे हैं। जब तक मैं होश में हूँ स्थाई रहने का तो नहीं सोच सकती।"आगुन्तक ने दृढ़ता से कहा
"
हम लोगों का भी भारत में ही ज्यादा मन लगता है, लेकिन देश की जो स्थिति है...,"

आग, पहिया, चूल्हा, चक्की......महेन्द्र वर्मा 

 

आजकल एक शब्दयुगल बहुत प्रचलन में है- धार्मिक कट्टरता । धर्म जैसी अवधारणा के साथ कट्टर शब्द का कोई मेल नहीं है । आपने ‘कट्टर दुश्मन’ सुना होगा, क्या कभी ‘कट्टर मित्र’ सुना है ! कट्टर नकारात्मक अर्थ वाला शब्द है, मित्र के साथ उसका प्रयोग नहीं किया जा सकता । जो धर्म में भी नकारात्मकता खोज लेते हैं वे ही कट्टर धार्मिक कहे जा सकते हैं ।



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अध्यात्म का अर्थ है आत्मा हमसे प्रकटे, 
तन और मन उसमें बाधा न बनें 
तो वह स्वयं प्रकाशित है 
जैसे कोई खिड़की का पट उढ़का ले 
तो सूरज का प्रकाश रुक जाता है. 
प्रकाश के लिए सूरज बनाना तो नहीं है, 
न ही कहीं से लाना है,आत्मा है, 
हमने रोक हुआ है उसका मार्ग. 
देह स्थूल है, मन भी स्थूल है, 
देह प्रकृति है, 
मन भी प्रकृति का अंग है, 
जो पल-पल बदल रही है, 
आत्मा सदा एक सी  स्वयं में पूर्ण है,

छोटे छोटे डर ...अभिज्ञात

 

वर्तमान हूँ मैं 


अवसान की दुर्भावनाएँ व्याप्त अकर्मण्डयता
मृत्यु को प्राप्त मूल्य,क्षुद्रता ढोता अभिशाप मैं
अमरता का मान गढ़ने पुरुष मर्त्य बना आज
अनिमेष देखता अद्वैत लीन मैं, चिरध्यान में मैं
विमुख-उन्मुख तल्लीनता उठता वर्तमान हूँ मैं


 अब इस सप्ताह का विषय
हम-क़दम-109
विषय है-
'पतवार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज हृदय में और सिन्धु में
साथ उठा है ज्वार
 
प्रेषण तिथिः 29 फरवरी 2020
प्रकाशन तिथिः 02 मार्च 2020
ब्लॉग संपर्क फार्म द्वारा।

  आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में।

रवीन्द्र सिंह यादव

11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर अंक , समसामयिक एवं विविध विषयों से संबंधित रचनाएँँ पटल पर हैंं।
    परंतु जिस तरह का अशांत वातावरण अपने देश की राजधानी का है ,ध्यान सभी का उसी पर है। इस वैमनस्यता के मध्य होली का पर्व किस तरह से हम मनाएंँगे ,जब सड़कों पर रक्त बह रहा हो.. ?
    सभी को सादर नमन।
    बात तो सही है कट्टरता शब्द हमें सीमित दायरे में बांध देता है, जबकि धर्म की कोई सीमा नहीं है। समय एवं परिस्थितियों के अनुसार जन कल्याणकारी कार्य करना ही धर्म है । अब यह कैसे कट्टर हो सकता है ?

    जवाब देंहटाएं
  2. सराहनीय प्रस्तुतीकरण
    हार्दिक आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!खूबसूरत प्रस्तुति रविन्द्र जी । सभी लिंक शानदार !

    जवाब देंहटाएं
  4. हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी(HSRA) के प्रधान सेनापति और भगतसिंह सहित तमाम क्रांतिकारियों के नेता, महान क्रांतिकारी और भारत माँ के अमर बलिदानी शहीद चंद्रशेखर आजाद को उनके शहादत दिवस(27फरवरी) पर कृतज्ञ राष्ट्र की तरफ से श्रद्धांजलि।
    अफसोस की बात यह है कि जिन्होंने देश की आजादी के लिए सर्वस्व बलिदान कर दिया हम आज के दिन भी उन्हें भूल गए और जो आपस में लड़ रहे हैं ।हम उन्हें अपने सियासी चश्मे से देख रहे हैं ।उन पर बहस कर रहे हैं।
    शहीदों की क्रांतिकारी परंपरा अमर रहे!शहीदों की साझी शहादत -साझी विरासत जिंदाबाद!शहीद चंद्रशेखर आजाद अमर रहें.💐

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सादर आभार शशि भाई आपने मेरी भूल को सुधार दिया है। अमर शहीद जाँबाज़ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की पुण्यतिथि पर हमारा कोटि-कोटि नमन।

      हटाएं

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